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गोपालगंज: स्वास्थ्य संविदा कर्मियों की हड़ताल दूसरे दिन भी रही जारी - strike

संविदा कर्मियों का कहाना है कि विगत कई वर्षों से विभाग में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं और स्वास्थ्य से संबंधित केंद्र व राज्य सरकार के कार्यक्रमों का सफल संचालन कर रहे हैं, साथ ही कोरोना काल में भी दिन रात मेहनत करते रहे है, लेकिन बावजूद इसके सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.

Gopalganj
स्वास्थ्य संविदा कर्मियों की हड़ताल दूसरे दिन भी रही जारी
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Published : Aug 24, 2020, 10:42 PM IST

गोपालगंज: जिले में सोमवार को अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों की हड़ताल सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रही. वहीं, संविदा कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिले की स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गई है.

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मी अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर पूर्व में भी हड़ताल कर चुके है, लेकिन तब सरकार ने अश्वासन देकर हड़ताल को समाप्त करावा दिया था, लेकिन आश्वसन पूरा नही होता देख कर्मियों का सब्र फिस टुट गया और एक बार फ़िर प्रदेश स्तरीय हड़ताल की शुरुआत कर दी गई. इस दौरान सदर अस्पताल के राज्य स्वास्थ्य समिति कार्यालय के मुख्य गेट पर दो दर्जन से ज्यादा स्वास्थ्य संविदा कर्मियों ने धरने पर बैठ कर विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी भी कि है.

सरकार कर रही सौतेला व्यवहार
इस दौरान संविदा कर्मियों का कहाना था कि विगत कई वर्षों से विभाग में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं और स्वास्थ्य से संबंधित केंद्र व राज्य सरकार के कार्यक्रमों का सफल संचालन कर रहे हैं, साथ ही कोरोना काल में भी दिन रात मेहनत करते रहे है, लेकिन बावजूद इसके सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.

सरकार पर लगाया आरोप
उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने सरकार के समक्ष अपनी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया था और जुलाई महीने में हड़ताल किए जाने पर सरकार के द्वारा सहानूभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन एक महीने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई, तो मजबूरन हमें हड़ताल पर जाने के लिए विवश होना पड़ा.

संविदा कर्मियों की मांगें

  • उपकेंद्र तक प्रबंधकीय कैडर कर्मियों को एक महीने का समतुल्य प्रोत्साहन राशि दी जाये.
  • संविदा कर्मियों को लिये पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कोड लागू कर समायोजन करते हुए नियमित किया जाये.
  • 2011 से लंबित मानदेय को पुनरीक्षित किया जाये.
  • फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा लागू की जाये.
  • नियमितीकरण प्रक्रिया होने तक एचआर पॉलिसी लागू कर चयनमुक्त प्रथा को समाप्त किया जाये.
  • सेवाकाल के दौरान आकस्मिक निधन होने पर उनके आश्रितों को 25 लाख रुपये क्षतिपूर्ति सहित परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाये.

गोपालगंज: जिले में सोमवार को अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों की हड़ताल सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रही. वहीं, संविदा कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिले की स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गई है.

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मी अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर पूर्व में भी हड़ताल कर चुके है, लेकिन तब सरकार ने अश्वासन देकर हड़ताल को समाप्त करावा दिया था, लेकिन आश्वसन पूरा नही होता देख कर्मियों का सब्र फिस टुट गया और एक बार फ़िर प्रदेश स्तरीय हड़ताल की शुरुआत कर दी गई. इस दौरान सदर अस्पताल के राज्य स्वास्थ्य समिति कार्यालय के मुख्य गेट पर दो दर्जन से ज्यादा स्वास्थ्य संविदा कर्मियों ने धरने पर बैठ कर विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी भी कि है.

सरकार कर रही सौतेला व्यवहार
इस दौरान संविदा कर्मियों का कहाना था कि विगत कई वर्षों से विभाग में अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं और स्वास्थ्य से संबंधित केंद्र व राज्य सरकार के कार्यक्रमों का सफल संचालन कर रहे हैं, साथ ही कोरोना काल में भी दिन रात मेहनत करते रहे है, लेकिन बावजूद इसके सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.

सरकार पर लगाया आरोप
उन्होंने बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ ने सरकार के समक्ष अपनी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया था और जुलाई महीने में हड़ताल किए जाने पर सरकार के द्वारा सहानूभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन एक महीने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई, तो मजबूरन हमें हड़ताल पर जाने के लिए विवश होना पड़ा.

संविदा कर्मियों की मांगें

  • उपकेंद्र तक प्रबंधकीय कैडर कर्मियों को एक महीने का समतुल्य प्रोत्साहन राशि दी जाये.
  • संविदा कर्मियों को लिये पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कोड लागू कर समायोजन करते हुए नियमित किया जाये.
  • 2011 से लंबित मानदेय को पुनरीक्षित किया जाये.
  • फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा लागू की जाये.
  • नियमितीकरण प्रक्रिया होने तक एचआर पॉलिसी लागू कर चयनमुक्त प्रथा को समाप्त किया जाये.
  • सेवाकाल के दौरान आकस्मिक निधन होने पर उनके आश्रितों को 25 लाख रुपये क्षतिपूर्ति सहित परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाये.
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