जमुईः जिले में बड़े पैमाने पर गरीब लोग बीड़ी निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं, चंद मजदूरी की खातिर इन मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है, जहां एक ओर वर्षों से बीड़ी निर्माण में लगे इन मजदूरों का स्वास्थ्य गिरती जा रही है, वहीं इस उद्योग में लगे बड़े व्यापारी इनका शोषण करने में लगे हुए हैं, और जिला प्रशासन मामले में बिल्कुल गंभीर नहीं है.
हजार बीड़ी बनाने पर मिलते हैं 80 रुपये
जिले के खैरा ब्लॉक स्थित सिंघारपूर गांव में ऐसे सैकड़ों मजदूर हैं जिनकी सच्चाई जानने के बाद सरकारी योजनाओं की पोल खुल जाती है. बीड़ी बनाने में लगे मजदूरों को हजार बीड़ी बनाने पर सिर्फ 80 रुपये ही मिलते हैं जो परिश्रम की लिहाज से बेहद कम है.वहीं इन मजदूरों का कहना है कि दिनभर में मुश्किल से पांच सौ बीड़ी ही बन पाती हैं. जिसमें कुछ ही पैसे मिलते हैं वहीं दिनभर तम्बाकू की खतरनाक रासायनिक पदार्थों के सम्पर्क में रहने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप
श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने बताया कि जिले में करीब तीन लाख के आसपास बीड़ी मजदूरों की संख्या है, जिनके लिए आवास योजना जो पूर्ण रूप से केन्द्र प्रायोजित योजना है, लेकिन धरातल पर इस योजना का कहीं कोई नामो निशान तक नहीं है, हालत यह है कि कई बीड़ी मजदूर ऐसे हैं जिनके पास ना तो लाल कार्ड हैं और ना ही इनके पास सरकारी आवास. हालांकि इस संदर्भ में जिलाधिकारी को सूचना दे दी गयी है लेकिन अभी तक इनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है.