गोपालगंजः थावे प्रखंड के इंदरवा साकिर गांव का स्वास्थ्य उपकेंद्र आज सरकारी उपेक्षा और विभागीय लापरवाही के कारण बंद हो गया है. अब यह स्वास्थ्य उपकेंद्र महज एक तबेला बनकर रह गया है जबकि सूबे के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम इसी गांव के निवासी हैं. इसके बावजूद यहां के लोगों को स्वास्थ्य व्यवस्था से वंचित हैं.
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अस्पतालों में नहीं मिल रहे हैं बेड
दरअसल, सूबे के सीएम नीतीश कुमार स्वास्थ्य व्यवस्था में बेहतरी के चाहे जितने दावे करें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. एक ओर जहां कोरोना संक्रमण से लोग परेशान हैं. अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बेड नहीं मिल रहे हैं. टेंट लगाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. कई मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. वहीं, कई स्वास्थ्य केंद्र या तो बंद पड़े हैं या फिर स्वास्थ्य कर्मी नहीं आते हैं.
15 वर्षों से नहीं हुई चहलकदमी
सूबे के खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम जिले के थावे प्रखंड का इंदरवा शाकिर गांव के मूल निवासी हैं. इस गांव में आज भी उनके परिवार के कुछ सदस्य रहते हैं. लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिये वर्षों पूर्व इस गांव में सरकार द्वारा स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण कराया गया था. शुरुआती के कुछ वर्षों तक यहां स्वास्थ्य कर्मी सप्ताह में एक बार आते थे. लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलती थी, लेकिन पिछले 15 वर्षों से अब एक भी स्वास्थ्य कर्मी नहीं आता.
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अब दिखता है मवेशी अस्पताल जैसा नजारा
अब यह स्वास्थ्य उपकेंद्र सिर्फ तबेला बनकर रह गया है. आसपास के लोग अपने मवेशियों को यहां बांधते हैं. इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में 3 कमरे हैं. तीनों कमरों में ताला लगा हुआ है. इनमें मवेशी बांधे जाते हैं.
इस स्वास्थ्य उपकेंद्र को देख आपको ऐसा लगेगा होगा कि मवेशियों का अस्पताल है. इसकी बदहाली की तस्वीरें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि गोपालगंज जिले से तीन-तीन मंत्री हैं.
गोरखपुर में करवाते हैं इलाज
बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बगल के जिले से आते हैं. फिर भी यहां के स्वास्थ्य उप केंद्रों की यही स्थिति है. राजनीतिक विद्वेष के चलते नीतीश सरकार ने यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को इतना जर्जर बना दिया है कि जिले वासियों को इलाज के लिए गोरखपुर जाना पड़ता है.
बहरहाल बिहार सरकार का दावा है कि हमने गांव-गांव तक स्वास्थ्य व्यवस्था को पहुंचा दिया है. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की हालत देखकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जब राज्य के एक मंत्री के गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी जर्जर है तो अन्य गांवों की स्थिति कैसी होगी.
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