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गोपालगंज: इस गांव के लोगों को नहीं मिल सका है 'नल का जल', दूषित पानी पीने को हैं मजबूर - gopalganj news

मानिकपुर गांव में कई ऐसे वार्ड मिले, जहां के लोग आज भी चापाकल पर ही निर्भर हैं. इस पंचायत के चापाकल के पानी की भी अपनी कहानी है. इसका पानी बर्तन में थोड़ी देर छोड़ देने से बर्तन पीला पड़ जाता है.

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Published : Jan 12, 2020, 11:51 AM IST

Updated : Jan 12, 2020, 12:12 PM IST

गोपालगंजः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा संचालित सात निश्चय योजना में एक योजना 'हर घर नल का जल' भी है. लेकिन ये योजना जिले में दम तोड़ती दिख रही है. जिले के कई वार्डों में अभी तक नल का जल नहीं पहुंचा है. यहां के लोग आज भी चापाकल पर भी निर्भर हैं.

मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में शामिल 'हर घर नल का जल' योजना के तहत पीएचईडी विभाग को इस वित्तीय वर्ष में जिले के 214 वार्डो में नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन विभागीय फाइलों की मानें तो अभी तक महज 84 वार्डो में ही नल का जल पहुंच सका है. विभाग अपने लक्ष्य से काफी दूर दिख रहा है. हलांकि विभाग का दावा है कि फरवरी माह तक लक्ष्य को सत प्रतिशत पूरा कर लिया जाएगा.

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चापाकल पर आश्रित हैं लोग

चापाकल पर निर्भर हैं लोग
ईटीवी भारत जब इसकी पड़ताल करने गाउंड जीरो पर पहुंचा तो पता चला कि 8 प्रखंडों के महज 34 वार्डों में ही यह योजना पूरी हुई है, जबकि बांकी में काम चल रहा है. ऐसे में फरवरी तक लक्ष्य की प्राप्ति टेढ़ी खीर लगती है. ईटीवी भारत की टीम जब सदर प्रखंड के मानिकपुर गांव पहुंची तो यहां कई ऐसे वार्ड मिले, जहां के लोग आज भी चापाकल पर ही निर्भर हैं.
इस पंचायत के चापाकल के पानी की भी अपनी कहानी है. इसका पानी बर्तन में थोड़ी देर छोड़ देने से बर्तन पीला पड़ जाता है. पानी का इस्तेमाल जिस बाल्टी में किया जाता है, उसका भी यही हाल होता है. यहां तक की चापाकल के चबूतरे भी पानी से पीले पड़ गए हैं. ऐसे में यहां के लोगों की सेहत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.

'जहर पीने को हैं मजबूर'
स्थानीय लोगों ने बताया कि गर्मी में तो यह पानी भी नसीब नहीं होता है. पानी का लेयर नीचे चले जाने के कारण चापाकल से पानी नहीं आता है. लोगों ने बताया कि ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. इनके पास कोई दूसका विकल्प नहीं है.

पेश है खास रिपोर्ट

योजना की सुस्त है रफ्तार
यह योजना ग्रामीण इलाकों में ही नहीं शहरी क्षेत्रों में ही सुस्त रफ्तार से ही चल रही है. गोपालगंज शहर के 10 वार्डों तक पानी पहुंचाने के लिए 2016 में तीन टंकी बनाने और पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था. लेकिन तीन साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी लोगों को नल का जल नहीं मिल रहा है, शेष 18 वार्डों में भी योजना का खस्ता हाल है.

विभाग के दावे
वहीं, पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता अभय कुमार ने बताया कि अभी तक 84 वार्डों में नल जल योजना का कार्य पूरा किया जा चुका है और इस वित्तीय वर्ष में 214 वार्डों तक पानी पहुंचाने के लक्ष्य को फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा.

गोपालगंजः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा संचालित सात निश्चय योजना में एक योजना 'हर घर नल का जल' भी है. लेकिन ये योजना जिले में दम तोड़ती दिख रही है. जिले के कई वार्डों में अभी तक नल का जल नहीं पहुंचा है. यहां के लोग आज भी चापाकल पर भी निर्भर हैं.

मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में शामिल 'हर घर नल का जल' योजना के तहत पीएचईडी विभाग को इस वित्तीय वर्ष में जिले के 214 वार्डो में नल का जल पहुंचाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन विभागीय फाइलों की मानें तो अभी तक महज 84 वार्डो में ही नल का जल पहुंच सका है. विभाग अपने लक्ष्य से काफी दूर दिख रहा है. हलांकि विभाग का दावा है कि फरवरी माह तक लक्ष्य को सत प्रतिशत पूरा कर लिया जाएगा.

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चापाकल पर आश्रित हैं लोग

चापाकल पर निर्भर हैं लोग
ईटीवी भारत जब इसकी पड़ताल करने गाउंड जीरो पर पहुंचा तो पता चला कि 8 प्रखंडों के महज 34 वार्डों में ही यह योजना पूरी हुई है, जबकि बांकी में काम चल रहा है. ऐसे में फरवरी तक लक्ष्य की प्राप्ति टेढ़ी खीर लगती है. ईटीवी भारत की टीम जब सदर प्रखंड के मानिकपुर गांव पहुंची तो यहां कई ऐसे वार्ड मिले, जहां के लोग आज भी चापाकल पर ही निर्भर हैं.
इस पंचायत के चापाकल के पानी की भी अपनी कहानी है. इसका पानी बर्तन में थोड़ी देर छोड़ देने से बर्तन पीला पड़ जाता है. पानी का इस्तेमाल जिस बाल्टी में किया जाता है, उसका भी यही हाल होता है. यहां तक की चापाकल के चबूतरे भी पानी से पीले पड़ गए हैं. ऐसे में यहां के लोगों की सेहत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.

'जहर पीने को हैं मजबूर'
स्थानीय लोगों ने बताया कि गर्मी में तो यह पानी भी नसीब नहीं होता है. पानी का लेयर नीचे चले जाने के कारण चापाकल से पानी नहीं आता है. लोगों ने बताया कि ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. इनके पास कोई दूसका विकल्प नहीं है.

पेश है खास रिपोर्ट

योजना की सुस्त है रफ्तार
यह योजना ग्रामीण इलाकों में ही नहीं शहरी क्षेत्रों में ही सुस्त रफ्तार से ही चल रही है. गोपालगंज शहर के 10 वार्डों तक पानी पहुंचाने के लिए 2016 में तीन टंकी बनाने और पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था. लेकिन तीन साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी लोगों को नल का जल नहीं मिल रहा है, शेष 18 वार्डों में भी योजना का खस्ता हाल है.

विभाग के दावे
वहीं, पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता अभय कुमार ने बताया कि अभी तक 84 वार्डों में नल जल योजना का कार्य पूरा किया जा चुका है और इस वित्तीय वर्ष में 214 वार्डों तक पानी पहुंचाने के लक्ष्य को फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा.

Intro:सरकार के नलजल योजना का हुआ बुरा हाल, वर्षो बाद भी नही नलजल की योजना नही पहुची कई गाँव तक
---चापाकल के दूषित पानी पीने को मजबूर मानिकपुर गाँव निवासी
गोपालगंज। सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा संचालित सात निश्चय योजना में एक योजना हर घर नल का जल पहुंचे का भी है
लेकिन नल का जल गोपालगंज जिले में दम तोड़ता हुआ नजर आता है।जिले के कई वार्डों में अभी तक नल का जल से पानी नहीं टपकता आलम यह है कि यहां करीब 2 वर्षों से नल का जल से लोगों को पानी उपलब्ध कराने की मुहिम खत्म होती हुई नजर आती है। यहां के स्थानीय निवासी अब चापाकल पर ही निर्भर है।


Body:मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना में शामिल हर घर नल का जल योजना के तहत पीएचईडी विभाग को वित्तीय वर्ष में 2018 में जिले के 214 वार्डो में नलका जल लगाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। लेकिन विभागीय फाइलों में अभी तक महज 84 वार्डो में नल का जल पहुंचाने में सफल रहा। अब इसे विभागीय सुस्ती कहे या लापरवाही। जिसके कारण विभागीय लक्ष्य पूरा होता नही दिख रहा है। हलांकि विभाग का दावा है कि फरवरी माह तक लक्ष्य को सत प्रतिशत पूरा कर लिया जाएगा।
ईटीवी भारत की टीम ने अब इसकी पड़ताल की तो विभाग के फाइलों में 14 प्रखंडो में से 8 प्रखंडो में महज 34 वार्डों में ही पूर्ण रूप से नल का जल पहुंचाया गया जबकि अन्य में कार्य चल रहा है। अब ऐसे में फरवरी माह तक विभाग का दावा कितना कारगर साबित होगा वह देखने वाली बात होगी। ईटीवी भारत की टीम अपने पडता मे जब सदर प्रखंड के मानिकपुर गांव पहुंची तो यहां कई ऐसे वार्ड मीले जहाँ के लोग आज भी चापाकल के पानी पर ही निर्भर है। साथ ही इस पंचायत के चापाकल से निकले पानी से बर्तन पीले हो रहे है। चापाकल के आसपास के जगह भी पीले हो गए है। जिसे स्थानीय लोगो द्वारा दूषित पानी होने की बात की जा रही है। बावजूद यहां के लोगो को नल के जल से शुध्द पानी नशीब नही हो रही है। मजबूरन ये लोग दूषित पानी पीने को बाध्य होते है। साथ ही गर्मी के दिनों में चापाकल का पानी भी सूख जाता है। ऐसे में सरकार की योजना नल का जल हवा हवाई साबित हो रही है।

बाइट-श्रवण कुमार
बाइट-कुलदीप राम
बाइट-शान्ति देवी

सरकार की यह योजना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रो में ही दम नही तोड़ती बल्कि गोपालगंज शहर में भी इसकी बानगी देखने को मिलती है। सरकार के नल जल योजना के तहत वर्ष 2016 में शहर के 10 वार्डों के लिए तीन टंकी बनाने और पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था। तब विभाग ने शहरवासियों को 9 माह में नल का जल हर घर में पहुंचाने का भरोसा दिया था जो 2 साल बाद भी वार्ड वासियो को नल का जल नशीब नही हुआ। क्योंकि अब भी 20 फ़ीसदी कार्य बाकी है वहीं शेष 18 वार्ड में भी योजना का खस्ता हाल है। इस संदर्भ में पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता अभय कुमार ने बताया कि अभी तक 84 वार्डो में नलजल योजना का कार्य पूरा किया गया है। प्राप्त लक्ष्य को फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा।

बाइट-अभय कुमार ,कार्यपालक अभियंता


Conclusion:सवाल ये उठता है कि जिले में विकास की कछुआ रफ्तार कब तक चलेगी। जिलेवासियों के लिए शुद्ध पेयजल भी आज भी समस्या बनी है। लोग अपने घरों में निजी पंप लगाकर पेयजल की व्यवस्था करते हैं। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रो के अधिकांश घरों में चापाकल पानी पिया जाता है।
Last Updated : Jan 12, 2020, 12:12 PM IST
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