गोपालगंज: इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर पूरे विश्व मे हाहाकर मचा हुआ है. इस महामारी से निजात पाने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया है. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ा है. दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले लोगों को इस आपातकाल में रोजगार नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से मजदूर दाने-दाने को को मोहताज हो गए हैं.
लॉक डाउन का दंश झेल रहे गरीब
कोरोना वायरस के संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब तबके के लोग हुए हैं. खासतौर पर वैसे लोग जिनके सर पर ना तो छत है और ना ही उनके पास रोजी-रोटी का साधन. इसको लेकर जब ईटीवी भारत संवाददाता सदर प्रखंड के मेंहदिया वार्ड नम्बर 15 पहुंची, तो यहां पर रहने वाला हरकोई मदद का इंतजार कर रहा था. रिक्शा चालक हरिशंकर राम ने रोते हुए बताया की 4 दिन से घर मे चुल्हा नहीं जला है. रिक्शा चलाकर 6 परिवार का भरण पोषण करता था. लेकिन आमदनी का एकमात्र जरिया भी लॉकडाउन में समाप्त हो गया. एक टाइम खाना खाकर भूखे सोना पड़ता है. कोई मदद करने को तैयार नहीं है. प्रशासन लाठीचार्ज कर घर में बंद रहने को कहती है. लेकिनष खाना खाया या नहीं खाय इस बार में कभी नहीं पूछती.
'कोई नहीं कर रहा मदद'
मामले पर स्थानीय गायत्री देवी ने कहा कि हमलोग पिछले की दिनों से भूखा रहा रहे हैं. पीएम मोदी केवल कोरोना-कोरोना बोल रहे हैं. कोई मदद नहीं कर रहा. इस विपदा के समय में हमगरीबों पर मुखिया से लेकर जिला प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा. कुठ समाजसेवी संस्था खाने को फूड पैकेट बांटती है तो खाते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि लॉकडाउन का एक-एक दिन हमलोगों पर भारी पड़ रहा है. हमलोग कोरोना से बाद में और से भूख से पहले मर जाएंगे. वहीं, राजमती देवी और गिरजा सिंह ने बताया कि हमलोग बूढ़े हो गए हैं. शरीर साथ नहीं दे रहा. इस दौरान हमलोगों को खाने को नहीं मिल रहा. कोई उधार भी नहीं दे रहा. लोग मदद के नाम पर उपहास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि संक्रमण को लेकर लॉक डाउन जो किया गया वह सही है. लेकिन सरकार को पहले इसकी पूरी तैयारी कर लेनी चाहिए थी. लॉकडाउन के हम गरीबों के लिए पहले कुछ उपाय सोच लेती.
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