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गोपालगंज : इमरजेंसी वार्ड में बेड के लिए भटकते रहे मरीज, कोई स्ट्रेचर पर तो कोई चेयर पर कराया इलाज - गोपालगंज सदर अस्पताल स्वास्थ्य सुविधा की खुली पोल

गोपालगंज के सदर अस्पताल में बेड नहीं मिलने से मरीज परेशानी झेलने को विवश हैं. गोपालगंज के सदर अस्पताल की बदहाल हालत (Bad Condition of Sadar Hospital Gopalganj)से मरीज परेशान हो रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

Health facility exposed of Gopalganj Sadar Hospital
Health facility exposed of Gopalganj Sadar Hospital
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Published : Dec 2, 2022, 10:28 PM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने के दावा वाले सदर अस्पताल की उस वक्त पोल खुलते हुए नजर (Health facility of Sadar Hospital exposed) आई. जब मरीजो के भर्ती करने के लिए बेड की कमी हो गई. बेड के अभाव में गंभीर मरीज इधर उधर भटकते हुए नजर आए. साथ ही किसी का ईलाज स्ट्रेचर पर हुआ तो किसी का चेयर पर. हालांकि तीन घण्टे बाद मरीजो को अन्य जगह शिफ्ट कर ईलाज किया गया.

ये भी पढ़ें:लापरवाही: खुलेआम फेंका जा रहा अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट, संक्रामक रोगों को दे रहा निमंत्रण

देखें वीडियो.

गोपालगंज सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल: दरअसल मिशन 60 के तहत स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बहाल करने का दावा स्वास्थ्य विभाग लगातार कर रही है लेकिन जमीन हकीकत उस वक्त समाने आई. जब मरीज बेड के अभाव में स्ट्रेचर एवं चेयर पर बैठ कर इलाज कराते हुए नजर आए. आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शुक्रवार को मरीज बेड के अभाव में पुरे दिन परेशान रहे कोई स्ट्रेचर पर तो कोई बाहर चेयर पर बैठकर इलाज करा बेड का इंतजार करता रहा.

मरीज के साथ-साथ परिजन भी बेड को लेकर परेशान रहे. बता दें कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में 27 बेड लगाएं गए है. जहां एक साथ 27 मरीजो के भर्ती करने की व्यवस्था है, लेकिन शुक्रवार को अधिकांश दुर्घटनाएं और मारपीट की घटना के चलते अचानक इमरजेंसी वार्ड में मरीजो की संख्या काफी बढ़ गई. आलम यह था कि मरीज से सभी बेड भरा हुआ था.

मरीज बैठ कर करा रहे इलाज: कई बेड पर तो दो की संख्या में मरीज बैठ कर इलाज करा रहे थे. लक्षवार के पास हुई सड़क दुर्घटना के मरीज राम सागर और धनंजय आदि ने बताया कि काफी मशक्कत के बाद बेड की व्यवस्था हो पाई. कटेया थाना क्षेत्र से आई मारपीट में घायल महिला मरीज रमिता देवी घायला अवस्था में अपने बच्चें को गोद में लेकर बेड के अभाव में दो घंटे तक चेयर पर बैठी रही, फिर भी उनका इलाज शुरू नहीं हो सका. वही महमदपुर के उग्रसेन महरानी गांव की ललिता देवी मारपीट में घायल थी, जिनका इलाज स्ट्रेचर पर चल रहा था. पुरे दिन मरीज परेशान रहे लेकिन उनकी सुध लेने वाला अस्पताल प्रशासन का एक भी व्यक्ति उनसे मिलने तक नहीं आया.

सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में हर रोज तकरीबन 100 से 150 मरीज इलाज के लिए पहुंचते है. ऐसे में 27 बेड होने के चलते मरीजों मात्र 27 मरीज की भर्ती हो पाते हैं. जबकि अन्य मरीज या तो रेफर कर दिए जाते है या फिर अपनी बारी का बैठकर इंतजार करते हैं.

"कभी-कभी मरीजो की भीड़ बढ़ जाती है. आज भी अचानक बढ़ गयी थी. भीड़ बढने के बाद दो अलग से बेड लगाया गया फिर भी भीड़ कंट्रोल नहीं हो सकी है. एक घंटे के भीतर कुछ मरीजो को जो डिस्चार्ज करने लायक थे. उन्हें करके स्थिति को कंट्रोल किया गया है." :- डॉ बिरेन्द्र प्रसाद, सिविल सर्जन


ये भी पढ़ें :बच्चों को दी जानेवाली दवाइयां अस्पताल में रखे-रखे हो गई एक्सपायर, कौन है जिम्मेदार?

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने के दावा वाले सदर अस्पताल की उस वक्त पोल खुलते हुए नजर (Health facility of Sadar Hospital exposed) आई. जब मरीजो के भर्ती करने के लिए बेड की कमी हो गई. बेड के अभाव में गंभीर मरीज इधर उधर भटकते हुए नजर आए. साथ ही किसी का ईलाज स्ट्रेचर पर हुआ तो किसी का चेयर पर. हालांकि तीन घण्टे बाद मरीजो को अन्य जगह शिफ्ट कर ईलाज किया गया.

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देखें वीडियो.

गोपालगंज सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल: दरअसल मिशन 60 के तहत स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बहाल करने का दावा स्वास्थ्य विभाग लगातार कर रही है लेकिन जमीन हकीकत उस वक्त समाने आई. जब मरीज बेड के अभाव में स्ट्रेचर एवं चेयर पर बैठ कर इलाज कराते हुए नजर आए. आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शुक्रवार को मरीज बेड के अभाव में पुरे दिन परेशान रहे कोई स्ट्रेचर पर तो कोई बाहर चेयर पर बैठकर इलाज करा बेड का इंतजार करता रहा.

मरीज के साथ-साथ परिजन भी बेड को लेकर परेशान रहे. बता दें कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में 27 बेड लगाएं गए है. जहां एक साथ 27 मरीजो के भर्ती करने की व्यवस्था है, लेकिन शुक्रवार को अधिकांश दुर्घटनाएं और मारपीट की घटना के चलते अचानक इमरजेंसी वार्ड में मरीजो की संख्या काफी बढ़ गई. आलम यह था कि मरीज से सभी बेड भरा हुआ था.

मरीज बैठ कर करा रहे इलाज: कई बेड पर तो दो की संख्या में मरीज बैठ कर इलाज करा रहे थे. लक्षवार के पास हुई सड़क दुर्घटना के मरीज राम सागर और धनंजय आदि ने बताया कि काफी मशक्कत के बाद बेड की व्यवस्था हो पाई. कटेया थाना क्षेत्र से आई मारपीट में घायल महिला मरीज रमिता देवी घायला अवस्था में अपने बच्चें को गोद में लेकर बेड के अभाव में दो घंटे तक चेयर पर बैठी रही, फिर भी उनका इलाज शुरू नहीं हो सका. वही महमदपुर के उग्रसेन महरानी गांव की ललिता देवी मारपीट में घायल थी, जिनका इलाज स्ट्रेचर पर चल रहा था. पुरे दिन मरीज परेशान रहे लेकिन उनकी सुध लेने वाला अस्पताल प्रशासन का एक भी व्यक्ति उनसे मिलने तक नहीं आया.

सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में हर रोज तकरीबन 100 से 150 मरीज इलाज के लिए पहुंचते है. ऐसे में 27 बेड होने के चलते मरीजों मात्र 27 मरीज की भर्ती हो पाते हैं. जबकि अन्य मरीज या तो रेफर कर दिए जाते है या फिर अपनी बारी का बैठकर इंतजार करते हैं.

"कभी-कभी मरीजो की भीड़ बढ़ जाती है. आज भी अचानक बढ़ गयी थी. भीड़ बढने के बाद दो अलग से बेड लगाया गया फिर भी भीड़ कंट्रोल नहीं हो सकी है. एक घंटे के भीतर कुछ मरीजो को जो डिस्चार्ज करने लायक थे. उन्हें करके स्थिति को कंट्रोल किया गया है." :- डॉ बिरेन्द्र प्रसाद, सिविल सर्जन


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