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गोपालगंज सदर अस्पताल में नहीं मिल रही अल्ट्रासाउंड की सुविधा, प्राइवेट में जांच कराने को मजबूर मरीज - गोपालगंज सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था

Gopalganj News गोपालगंज सदर अस्पताल (Gopalganj Sadar Hospital) में तीन माह से अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था मरीजों को नहीं मिल रही है. जिसके चलते मरीज बाहर से महंगे दामों पर प्राइवेट में अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर.

गोपालगंज सदर अस्पताल
गोपालगंज सदर अस्पताल
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Published : Jan 6, 2023, 1:51 PM IST

गोपालगंज सदर अस्पताल

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज सदर अस्पताल में पिछले तीन माहीने से मरीजों को अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं (Arrangement of ultrasound in Gopalganj Hospital) मिल रही है. जिसके कारण मरीज प्राइवेट में महंगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराने को विवश हैं. सबसे ज्यादा गरीब मरीजों को परेशानी होती है, जिन्हें डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देने पर उन्हें मजबूरन महंगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है या फिर ऊपर वालों के भरोशे छोड़ देते हैं. लेकिन शायद इस ओर स्वास्थ्य विभाग के की नजर नहीं जाती.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज के सदर अस्पताल के दावों की खुली पोल, मरीजों के लिए कंबल और रूम हीटर तक के इंतजाम नहीं

बेहतर सुविधा देने का वादा: दरअसल, स्वास्थ्य विभाग मिशन 60 के तहत अस्पतालों में बेहतर सेवा देने का दावा कर रही है. अब उनके दावों में कितनी सच्चाई है, उसकी एक बानगी सदर अस्पताल में पिछले तीन माह से बंद पड़े अल्ट्रासाउंड से देखा जा सकता है. आलम यह है कि मरीजों को बाहर से ज्यादे कीमत देकर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं को विशेष परेशानी उठानी पड़ रही है.

सदर अस्पताल में नहीं हो रहा अल्ट्रासाउंड: लगभग चार माह से कोई रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के आलावे अल्ट्रासाउंड में तकनीकि खराबी आने के कारण बंद पड़ा है. अस्पताल आ रहे मरीजों को रोजाना बिना अल्ट्रासाउंड वापस लौट कर मजबूरी में उन्हें हजारों रुपये खर्च कर निजी संस्थानों से अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल में आमतौर पर 150 से 200 महिलाएं प्रतिदिन इलाज के लिए आती हैं. जिसमें गर्भवती महिलाएं अधिक होती हैं. इसमें 20 से 25 महिलाएं अल्ट्रासाउंड के लिए आती हैं.

गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी: गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादे अलट्रासाउंड की आवश्यकता पड़ती है. इसके साथ ही कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनके डायग्नोस के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है. अल्ट्रासाउंड विभाग बंद होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में विकलांग, बुजुर्ग और इमरजेंसी के भी मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है. जिला अस्पताल में सुविधा न होने के कारण मरीजों को प्राइवेट संस्थानों में 800 से 1000 रुपये में अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है.

तकनीकी समस्या के चलते काम बाधित: सुबह नौ बजे जलालपुर से अपने मरीज को लेकर आये शिव प्रताप राय ने बताया कि, 'डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए बोला है लेकिन सदर अस्पताल में सुविधा नहीं होने की बात कही जा रही है. मजबूरन हम लोग प्राइवेट संस्थान से 1000 रुपये में अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ा.' वहीं सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक कुमार सिद्धार्थ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट का पद खाली है. इस वजह से अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहा है. हालांकि, महिला चिकित्सक से अल्टरनेट कराया जा रहा था, लेकिन इधर एक माह से तकनीकी समस्या के चलते काम बाधित है.

गोपालगंज सदर अस्पताल

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज सदर अस्पताल में पिछले तीन माहीने से मरीजों को अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं (Arrangement of ultrasound in Gopalganj Hospital) मिल रही है. जिसके कारण मरीज प्राइवेट में महंगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराने को विवश हैं. सबसे ज्यादा गरीब मरीजों को परेशानी होती है, जिन्हें डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देने पर उन्हें मजबूरन महंगे दामों पर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है या फिर ऊपर वालों के भरोशे छोड़ देते हैं. लेकिन शायद इस ओर स्वास्थ्य विभाग के की नजर नहीं जाती.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज के सदर अस्पताल के दावों की खुली पोल, मरीजों के लिए कंबल और रूम हीटर तक के इंतजाम नहीं

बेहतर सुविधा देने का वादा: दरअसल, स्वास्थ्य विभाग मिशन 60 के तहत अस्पतालों में बेहतर सेवा देने का दावा कर रही है. अब उनके दावों में कितनी सच्चाई है, उसकी एक बानगी सदर अस्पताल में पिछले तीन माह से बंद पड़े अल्ट्रासाउंड से देखा जा सकता है. आलम यह है कि मरीजों को बाहर से ज्यादे कीमत देकर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं को विशेष परेशानी उठानी पड़ रही है.

सदर अस्पताल में नहीं हो रहा अल्ट्रासाउंड: लगभग चार माह से कोई रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के आलावे अल्ट्रासाउंड में तकनीकि खराबी आने के कारण बंद पड़ा है. अस्पताल आ रहे मरीजों को रोजाना बिना अल्ट्रासाउंड वापस लौट कर मजबूरी में उन्हें हजारों रुपये खर्च कर निजी संस्थानों से अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल में आमतौर पर 150 से 200 महिलाएं प्रतिदिन इलाज के लिए आती हैं. जिसमें गर्भवती महिलाएं अधिक होती हैं. इसमें 20 से 25 महिलाएं अल्ट्रासाउंड के लिए आती हैं.

गर्भवती महिलाओं को हो रही परेशानी: गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादे अलट्रासाउंड की आवश्यकता पड़ती है. इसके साथ ही कई ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनके डायग्नोस के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है. अल्ट्रासाउंड विभाग बंद होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में विकलांग, बुजुर्ग और इमरजेंसी के भी मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है. जिला अस्पताल में सुविधा न होने के कारण मरीजों को प्राइवेट संस्थानों में 800 से 1000 रुपये में अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है.

तकनीकी समस्या के चलते काम बाधित: सुबह नौ बजे जलालपुर से अपने मरीज को लेकर आये शिव प्रताप राय ने बताया कि, 'डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड के लिए बोला है लेकिन सदर अस्पताल में सुविधा नहीं होने की बात कही जा रही है. मजबूरन हम लोग प्राइवेट संस्थान से 1000 रुपये में अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ा.' वहीं सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक कुमार सिद्धार्थ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट का पद खाली है. इस वजह से अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहा है. हालांकि, महिला चिकित्सक से अल्टरनेट कराया जा रहा था, लेकिन इधर एक माह से तकनीकी समस्या के चलते काम बाधित है.

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