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बीड़ी श्रमिकों को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ, बदहाल स्थिति में रहने को मजबूर

जिले में करीब तीन लाख बीड़ी मजदूर हैं. इसके बावजूद ये मजदूर प्रशासन द्वारा बीड़ी श्रमिकों के लिए संचालित की जा रही योजनाओं से वंचित है.

बीड़ी मजदूर
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Published : Feb 15, 2019, 8:56 AM IST

जमुईः जिले में बड़े पैमाने पर गरीब लोग बीड़ी निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं, चंद मजदूरी की खातिर इन मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है, जहां एक ओर वर्षों से बीड़ी निर्माण में लगे इन मजदूरों का स्वास्थ्य गिरती जा रही है, वहीं इस उद्योग में लगे बड़े व्यापारी इनका शोषण करने में लगे हुए हैं, और जिला प्रशासन मामले में बिल्कुल गंभीर नहीं है.

हजार बीड़ी बनाने पर मिलते हैं 80 रुपये
जिले के खैरा ब्लॉक स्थित सिंघारपूर गांव में ऐसे सैकड़ों मजदूर हैं जिनकी सच्चाई जानने के बाद सरकारी योजनाओं की पोल खुल जाती है. बीड़ी बनाने में लगे मजदूरों को हजार बीड़ी बनाने पर सिर्फ 80 रुपये ही मिलते हैं जो परिश्रम की लिहाज से बेहद कम है.वहीं इन मजदूरों का कहना है कि दिनभर में मुश्किल से पांच सौ बीड़ी ही बन पाती हैं. जिसमें कुछ ही पैसे मिलते हैं वहीं दिनभर तम्बाकू की खतरनाक रासायनिक पदार्थों के सम्पर्क में रहने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

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जानकारी देते बीड़ी श्रमिक
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जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप
श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने बताया कि जिले में करीब तीन लाख के आसपास बीड़ी मजदूरों की संख्या है, जिनके लिए आवास योजना जो पूर्ण रूप से केन्द्र प्रायोजित योजना है, लेकिन धरातल पर इस योजना का कहीं कोई नामो निशान तक नहीं है, हालत यह है कि कई बीड़ी मजदूर ऐसे हैं जिनके पास ना तो लाल कार्ड हैं और ना ही इनके पास सरकारी आवास. हालांकि इस संदर्भ में जिलाधिकारी को सूचना दे दी गयी है लेकिन अभी तक इनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है.

जमुईः जिले में बड़े पैमाने पर गरीब लोग बीड़ी निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं, चंद मजदूरी की खातिर इन मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है, जहां एक ओर वर्षों से बीड़ी निर्माण में लगे इन मजदूरों का स्वास्थ्य गिरती जा रही है, वहीं इस उद्योग में लगे बड़े व्यापारी इनका शोषण करने में लगे हुए हैं, और जिला प्रशासन मामले में बिल्कुल गंभीर नहीं है.

हजार बीड़ी बनाने पर मिलते हैं 80 रुपये
जिले के खैरा ब्लॉक स्थित सिंघारपूर गांव में ऐसे सैकड़ों मजदूर हैं जिनकी सच्चाई जानने के बाद सरकारी योजनाओं की पोल खुल जाती है. बीड़ी बनाने में लगे मजदूरों को हजार बीड़ी बनाने पर सिर्फ 80 रुपये ही मिलते हैं जो परिश्रम की लिहाज से बेहद कम है.वहीं इन मजदूरों का कहना है कि दिनभर में मुश्किल से पांच सौ बीड़ी ही बन पाती हैं. जिसमें कुछ ही पैसे मिलते हैं वहीं दिनभर तम्बाकू की खतरनाक रासायनिक पदार्थों के सम्पर्क में रहने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

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जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप
श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने बताया कि जिले में करीब तीन लाख के आसपास बीड़ी मजदूरों की संख्या है, जिनके लिए आवास योजना जो पूर्ण रूप से केन्द्र प्रायोजित योजना है, लेकिन धरातल पर इस योजना का कहीं कोई नामो निशान तक नहीं है, हालत यह है कि कई बीड़ी मजदूर ऐसे हैं जिनके पास ना तो लाल कार्ड हैं और ना ही इनके पास सरकारी आवास. हालांकि इस संदर्भ में जिलाधिकारी को सूचना दे दी गयी है लेकिन अभी तक इनकी सुध लेने कोई नहीं पहुंचा है.

Intro:इलाके में बीड़ीमजदूरों का हो रहा है शोषण

जमुई जिले में बड़े पैमाने पर गरीब नि:सहाय बीड़ी निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं,चंद मजदूरी की खातिर इन मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है,जहाँ एक ओर वर्षों से बीड़ी निर्माण में लगे इन मजदूरों का स्वास्थ्य गिरती जा रही है,वहीं इस उद्योग में लगे बड़े व्यापारी इनका शोषण करने में लगे हुए हैं,और जिला प्रशासन मामले में गम्भीरता दिखाने के वजाय नरमी दिखा रहा है ।देखिए पूरी रिपोर्ट


Body:मामले में जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप

जमुई जिले में बड़े पैमाने पर गरीब नि:सहाय बीड़ी निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं,चंद मजदूरी की खातिर इन मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है,जहाँ एक ओर वर्षों से बीड़ी निर्माण में लगे इन मजदूरों का स्वास्थ्य गिरती जा रही है,वहीं इस उद्योग में लगे बड़े व्यापारी इनका शोषण करने में लगे हुए हैं,और जिला प्रशासन मामले में गम्भीरता दिखाने के वजाय नरमी दिखा रहा है दरअसल ,जिले में बीड़ी निर्माताओं की संख्या तकरीबन ढाई से तीन लाख के बीच होगा,बावजूद जिला प्रशासन इस तरफ ध्यान देना उचित नहीं समझता ।जिले के खैरा ब्लॉक स्थित सिंघारपूर गाँव में ऐसे सैकड़ो मजदूर हैं जिनकी सच्चाई जानने के बाद सरकारी योजनाओं की पोल खुल जाती है ।बीड़ी बनाने में लगे मजदूरों को हज़ार बीड़ी बनाने के एवज में सिर्फ 80 रुपए ही मिलते हैं ,जो परिश्रम की लिहाज से बेहद कम है ।वहीं इन मजदूरोँ का कहना है कि दिनभर में बमुश्किल 5सौ बीड़ी बन पाता है,जिससे कुछ ही पैसे मिलते हैं ।वहीं तम्बाकू की खतरनाक रासायनिक पदार्थों के सम्पर्क में रहने से इन मजदूरों के स्वास्थ्य के प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।
byte बीड़ी बनाने वाली महिला मज़दूर
vo 2-हालांकि इस बाबत जब हमने श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार से बात की तो उन्होनें कहा कि इस संदर्भ में जिलाधिकारी को सूचना देदी गयी है,वहीं उन्होंने कहा कि जिले में करीब तीन लाख के आसपास बीड़ी मजदूरों की संख्या है,जिनके लिये आवास योजना जो पूर्ण रूप से केन्द्र प्रायोजित योजना है,बावजूद धरातल पर इस योजना का कहीं कोई नामो निशान तक नहीं था,हालत यह है कि कई बीड़ी मजदूरऐसे हैं जिनके पास ना तो लाल कार्ड हैं ना ही इनके पास सरकारी आवास और इनकी माने तो इन्हें अब तक किसी भी तरह का कोई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है ।
byte-सुबोध कुमार,श्रम अधीक्षक
byte-बीड़ी मजदूर



Conclusion:हज़ार बीड़ी बनाने पर मिलते हैं 80रुपए

जिले में बड़े पैमाने पर बीड़ी निर्माण में लगे मजदूरोँ के लिए झाझा और गिद्धौर में यक्ष्मा केन्द्र खोला गया,लेकिन आज दौनों आस्पताल अपनी बदहाली की आँसू बहा रहा है ।ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इलाके में ऐसे लाखों बीड़ी मजदूरों के प्रति जिला प्रशासन कितनी सम्वेदनशील है,और उन्हें गरीबों के प्रति कितनी संवेदना है ।
रिपोर्ट-ब्रजेन्द्र नाथ झा,ई टीवी भारत,जमुई
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