गोपालगंज: बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था धीरे-धीरे लचर होती दिख रही है. जिले की सदर अस्पताल पीडियाट्रिक वार्ड के उद्घाटन होने के बाद भी आज तक पूर्ण संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाया है. यहां किसी कर्मियों की बहाली भी नहीं की गई. जिस कारण पिछले एक साल ये वॉर्ड बंद पड़ा है. बता दें कि इस वॉर्ड का उद्घाटन सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने 24 अक्टूबर 2019 को की थी.
दअरसल, सदर अस्पताल में जिस उद्देश्य से इसको पीडियोट्रिक वॉर्ड चालू किया गया था. शायद वह उद्देश्य पूरा करने में स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है. इस वॉर्ड में एसी की कमी के आलावा बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए पाइप लाइन भी नहीं है. जिस कारण यह वॉर्ड एक साल बाद भी मूर्त रूप नहीं ले सका. इस वॉर्ड में पर्याप्त संसाधन और कर्मियों का भी घोर अभाव है.
1 महीने से 10 साल के बच्चे का होता है इलाज
इस वॉर्ड के उद्घाटन के पहले लोगों को यह उम्मीद जगी थी कि अब 1 महीने से 10 साल तक के बीमार बच्चों को इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन लोगों की यह उम्मीद सिर्फ उम्मीद बनकर ही रह गई. इस वॉर्ड में महज एक डॉक्टर और एक जीएनएम तैनात है. जिसकी वजह से यहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज नहीं हो पाता है.
वॉर्ड के डॉक्टर ने दी जानकारी
वार्ड में तैनात डॉक्टर सौरभ अग्रवाल के मानें तो यहां कर्मियों की बहुत कमी है. 8 कर्मियों के बजाए महज एक जीएनएम है. उन्होंने कहा कि पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से चालू नहीं हुई है. जिस कारण 24 घंटे काम नहीं हो रहा है. ऐसे में वॉर्ड में बच्चों का इलाज कैसे संभव होगा? बता दें कि वार्ड में लाखों रुपये के लागत से लगाए गए मशीन सिर्फ शोभा की वस्तु बनी हुई है.
2012 की है योजना
10 बेडों वाले इस वॉर्ड में एक महीने से लेकर 10 साल तक के बीमार बच्चों को भर्ती किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले साल मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की शिकायत को देखते हुए अस्पताल में 10 बेडों का यह वॉर्ड खोला गया था. उस दौरान उद्घाटन के वक्त स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा था कि सदर अस्पताल में चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर सरकार गंभीर है. उन्होंने ये भी कहा था कि बच्चों की इलाज के लिए पीडियाट्रिक वॉर्ड सदर अस्पताल में खोला गया है. यह 2012 की योजना है. लेकिन अभी तक लंबित था. उन्होंने कहा कि आईसीयू रहित वॉर्ड में 1 माह से 10 साल तक के बच्चों का इलाज होगा.
क्या है पीडियाट्रिक वॉर्ड?
पीडियाट्रिक्स वार्ड लाइफ सपोर्ट की आधुनिक संसाधनों से लैस बिस्तर और आसपास उपकरणों से बनी होती है. जो गंभीर बीमार नौनिहालों के लिए जीवन वरदान साबित होता है. वॉर्ड में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को प्राथमिक चेकआउट के बाद भर्ती किया जाता है. जहां वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ ऑक्सीजन सहित अन्य जीवन रक्षक दवाइयां और प्रशिक्षित डॉक्टर रहते हैं.
क्या कहते हैं अस्पताल के सूत्र
अस्पताल सूत्रों का मानना है कि इस व्यवस्था में बच्चों को अधिक से अधिक सुरक्षित रखने में सफलता मिलती है. जबकि एसएनसीयू वॉर्ड में सिर्फ नवजात शिशु को माह भर रखने की सुविधा होती है. लेकिन आधुनिक तकनीकी में स्थापित होने इस वॉर्ड में तब तक बच्चों को रखकर इलाज किया जाता है. जब तक उसका जीवन सामान्य प्रक्रिया के तहत स्टेबल नहीं हो जाता है. तब तक उसे अन्य वॉर्ड में शिफ्ट नहीं किया जाता है. यानी बच्चों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी वॉर्ड की होती है.
इन रोगों का होता है इलाज
इस वॉर्ड में दौरा, निमोनिया, दिल में छेद, सांस लेने की समस्या सहित अन्य गंभीर संक्रमण में प्रभावित बच्चों को भर्ती किया जाता है. इस संदर्भ में जब सदर अस्पताल के उपाधीक्षक पिसी प्रभात से बात की गई तो उन्होंने कहा कि व्यवस्था को कारगर कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर और जीएनएम को तैनात किया गया है. सभी लोग अपने कार्य मे मुस्तैद हैं.