गोपालगंजः लॉक डाउन के कारण दूसरे राज्यो में फंसे मजदूर पैदल व साइकिल से अपने घर के लिए निकल पड़े है. हजारों किलोमीटर का सफर तय कर ये मजदूर 15 से 20 दिन बाद गोपलगंज पहुंचे. इस दौरान बिहार पहुंचते ही ये मजदूर सड़क पर कुछ घंटे के लिए एक दूसरे से लिपट कर चैन की नींद सोए हुए दिखाई दिए. नींद में इस कदर ये लिपट कर सोए थे कि इन्हें सोशल डिस्टेंसन का एहसास भी नहीं था.
लॉक डाउन में फंसे मजदूर
दरअसल, कोरोना महामारी के कारण पूरे देश मे लॉक डाउन लागू होने के कारण मजदूरों के समान भुखमरी की स्थिति उत्पन होने लगी है. जिस कारण ये मजदूर पैदल ही जयपुर लुधियाना से अपने मुकाम के लिए निकल पड़े है. ये मजदूर हजारों किलोमीटर के सफर तय कर 15 से 20 दिन बाद गोपालगंज पहुंचे. इस दौरान ये मजदूर जिले के बल्थरी चेकपोस्ट पर सड़क व बस के नीचे जिसे जहां जैसी व्यवस्था मिली. वह अपनी थकावट को मिटाने के लिए कुछ घण्टे के लिए सो गए. वहीं, तपती धूप में पैदल चलकर आए दर्जनों मजदूर एक दूसरे से लिपट कर सोए थे. जिन्हें ना ही कोरोना का खौफ था और ना हीं सोशल डिस्टेंस का पालन कराने वाले पुलिस का भय.
मजदूर पैदल ही निकल पड़े अपने गंतव्य पर
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में लॉक डाउन में फंसे बिहार के मजदूर, छात्रों को लौटने के लिए अनुमति दे दी है. जिसके बाद यूपी बिहार की सीमा पर गोपालगंज प्रशासन की ओर से मुकम्मल तैयारी शुरू कर दी गई है और इन प्रवासियों को यूपी बिहार सीमा पर से ही बस से इनके जिले तक पहुंचाई जा रही है.
मजदूरों को हो रही खाने-पीने की समस्या
इस सन्दर्भ में प्रवासी मजदूर मनीष यादव ने बताया कि राजस्थान से हम सभी पैदल चले है. हम सभी बहुत परेशान है. सुबह में 4 बजे 50 लोग यहां पहुंचे है और अब तक खाने को नहीं मिला है. वहीं, उसने बताया कि कंपनी बंद होने के बाद हम लोगों ने लौटने का फैसला लिया.
वहीं, धर्मेंद्र यादव ने बताया कि जयपुर से हम सभी पैदल बिहार के सीतामढ़ी के लिए निकल पड़े है. लॉक डाफन होने के बाद घर जाने का फैसला लिया. करीब 20 दिन में पैदल चलकर यहां पहुंचे है और खाने-पीने की समस्या हो रही थी.