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इस गांव में कुंवारे बैठे रह गए युवक, पहुंचती नहीं एंबुलेंस - गोपालगंज की खबर

गोपालगंज के रामपुर गांव के लोगों की जिंदगी पगडंडियों से होकर ही गुजर जाती है. यहां की कई पीढ़ीयां सड़क देखे बिना ही गुजर गईं. सड़क ना होने से शादी विवाह में भी काफी अड़चने आती हैं. यहां के लोग इस टापूनुमा गांव में किसी विकास पुरुष के आने का इन्तजार कर रहे हैं. नीचे पढ़ें पूरी रिपोर्ट....

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Published : Nov 9, 2020, 2:44 PM IST

गोपालगंजः जिले के बरौली प्रखण्ड के बघेजी पंचायत स्थित रामपुर गांव में ज्यादातर युवक कुंवारे रह गए हैं. कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे की लड़कों में कोई कमी है, तो ऐसा नहीं है. वजह जानकर आप चौक जाएंगे. दरअसल इस गांव के लड़कों की शादी सेट तो हो जाती है, लेकिन सड़क ना होने के कारण टूट जाती है.

नई पीढ़ी के युवाओं में डर है कि कहीं वो भी कुंवारे ना रह जाएं. सड़क के आलावे इस गांव में शिक्षा और चिकित्सा की भी कमी लोगों को खलती है.

सड़कों पर जमे पानी और किचड़
सड़कों पर जमे पानी और किचड़

गांव में दम तोड़ती सात निश्चय योजना
गोपालगंज के जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बरौली प्रखण्ड के बघेजी पंचायत के रामपुर गांव में ये सात निश्चय योजना दम तोड़ती नजर आती है. यह गांव मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर है. इस गांव को आज तक एक पक्की सड़क नसीब नहीं हुई.

गांव के लोग
गांव के लोग

दरवाजे तक नहीं पहुंचते दोपहिया वाहन
मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना को मुंह चिढ़ाते इस गांव में सड़क और अस्पताल जैसी जरूरी सुविधा भी यहां के लोगों को नहीं मिली. सड़क मार्ग न होने से शादी विवाह में भी अड़चने आती है. मरीजों को खाट पर लादकर खेत की पगडंडियों से होकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. सड़क नहीं होने से गाव में ना ही एम्बुलेंस पहुंच पाती है और ना ही स्कूल बस. दरवाजे तक चार पहिया वाहन की बात तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाता है.

ये भी पढ़ेंः ऐतिहासिक अब्दुलबारी पुल का अस्तित्व खतरे में, अवैध बालू उत्खनन से डैमेज हो रही नींव

इस गांव के लोग इस टापूनुमा गांव में रह कर किसी विकास पुरुष के आने का शायद इन्तेजार कर रहे हैं. आजादी के 70 दशक बीत जाने के बावजूद इस सड़क विहीन गाँव में लोग किसी तरह जीने को मजबूर हैं जो सरकारी दावों की पोल खोलता है. ऐसे में किसी मशहूर शायर की ये पंक्तिया याद आती है...

'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है'

करीब ढाई से तीन हजार की आबादी वाला ये गांव आज भी संसाधन के अभाव से जूझ रहा है. यहां के लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव में सड़क नहीं होने के कारण युवक-युवतियां की शादी में अड़चनें आती है. आज भी कई ऐसे युवक हैं, जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी.

'कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता. लोग पहले ही ये देखकर भाग जाते हैं कि इस गांव में सड़क और अस्पताल नहीं है. अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे. बेटा हो या बेटी उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है'- अजय कुमार, स्थानीय युवक

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कई सुविधाएं आज तक नहीं हुई नसीब
इस गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बिजली मिली जो लालटेन युग से छुटकारा दिला पाई है. लेकिन सड़क की कमी ज्यादा ही खलती है. शुद्ध पेयजल, चापाकल, शौचालय, आंगनबाड़ी केंद्र, जैसी कई सुविधाएं आज भी इस गांव के लोगों को नसीब नहीं है.

ग्रमीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि व नेतागण चुनाव के समय ही इस क्षेत्र में दिखते हैं. बड़े-बड़े वादे कर निकल जाते हैं. सरकारी आलाधिकारियों की नजर भी इस गांव की ओर नहीं पड़ती.

गोपालगंजः जिले के बरौली प्रखण्ड के बघेजी पंचायत स्थित रामपुर गांव में ज्यादातर युवक कुंवारे रह गए हैं. कहीं आप ये तो नहीं सोच रहे की लड़कों में कोई कमी है, तो ऐसा नहीं है. वजह जानकर आप चौक जाएंगे. दरअसल इस गांव के लड़कों की शादी सेट तो हो जाती है, लेकिन सड़क ना होने के कारण टूट जाती है.

नई पीढ़ी के युवाओं में डर है कि कहीं वो भी कुंवारे ना रह जाएं. सड़क के आलावे इस गांव में शिक्षा और चिकित्सा की भी कमी लोगों को खलती है.

सड़कों पर जमे पानी और किचड़
सड़कों पर जमे पानी और किचड़

गांव में दम तोड़ती सात निश्चय योजना
गोपालगंज के जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बरौली प्रखण्ड के बघेजी पंचायत के रामपुर गांव में ये सात निश्चय योजना दम तोड़ती नजर आती है. यह गांव मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर है. इस गांव को आज तक एक पक्की सड़क नसीब नहीं हुई.

गांव के लोग
गांव के लोग

दरवाजे तक नहीं पहुंचते दोपहिया वाहन
मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजना को मुंह चिढ़ाते इस गांव में सड़क और अस्पताल जैसी जरूरी सुविधा भी यहां के लोगों को नहीं मिली. सड़क मार्ग न होने से शादी विवाह में भी अड़चने आती है. मरीजों को खाट पर लादकर खेत की पगडंडियों से होकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. सड़क नहीं होने से गाव में ना ही एम्बुलेंस पहुंच पाती है और ना ही स्कूल बस. दरवाजे तक चार पहिया वाहन की बात तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाता है.

ये भी पढ़ेंः ऐतिहासिक अब्दुलबारी पुल का अस्तित्व खतरे में, अवैध बालू उत्खनन से डैमेज हो रही नींव

इस गांव के लोग इस टापूनुमा गांव में रह कर किसी विकास पुरुष के आने का शायद इन्तेजार कर रहे हैं. आजादी के 70 दशक बीत जाने के बावजूद इस सड़क विहीन गाँव में लोग किसी तरह जीने को मजबूर हैं जो सरकारी दावों की पोल खोलता है. ऐसे में किसी मशहूर शायर की ये पंक्तिया याद आती है...

'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है'

करीब ढाई से तीन हजार की आबादी वाला ये गांव आज भी संसाधन के अभाव से जूझ रहा है. यहां के लोग जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव में सड़क नहीं होने के कारण युवक-युवतियां की शादी में अड़चनें आती है. आज भी कई ऐसे युवक हैं, जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी.

'कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता. लोग पहले ही ये देखकर भाग जाते हैं कि इस गांव में सड़क और अस्पताल नहीं है. अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे. बेटा हो या बेटी उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है'- अजय कुमार, स्थानीय युवक

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कई सुविधाएं आज तक नहीं हुई नसीब
इस गांव में विकास के नाम पर सिर्फ बिजली मिली जो लालटेन युग से छुटकारा दिला पाई है. लेकिन सड़क की कमी ज्यादा ही खलती है. शुद्ध पेयजल, चापाकल, शौचालय, आंगनबाड़ी केंद्र, जैसी कई सुविधाएं आज भी इस गांव के लोगों को नसीब नहीं है.

ग्रमीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि व नेतागण चुनाव के समय ही इस क्षेत्र में दिखते हैं. बड़े-बड़े वादे कर निकल जाते हैं. सरकारी आलाधिकारियों की नजर भी इस गांव की ओर नहीं पड़ती.

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