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International Women's Day 2023: खुद से ट्रैक्टर चलाकर खेत जोतती हैं जैबुनिशा, सैकड़ों महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

ट्रैक्टर लेडी के नाम से मशहूर जैबुनिशा (Gopalganj tractor lady Jaibunisha Story) खुद से ट्रैक्टर चलाकर खेती करती हैं और सैकड़ों महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाया है. वह स्वयं सहायता समूह भी चलाती हैं और कई महिलाओं को इससे जोड़कर रोजगार के अवसर मुहैया कराया है. जैबुनिशा ने इलाके में नजीर पेश की है. इस महिला दिवस ऐसी महिलाओं की कहानी कईयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है. पढ़ें पूरी खबर..

गोपालगंज की ट्रैक्टर लेडी जैबुनिशा की कहानी
गोपालगंज की ट्रैक्टर लेडी जैबुनिशा की कहानी
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Published : Mar 8, 2023, 6:29 AM IST

Updated : Mar 8, 2023, 6:43 AM IST

गोपालगंज की ट्रैक्टर लेडी जैबुनिशा

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज में एक ऐसी महिला है, जिसने जज्बे और साहस से हर मुश्किल को आसान कर दिया है. उस महिला ने ना सिर्फ खुद को सबल बनाया, बल्कि आसपास के सैकड़ों महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाया है. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐसी महिलाओं की कहानी बरबस प्रासंगिक सी हो गई है. ट्रैक्टर लेडी के नाम से मशहूर जैबुनिशा खुद से ट्रैक्टर चलाकर (Gopalganj Jaibunisha drive tracto) खेत जोतती है और गांव की सैकड़ों महिलाओं को प्रेरित कर आत्मनिर्भर भी बनाया है.

ये भी पढ़ेंः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022ः महिलाओं ने संभाली पटना सासाराम इंटरसिटी ट्रेन की कमान

समाज को नई दिशा दे रही जैबुनः जैबुनिशा ने समाज में एक मिसाल कायम की है.एक प्रेरणास्त्रोत बनी है. जैबुनिशा एक ऐसी महिला है जिन्होंने समाज के तानाबाना को दरकिनार कर सच्ची लगन और मेहनत कर महिला होते हुए खुद ट्रैक्टर चलाकर खेती करती है और खेती से जुड़े रहने के लिए लोगों से अपील भी करती है. बिहार के गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुचायकोट प्रखंड के बरनैया गोखुल गांव की रहने वाली जुझारू महिला जैबुनिशा आज भले 56 बसंत पार कर चुकी है, लेकिन अनपढ़ होते हुए भी उन्होंने जो कर दिखाया है, वो शायद हीं कोई कर पायेगा.

टीवी पर देख मिली प्रेरणा: जैबुनिशा ने न सिर्फ कड़ी मेहनत व लगन से अपनी गरीबी का डट कर सामना किया, बल्कि गांव की 250 से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया. लोग उन्हें बहुत प्यार और सम्मान देते हैं.वर्ष 1998 में जैबुन्निशा हरियाणा में अपने एक रिश्तेदार के पास गई थी. वहां जैबुनिशा टीवी पर केरल के किसी गांव पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी. उसमें महिलाएं स्वयं सहायता समूह के बारे में बता रही थी. इसे देखने के बाद उन्होंने भी अपने गांव की महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही करने का सोचा.

घर-घर जाकर लोगों को समझायाः फिर गांव आकर गांव की महिलाओं से स्वयं सहायता समूह के बारे में बात की और उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया, लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि पैसे लेकर बैंक भाग जाएगा, लेकिन जैबुन उन लोगों को समझाती की अगर पैसा बैंक लेकर भाग जाएगा तो हम आपके घर काम करके पैसे को चुकता करेंगे. जैबुन की राह इतनी आसान नहीं थी. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. इसका नतीजा हुआ कि कई महिला उससे जुड़ने लगी. महिलाएं जैबुन के बात को समझने लगी और उसपर विश्वास कर तैयार हो गईं. उन महिलाओं के साथ जैबुनिशा ने स्वयं सहायता समूह का गठन किया.

ट्रैक्टर खरीदा और खुद से चलाना सीखाः जैबुनिशा ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बैंक में खाता खुलवाया और महिलाओं को पैसे जमा करने को प्रेरित करती रहीं और खुद भी पैसा जमा करने लगी. फिर ग्रामीण बैंक से ऋण लेकर ट्रैक्टर खरीदा. इसके बाद उन्होेने खुद से ट्रैक्टर चलाने की ठान ली. फिर जैबुनिशा ने खुद से ट्रैक्टर चलाना सीखा और खेतों में काम करने लगीं. लोग हैरान हुए, लेकिन आज जैबुनिशा अपने कड़े परिश्रम के बल पर अपने परिवार के खुशहाल जीवन के साथ सैकड़ों परिवारों में खुशहाली लाने में जुटी हुयी हैं.

महज नौ वर्ष की उम्र में हो गया था निकाह: आज जीवन के 56 वर्ष गुजर चुकी जैबुनिशा की जीवन यात्रा मुश्किलों से भरी हुई थी. उनका विवाह 9 साल उम्र में ही हो गया था. बरनैया गोखुल गांव के हिदायत मियां से वर्ष 1967 में निकाह हुआ. नौ साल की जैबुन्निशा आज 56 साल से ज्यादा की हैं. इतने दिनों में उन्होंने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे. वह बताती हैं कि घर की माली हालत ठीक नहीं थी. इसलिए खेतों में मजदूरी करनी पड़ी. शुरुआती दिनों में गांव की 10 महिलाओं तथा छोटी सी पूंजी से स्वयं सहायता समूह का गठन कर काम शुरू करने वाली जैबुनिशा ने अब तक बीस से ज्यादा समूहों का गठन कराया है और आज जैबुन के प्रयासों का ही नतीजा है कि गांव की 250 से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का पालन-पोषण बेहतर ढंग से कर रही हैं.

जैबुनिशा में हमेशा कुछ नया सीखने की ललक थीः जैबुनिशा ने भले ही कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा और न ही घर पर किसी ने उनको पढ़ाया. न ही उनकी इच्छा को तवज्जो दिया. इसके बावजूद उनमें हमेशा कुछ नया सीखने की ललक रखती थी. आज प्रखंड की सैकड़ों महिला जैबुनिशा की प्रेरणा से समूहों का निर्माण कर एक खुशहाल तथा आत्मनिर्भर जीवन जीने के प्रयास में आगे बढ़ रही हैं. जैबुनिशा के इस हौसले को सलाम है.

"हरियाणा में अपने एक रिश्तेदार के पास गई थी. वहां जैबुनिशा टीवी पर केरल के किसी गांव पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी. उसमें महिलाएं स्वयं सहायता समूह के बारे में बता रही थी. इसे देखने के बाद मैंने भी अपने गांव की महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही करने का सोचा. फिर गांव आकर गांव की महिलाओं से स्वयं सहायता समूह के बारे में बात की और उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया, लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि पैसे लेकर बैंक भाग जाएगा. उन लोगों को समझाती की अगर पैसा बैंक लेकर भाग जाएगा तो हम आपके घर काम करके पैसे को चुकता करेंगे" -जैबुनिशा, ट्रैक्टर लेडी

गोपालगंज की ट्रैक्टर लेडी जैबुनिशा

गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज में एक ऐसी महिला है, जिसने जज्बे और साहस से हर मुश्किल को आसान कर दिया है. उस महिला ने ना सिर्फ खुद को सबल बनाया, बल्कि आसपास के सैकड़ों महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाया है. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐसी महिलाओं की कहानी बरबस प्रासंगिक सी हो गई है. ट्रैक्टर लेडी के नाम से मशहूर जैबुनिशा खुद से ट्रैक्टर चलाकर (Gopalganj Jaibunisha drive tracto) खेत जोतती है और गांव की सैकड़ों महिलाओं को प्रेरित कर आत्मनिर्भर भी बनाया है.

ये भी पढ़ेंः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022ः महिलाओं ने संभाली पटना सासाराम इंटरसिटी ट्रेन की कमान

समाज को नई दिशा दे रही जैबुनः जैबुनिशा ने समाज में एक मिसाल कायम की है.एक प्रेरणास्त्रोत बनी है. जैबुनिशा एक ऐसी महिला है जिन्होंने समाज के तानाबाना को दरकिनार कर सच्ची लगन और मेहनत कर महिला होते हुए खुद ट्रैक्टर चलाकर खेती करती है और खेती से जुड़े रहने के लिए लोगों से अपील भी करती है. बिहार के गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुचायकोट प्रखंड के बरनैया गोखुल गांव की रहने वाली जुझारू महिला जैबुनिशा आज भले 56 बसंत पार कर चुकी है, लेकिन अनपढ़ होते हुए भी उन्होंने जो कर दिखाया है, वो शायद हीं कोई कर पायेगा.

टीवी पर देख मिली प्रेरणा: जैबुनिशा ने न सिर्फ कड़ी मेहनत व लगन से अपनी गरीबी का डट कर सामना किया, बल्कि गांव की 250 से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया. लोग उन्हें बहुत प्यार और सम्मान देते हैं.वर्ष 1998 में जैबुन्निशा हरियाणा में अपने एक रिश्तेदार के पास गई थी. वहां जैबुनिशा टीवी पर केरल के किसी गांव पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी. उसमें महिलाएं स्वयं सहायता समूह के बारे में बता रही थी. इसे देखने के बाद उन्होंने भी अपने गांव की महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही करने का सोचा.

घर-घर जाकर लोगों को समझायाः फिर गांव आकर गांव की महिलाओं से स्वयं सहायता समूह के बारे में बात की और उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया, लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि पैसे लेकर बैंक भाग जाएगा, लेकिन जैबुन उन लोगों को समझाती की अगर पैसा बैंक लेकर भाग जाएगा तो हम आपके घर काम करके पैसे को चुकता करेंगे. जैबुन की राह इतनी आसान नहीं थी. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. इसका नतीजा हुआ कि कई महिला उससे जुड़ने लगी. महिलाएं जैबुन के बात को समझने लगी और उसपर विश्वास कर तैयार हो गईं. उन महिलाओं के साथ जैबुनिशा ने स्वयं सहायता समूह का गठन किया.

ट्रैक्टर खरीदा और खुद से चलाना सीखाः जैबुनिशा ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बैंक में खाता खुलवाया और महिलाओं को पैसे जमा करने को प्रेरित करती रहीं और खुद भी पैसा जमा करने लगी. फिर ग्रामीण बैंक से ऋण लेकर ट्रैक्टर खरीदा. इसके बाद उन्होेने खुद से ट्रैक्टर चलाने की ठान ली. फिर जैबुनिशा ने खुद से ट्रैक्टर चलाना सीखा और खेतों में काम करने लगीं. लोग हैरान हुए, लेकिन आज जैबुनिशा अपने कड़े परिश्रम के बल पर अपने परिवार के खुशहाल जीवन के साथ सैकड़ों परिवारों में खुशहाली लाने में जुटी हुयी हैं.

महज नौ वर्ष की उम्र में हो गया था निकाह: आज जीवन के 56 वर्ष गुजर चुकी जैबुनिशा की जीवन यात्रा मुश्किलों से भरी हुई थी. उनका विवाह 9 साल उम्र में ही हो गया था. बरनैया गोखुल गांव के हिदायत मियां से वर्ष 1967 में निकाह हुआ. नौ साल की जैबुन्निशा आज 56 साल से ज्यादा की हैं. इतने दिनों में उन्होंने जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे. वह बताती हैं कि घर की माली हालत ठीक नहीं थी. इसलिए खेतों में मजदूरी करनी पड़ी. शुरुआती दिनों में गांव की 10 महिलाओं तथा छोटी सी पूंजी से स्वयं सहायता समूह का गठन कर काम शुरू करने वाली जैबुनिशा ने अब तक बीस से ज्यादा समूहों का गठन कराया है और आज जैबुन के प्रयासों का ही नतीजा है कि गांव की 250 से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का पालन-पोषण बेहतर ढंग से कर रही हैं.

जैबुनिशा में हमेशा कुछ नया सीखने की ललक थीः जैबुनिशा ने भले ही कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा और न ही घर पर किसी ने उनको पढ़ाया. न ही उनकी इच्छा को तवज्जो दिया. इसके बावजूद उनमें हमेशा कुछ नया सीखने की ललक रखती थी. आज प्रखंड की सैकड़ों महिला जैबुनिशा की प्रेरणा से समूहों का निर्माण कर एक खुशहाल तथा आत्मनिर्भर जीवन जीने के प्रयास में आगे बढ़ रही हैं. जैबुनिशा के इस हौसले को सलाम है.

"हरियाणा में अपने एक रिश्तेदार के पास गई थी. वहां जैबुनिशा टीवी पर केरल के किसी गांव पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी. उसमें महिलाएं स्वयं सहायता समूह के बारे में बता रही थी. इसे देखने के बाद मैंने भी अपने गांव की महिलाओं के लिए कुछ ऐसा ही करने का सोचा. फिर गांव आकर गांव की महिलाओं से स्वयं सहायता समूह के बारे में बात की और उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया, लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि पैसे लेकर बैंक भाग जाएगा. उन लोगों को समझाती की अगर पैसा बैंक लेकर भाग जाएगा तो हम आपके घर काम करके पैसे को चुकता करेंगे" -जैबुनिशा, ट्रैक्टर लेडी

Last Updated : Mar 8, 2023, 6:43 AM IST

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