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गोपालगंजः दैनिक मजदूर हो रहे खाने को मोहताज, नहीं मिल रही कोई मदद

मजदूर अक्षय लाल गोंड ने कहा कि हम लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. खाने के बिना मर रहे है और किसी तरह घर मे छिपे हुए है. हमे खाने पीने को मिलना चाहिए. हम लोग रोज कमाने खाने वाले लोग है. जब से यह बंदी हुई है तब से हमलोगों के ऊपर दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा है. खाना बनाने के लिए घर मे अनाज नहीं है. जलावन का लकड़ी नहीं है. घर से बाहर निकलने पर पुलिस मारती है.

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Published : Apr 7, 2020, 6:16 PM IST

गोपालगंजः देश और दुनिया में फैली कोरोना वायरस के कहर से हर ओर हाहाकार मचा हुआ है. लोग डरे और सहमे हुए है. वहीं, इस महामारी से निजात पाने के लिए सरकार की ओर से लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है. इस लॉक डाउन से सबसे ज्यादा असर दैनिक मजदूरों पर पड़ा है क्योंकि ये मजदूर प्रतिदिन कमाने और खाने वाले होते हैं. लेकिन लॉक डाउन के बाद इन मजदूरों को ना ही कोई काम मिल रहा है, और ना ही ये घर से बाहर निकल रहे हैं. आलम यह है कि ये और इनके परिवार खाने को मोहताज हो गया है.

लॉक डाउन से गरीब परेशान
मजदूरों के ऊपर उतपन्न हुई समस्या को ग्राउंड स्तर पर जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. तब कई ऐसे मजदूर मिले जिनके घर कई दिनों से भोजन नहीं बन पाए है. ये मजदूर किसी तरह भूखे व एक टाइम खाना खा कर अपनी जिंदगी गुजार रहे है. हमारी टीम जब कुचायकोट प्रखण्ड के सिपाया गांव पहुंची. तो यहां रहने वाले मजदूरो व महिला ने अपनी दुखड़ा सुना डाली.

देखें पूरी रिपोर्ट
मजदूरों को नहीं मिल रहा खाना मजदूर अक्षय लाल गोंड ने कहा कि हम लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. खाने के बिना मर रहे है और किसी तरह घर मे छिपे हुए है. हमे खाने पीने को मिलना चाहिए. हम लोग रोज कमाने खाने वाले लोग है. जब से यह बंदी हुई है तब से हमलोगों के ऊपर दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा है. खाना बनाने के लिए घर मे अनाज नहीं है. जलावन का लकड़ी नहीं है. घर से बाहर निकलने पर पुलिस मारती है. वहीं, एक ओर मजदूर माधव साह ने कहा कि 3 दिनों से घर मे भोजन नहीं बने है. कोई देखने वाला अभी तक नहीं आया है. आप ही पहला व्यक्ति है जो हमारी दुःख को समझने आये.

गोपालगंजः देश और दुनिया में फैली कोरोना वायरस के कहर से हर ओर हाहाकार मचा हुआ है. लोग डरे और सहमे हुए है. वहीं, इस महामारी से निजात पाने के लिए सरकार की ओर से लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है. इस लॉक डाउन से सबसे ज्यादा असर दैनिक मजदूरों पर पड़ा है क्योंकि ये मजदूर प्रतिदिन कमाने और खाने वाले होते हैं. लेकिन लॉक डाउन के बाद इन मजदूरों को ना ही कोई काम मिल रहा है, और ना ही ये घर से बाहर निकल रहे हैं. आलम यह है कि ये और इनके परिवार खाने को मोहताज हो गया है.

लॉक डाउन से गरीब परेशान
मजदूरों के ऊपर उतपन्न हुई समस्या को ग्राउंड स्तर पर जब ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. तब कई ऐसे मजदूर मिले जिनके घर कई दिनों से भोजन नहीं बन पाए है. ये मजदूर किसी तरह भूखे व एक टाइम खाना खा कर अपनी जिंदगी गुजार रहे है. हमारी टीम जब कुचायकोट प्रखण्ड के सिपाया गांव पहुंची. तो यहां रहने वाले मजदूरो व महिला ने अपनी दुखड़ा सुना डाली.

देखें पूरी रिपोर्ट
मजदूरों को नहीं मिल रहा खाना मजदूर अक्षय लाल गोंड ने कहा कि हम लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. खाने के बिना मर रहे है और किसी तरह घर मे छिपे हुए है. हमे खाने पीने को मिलना चाहिए. हम लोग रोज कमाने खाने वाले लोग है. जब से यह बंदी हुई है तब से हमलोगों के ऊपर दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा है. खाना बनाने के लिए घर मे अनाज नहीं है. जलावन का लकड़ी नहीं है. घर से बाहर निकलने पर पुलिस मारती है. वहीं, एक ओर मजदूर माधव साह ने कहा कि 3 दिनों से घर मे भोजन नहीं बने है. कोई देखने वाला अभी तक नहीं आया है. आप ही पहला व्यक्ति है जो हमारी दुःख को समझने आये.
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