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बाढ़ और बारिश से बर्बाद हुई 42 हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल - गोपालगंज के किसान परेशान

गेपालगंज के किसानों ने 84 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई थी. इसमें से 42 हजार हेक्टेयर में लगाए गए फसल बर्बाद हो गए.

किसान के घर अनाज नहीं
किसान के घर अनाज नहीं
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Published : Jan 4, 2021, 11:06 PM IST

गोपालगंज. जिले के किसानों द्वारा 84 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गईं थी. लेकिन दो बार आई बाढ़ और अत्यधिक बारिश के कारण जिले के किसानों को काफी नुकसान हुआ. 42 हजार हेक्टेयर में लगाए गए फसल बर्बाद हो गए. इन किसानों की खेत में लगी फसलें बाढ़ और बारिश के पानी में डूब गईं. जिससे इन किसानों की मेहनत और धन बर्बाद हो गए. हालांकि विभाग का दावा है कि फसल क्षति का मुआवजा किसानों को दिया जाएगा.

काफी फसलें हो गईं बर्बाद

दरअसल 2020 में हर लोग परेशान रहे, चाहे आम हों या खास. वर्ष 2020 में अन्नदाता कहे जाने वाले किसान भी अछूते नहीं हैं. जिले में आई दो बार बाढ़ और अत्यधिक बारिश किसानों के लिए आफत बन कर आई. इन किसानों के अरमान पर पानी फेर दी. किसान अपनी मेहनत और पैसे लगाकर खेतों में धान की बुआई की थी. ताकि पैदवार अच्छी हो. ताकि उससे मुनाफा कमाएंगे. लेकिन शायद किसानों ने यह सोचा भी नहीं होगा कि जिस फसल को उपजाने में जान फूंक रहे हैं. वह फसल बाढ़ और बारिश के शिकार हो जाएंगे.

देखें पूरी रिपोर्ट

84 हजार हेक्टेयर में लगी थी धान

सरकारी आंकड़ों की मानें तो जिले के 14 प्रखंडों में 84 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई थी. लेकिन इसमें 42 हजार हेक्टेयर धान की फसल बाढ़ और बारिश के कारण डूब गई. इस प्रकृति आपदा में सबसे ज्यादा बैकुंठपुर, सिधवलिया बरौली प्रखंड के किसानों को नुकसान हुआ है. ऐसे में किसान काफी परेशान और मायूस हैं कि धान की फसल को तो बचा नहीं पाए. अब गेंहू के फसल का क्या होगा?

पुआल भी काम का नहीं रहा

किसानों के खेतों में आज भी बर्बाद हुई धान की फसल इस बात की गवाही दे रहे हैं. जो बचे हुई धान की फसलें थीं, उससे भी दाने नहीं निकले. जिले के किसान मिश्री भगत ने अपने धान के पुआल को दिखाते हुए कहा कि बाढ़ और बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया. पानी के कारण यह धान का पुआल भी कोई काम के नहीं रहा. सिर्फ मवेशियों के चारा के लिए ही उपयोग किया जा रहा है. वहीं किसान गोधन महतो और माकूल तिवारी ने बताया कि बाढ़ में कुछ नहीं बचा है. अब गेहूं की फसल भी बच पाएगी या नहीं यह भी संशय है. किसान तो अपना काम करते ही हैं. सरकार से मिलने वाली योजनाएं पर हम लोगों का भरोसा नहीं है.

68 हजार आवेदन कृषि अनुदान के लिए हुए प्राप्त

उन्होंने कहा, किसी भी योजना का लाभ हम लोगों को नहीं मिलता है. वहीं कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह ने कहा कि वर्ष 2020 में गेहूं भी बर्बाद हुए हैं. लेकिन सबसे ज्यादा धान की फसल का नुकसान हुआ है. फिलहाल अभी तक फसल क्षति के लिए 23 दिसंबर तक 68 हजार आवेदन कृषि अनुदान इनपुट के लिए प्राप्त हुए हैं. अन्य किसानों की फसल के क्षति का आकलन किया जा रहा है. जिसको लेकर प्रयास जारी हैं. सरकार द्वारा किसानों की फसल क्षति का लाभ दिया जाएगा.

गोपालगंज. जिले के किसानों द्वारा 84 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गईं थी. लेकिन दो बार आई बाढ़ और अत्यधिक बारिश के कारण जिले के किसानों को काफी नुकसान हुआ. 42 हजार हेक्टेयर में लगाए गए फसल बर्बाद हो गए. इन किसानों की खेत में लगी फसलें बाढ़ और बारिश के पानी में डूब गईं. जिससे इन किसानों की मेहनत और धन बर्बाद हो गए. हालांकि विभाग का दावा है कि फसल क्षति का मुआवजा किसानों को दिया जाएगा.

काफी फसलें हो गईं बर्बाद

दरअसल 2020 में हर लोग परेशान रहे, चाहे आम हों या खास. वर्ष 2020 में अन्नदाता कहे जाने वाले किसान भी अछूते नहीं हैं. जिले में आई दो बार बाढ़ और अत्यधिक बारिश किसानों के लिए आफत बन कर आई. इन किसानों के अरमान पर पानी फेर दी. किसान अपनी मेहनत और पैसे लगाकर खेतों में धान की बुआई की थी. ताकि पैदवार अच्छी हो. ताकि उससे मुनाफा कमाएंगे. लेकिन शायद किसानों ने यह सोचा भी नहीं होगा कि जिस फसल को उपजाने में जान फूंक रहे हैं. वह फसल बाढ़ और बारिश के शिकार हो जाएंगे.

देखें पूरी रिपोर्ट

84 हजार हेक्टेयर में लगी थी धान

सरकारी आंकड़ों की मानें तो जिले के 14 प्रखंडों में 84 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई थी. लेकिन इसमें 42 हजार हेक्टेयर धान की फसल बाढ़ और बारिश के कारण डूब गई. इस प्रकृति आपदा में सबसे ज्यादा बैकुंठपुर, सिधवलिया बरौली प्रखंड के किसानों को नुकसान हुआ है. ऐसे में किसान काफी परेशान और मायूस हैं कि धान की फसल को तो बचा नहीं पाए. अब गेंहू के फसल का क्या होगा?

पुआल भी काम का नहीं रहा

किसानों के खेतों में आज भी बर्बाद हुई धान की फसल इस बात की गवाही दे रहे हैं. जो बचे हुई धान की फसलें थीं, उससे भी दाने नहीं निकले. जिले के किसान मिश्री भगत ने अपने धान के पुआल को दिखाते हुए कहा कि बाढ़ और बारिश ने सब कुछ तबाह कर दिया. पानी के कारण यह धान का पुआल भी कोई काम के नहीं रहा. सिर्फ मवेशियों के चारा के लिए ही उपयोग किया जा रहा है. वहीं किसान गोधन महतो और माकूल तिवारी ने बताया कि बाढ़ में कुछ नहीं बचा है. अब गेहूं की फसल भी बच पाएगी या नहीं यह भी संशय है. किसान तो अपना काम करते ही हैं. सरकार से मिलने वाली योजनाएं पर हम लोगों का भरोसा नहीं है.

68 हजार आवेदन कृषि अनुदान के लिए हुए प्राप्त

उन्होंने कहा, किसी भी योजना का लाभ हम लोगों को नहीं मिलता है. वहीं कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह ने कहा कि वर्ष 2020 में गेहूं भी बर्बाद हुए हैं. लेकिन सबसे ज्यादा धान की फसल का नुकसान हुआ है. फिलहाल अभी तक फसल क्षति के लिए 23 दिसंबर तक 68 हजार आवेदन कृषि अनुदान इनपुट के लिए प्राप्त हुए हैं. अन्य किसानों की फसल के क्षति का आकलन किया जा रहा है. जिसको लेकर प्रयास जारी हैं. सरकार द्वारा किसानों की फसल क्षति का लाभ दिया जाएगा.

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