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गोपालगंज में नहीं है सरकारी बसों की व्यवस्था, निजी बस वालों की चलती है मनमानी - गोपालगंज नगर परिषद

नगर परिषद के चेयरमैन ने कहा कि गोपालगंज जिले के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. यहां से राजधानी का कोई सीधा ट्रेन रूट भी नहीं है. ऐसे में आवागमन के लिए पथ परिवहान एक मात्र साधन है. लेकिन एक भी सरकारी बसें यहां से नहीं चलती हैं.

गोपालगंज
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Published : Jan 9, 2020, 10:49 AM IST

गोपालगंजः जिले के लोगों को पथ परिवहन विभाग के सौतेले व्यवहार का दंश झेलना पड़ रहा है. यहां से किसी भी रूट के लिए सरकारी बसों की सेवा नहीं है. यहां तक की राजधानी पटना जाने के लिए भी लोगों को निजी बसों का ही सहारा लेना पड़ता है. जिले में चल रही निजी बसें सरकारी नियमों का पालन नहीं करती है. यात्री सुरक्षा को लेकर ये बेहद लापरवाह दिखते हैं.

गोपालगंज
सरकारी बस स्टैंड में बंद पड़ा कार्यालय

पहले चलती थी सरकारी बसें
बता दें कि पहले यहां से सरकारी बसें चलती थीं. सरकारी बस स्टैंड से सभी रूटों के लिए बसे उपलब्ध होती थीं. लेकिन धीरे-धीरे ये सेवा बंद कर दी गई. स्थानीय छात्रों ने कहा कि सरकारी बस स्टैंड पर अब ताला जड़ा है. हम लोग परीक्षा देने के लिए कहीं जाते हैं तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. निजी बसों से जाना हमें बेहद महंगा पड़ जाता है. हमारे पास उनते पैसे नहीं होते हैं.

गोपालगंज
सरकारी स्टैंड में बस खड़ी-खड़ी कबाड़ में हो गई तब्दील

निजी बस वालों की मनमानी
गोपालगंज से पटना जाने के लिए ट्रेन रूट भी नहीं है. ऐसे में लोगों के पास एक मात्र विकल्प निजी बसों का ही रह जाता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकारी बसें नहीं होने के कारण हमें ज्यादा किराया देना पड़ता है. निजी बस वाले मनमाने तरीके पैसे वसूलते हैं. बसों में क्षमता से ज्यादा यात्री बिठाए जाते हैं, लेकिन इस ओर किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं जाता है.

पेश है खास रिपोर्ट

पथ परिवहान एक मात्र विकल्प
नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने कहा कि बिहार के सभी जिलों में पथ परिवहन विभाग की बसों का संचालन होता है, लेकिन गोपालगंज जिले के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. यहां से राजधानी का कोई सीधा ट्रेन रूट भी नहीं है. ऐसे में आवागमन के लिए पथ परिवहान एक मात्र साधन है, लेकिन एक भी सरकारी बसें यहां से नहीं चलती हैं.

गोपालगंजः जिले के लोगों को पथ परिवहन विभाग के सौतेले व्यवहार का दंश झेलना पड़ रहा है. यहां से किसी भी रूट के लिए सरकारी बसों की सेवा नहीं है. यहां तक की राजधानी पटना जाने के लिए भी लोगों को निजी बसों का ही सहारा लेना पड़ता है. जिले में चल रही निजी बसें सरकारी नियमों का पालन नहीं करती है. यात्री सुरक्षा को लेकर ये बेहद लापरवाह दिखते हैं.

गोपालगंज
सरकारी बस स्टैंड में बंद पड़ा कार्यालय

पहले चलती थी सरकारी बसें
बता दें कि पहले यहां से सरकारी बसें चलती थीं. सरकारी बस स्टैंड से सभी रूटों के लिए बसे उपलब्ध होती थीं. लेकिन धीरे-धीरे ये सेवा बंद कर दी गई. स्थानीय छात्रों ने कहा कि सरकारी बस स्टैंड पर अब ताला जड़ा है. हम लोग परीक्षा देने के लिए कहीं जाते हैं तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. निजी बसों से जाना हमें बेहद महंगा पड़ जाता है. हमारे पास उनते पैसे नहीं होते हैं.

गोपालगंज
सरकारी स्टैंड में बस खड़ी-खड़ी कबाड़ में हो गई तब्दील

निजी बस वालों की मनमानी
गोपालगंज से पटना जाने के लिए ट्रेन रूट भी नहीं है. ऐसे में लोगों के पास एक मात्र विकल्प निजी बसों का ही रह जाता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि सरकारी बसें नहीं होने के कारण हमें ज्यादा किराया देना पड़ता है. निजी बस वाले मनमाने तरीके पैसे वसूलते हैं. बसों में क्षमता से ज्यादा यात्री बिठाए जाते हैं, लेकिन इस ओर किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं जाता है.

पेश है खास रिपोर्ट

पथ परिवहान एक मात्र विकल्प
नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी ने कहा कि बिहार के सभी जिलों में पथ परिवहन विभाग की बसों का संचालन होता है, लेकिन गोपालगंज जिले के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है. यहां से राजधानी का कोई सीधा ट्रेन रूट भी नहीं है. ऐसे में आवागमन के लिए पथ परिवहान एक मात्र साधन है, लेकिन एक भी सरकारी बसें यहां से नहीं चलती हैं.

Intro:प्राइवेट बसो के सहारे यात्रियों के होती है यात्रा
----वर्षो से सरकारी बस सुविधाओ से मरहूम है जिलेवासी

गोपालगंज। आपने शायद ही कोई जिले के बारे में सुना होगा जहां यात्रियों के लिए बिहार राज्य पथ परिवहन द्वारा सरकारी बस की सुविधा प्रदान न की जाती हो। ऐसे ही जिला में एक ऐसा भी जिला गोपालगंज है जहां जिलेवासियो को प्राइवेट बसो के द्वारा यात्रा करनी पड़ती है अगर आपको राजधानी जाना होतो आपको नाही ट्रेन की सुविधा मिलेगी और नाही सरकारी बसो की सुविधा।




Body:गोपालगंज जिले में वर्षों पूर्व जिले वासियों के लिए सरकारी बस सेवा की सुविधा प्रदान की गई थी लेकिन बदलते समय के अनुसार सरकारी बस सेवा लोगों के लिए बंद हो गई है। जिस पर ना ही शासन की निगाहें जाती है और ना ही प्रशासन की। राजेन्द्र बस स्टैण्ड पर कभी सरकारी बस लगा करती थी लेकिन अब यहां प्राइवेट बस का लगी रहती है। यहां यहां रखे रखे दो बसें खराब हो गए हैं, इसके स्टैंड की कार्यालय में ताला लग गए हैं। यात्री प्राइवेट बस के सहारे यात्रा करने को मजबूर हुए हैं। यहां के लोग वर्षों से प्राइवेट बस से ही आवागमन करते हैं। सरकारी परिवहन सेवा से मरहूम यहां के लोग लंबे अरसे से सरकारी बस सुविधा के बाट जो रहे हैं। परंतु आज तक नाही इस ओर किसी जन प्रतिनिधियों ने पहल की और नाही यहां के प्रशासन ने।
सरकारी बस इस रूट पर एक नही होने से प्रत्येक घंटे बाद प्राईवेट बस सवारियां भरकर रवाना होती है। आलम यह है कि अगर आपको गोपालगंज से राजधानी जाना हो तो आपको निजी बसों का ही सहारा लेना पड़ेगा। क्योंकि नहीं यहां से रेल मार्ग की सुविधा है, और ना ही सरकारी बस की सुविधा। यहां के लोग वर्षों से इस रूट पर सरकारी बस सेवाओं का परिचालन बहाल करने की मांग करते आ रहे है। लेकिन आज तक किसी ने इनकी बातों को नहीं सुना। यहां के सड़कों दौड़ती प्राइवेट बसों में हर दिन बड़ी संख्या में यात्री आवागमन करते हैं। नतीजन निजी बसों में हर वक्त ओवरलोडिंग की स्थिति होती है। इसे न केवल निजी आपरेटरो की मनमानी जारी है, वही इससे रोडवेज की आय हो को भी क्षति हो रही है। प्राइवेट बसो से यात्रा कर रहे लोगो को ऑपरेटरों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है । सबसे अधिक छात्र-छात्राओं को होती है।

बाइट- बीरेंद्र प्रसाद, स्थानीय
बाइट-अमन राय, छात्र

सड़को पर फर्राटा भर रही बसे परिवहन नियमो को भी रौंद रही है। स्थिति यह है कि इन बस संचालको को नियम व कायदों से कोई सरोकार नही है। जिले में दौड़ रही इन अधिकांश बसो में सुरक्षा यंत्र नही है। आरटीओ के नियमानुसार तमाम सरकारी वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन होना अनिवार्य है।

बाइट-हरेंद्र चौधरी, चेयरमैन नगर परिषद( कुर्सी पर बैठे)





Conclusion:जिले में सरकारी बस सुविधा का ना होना यहां के शासन प्रशासन के उदाशीनता का परिचायक है जिससे यहां के लोगो को मनमाने किराए देकर प्राइवेट बसों से सफर करना पड़ता । साथ ही रोडवेज को काफी क्षति भी हो रही है।।
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