गोपालगंज: आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राम भक्तों में उत्साह और उमंग है. वहीं कई राम भक्त इस पावन अवसर को यादगार बनाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. गोपालगंज के कारसेवक विनय कुमार राय को भी कार्यक्रम में आने के निमंत्रण मिला है.
गोपालगंज के कारसेवक विनय की संघर्ष की कहानी: इस पावन दिन को सफल बनाने के लिए कई कार सेवकों ने कई यातनाएं झेलते हुए इसे सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाई. उन्हीं कारसेवकों में एक गोपालगंज शहर के निवासी विनय कुमार राय का हैं. विनय पूरे बिहार में एक ऐसे कारसेवक थे जिनपर सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया था. लेकिन साक्ष्य के अभाव में विनय को वर्ष 2020 मे बरी कर दिया गया. सीबीआई ने 54 वीडियो, 108 ऑडियो, 52 किलो के करीब दो हजार पन्नों के आरोप पत्र को समर्पित किया था.
'लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आया ये दिन': विनय से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. विनय बताते हैं कि आज काफी खुश हैं कि उनके आंखों के सामने भगवान श्री रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. इस दिन के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई. दरअसल इस संदर्भ में राम भक्त विनय राय ने बताया कि जब वे विद्यार्थी परिषद में थे, उस वक्त उनकी उम्र महज 20 से 21 वर्ष की थी.
"साल 1989 से राम जन्मभूमि की चर्चा चारों ओर हो रही थी. वर्ष 1989 में रामशिला पूजन पूरे देश भर में आयोजित की गई, जिसमे देश भर के लोगों द्वारा सवा रुपया दान दिया गया. यह कुल 9 करोड़ से ज्यादा हो गई. 30 अक्टूबर 1990 में विश्व हिंदू परिषद द्वारा अयोध्या चलो का नारा दिया गया."- विनय कुमार राय, कारसेवक
डीएम के कैबिन में घुसकर किया था विरोध: उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थल पर राम के नाम लेने पर पाबंदी लगा दी गई थी लेकिन विनय और उनके कुछ लोगों ने शहर के मौनिया चौक पर सुबह पांच बजे श्री राम जय राम जय जय राम का कीर्तन शुरू कर दिए. इसके बाद 10 बजे विनय के नेतृत्व में सैकड़ों लोग डीएम के चेंबर में घुस गए और कार्य का बहिष्कार करने लगे.
विनय समेत 117 लोगों की हुई थी गिरफ्तारी: किसी तरह के कार्य करने पर रोक लगाने लगे, जिसके बाद पुलिस ने विनय समेत 117 लोगों को गिरफ्तार कर लिया और 12 दिनों तक कैंप जेल में बंद कर दिया. इस बीच सभी राम भक्तों को सूचना मिली कि कारसेवकों पर लाठीचार्ज और गोली चली है. विनय समेत गिरफ्तार लोगों ने भूख हड़ताल शुरू कर दिया.
गुंबद में चढ़ गए थे विनय और उनके साथी: वहीं कारसेवकों पर हुए हमले से आहत विनय मूर्छित होकर गिर गए और बेहोश हो गए. इलाज कर उन्हें मुक्त किया गया. इसी बीच 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अयोध्या में एकत्रित होने के लिए 29 नवंबर को प्रस्थान किया, जहां 6 दिसंबर को विनय कुछ अन्य साथियों के साथ गुंबद पर चढ़ गए.
गुंबद गिरने से हो गए थे बेहोश: अपने बीते दिनों को याद कर विनय बताते हैं कि हम तीन लोग पहले गुंबद पर चढ़ गए थे. इसी बीच गुंबद गिरने लगी, जिसके बाद मैं कूद गया. वहीं गुंबद से दब कर एक कारसेवक की मौत हो गई थी. शरीर के कई हिस्से की हड्डी टूट गई और बेहोश हो गया था. बेहोश होने के बाद उन्हें श्री राम अस्पताल अयोध्या में भर्ती कराया गया.
दो कारसेवकों की हुई थी मौत: अस्पताल से 29 लोगों को फैजाबाद के लिए रेफर कर दिया गया लेकिन दो कारसेवकों की उसमें मौत हो गई थी. इसमें 27 लोग बचे थे. 8 दिसंबर को जब आंख खुली तो केंद्रीय फोर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और फैजाबाद जेल में भेज दिया था.
साक्ष्य के अभाव में 2020 में किया गया बरी: 13 दिसंबर को फैजाबाद जेल में बंद लोगों को सीबीआई को सुपुर्द किया गया, जिसमें सीबीआई के डायरेक्टर एम नारायण के अलावा कई अन्य अधिकारी भी शामिल थे. 6 माह के बाद विनय राय अशोक सिंघल, मुरली मनोहर जोशी, बाला साहब ठाकरे, ऋतंभरा, उमा भारती, महंत अवैद्यनाथ, चंपत राय समेत 49 लोगों पर आरोप पत्र सीबीआई ने दायर किया. लेकिन साक्ष्य के अभाव में सभी लोगों को सीबीआई कोर्ट ने वर्ष 2020 में बरी कर दिया.
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