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गोपालगंज के इस संस्कृत स्कूल में देववाणी संस्कृत पढ़ रही हैं मुस्लिम युवतियां

राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल में पढ़ने वाली शबनम शालीनता से संस्कृत के श्लोक का पाठ करती है. उसके साथ गांव की कई और युवतियां भी शामिल है. इनका परिवार भी इस मामले में उनपर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाता

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Published : Nov 28, 2019, 2:14 PM IST

radhakrishna sanskrit high school
राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल

गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के बथनाकुटी गांव में स्थित राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल में शबनम और उसके संप्रदाय की कई युवतियां संस्कृत की पढ़ाई कर रही हैं. एक ओर जहां इंग्लिश मीडियम स्कूल का चलन बढ़ता जा रहा है वहीं यह स्कूल एक अनोखी तस्वीर पेश कर रहा है.

Radhakrishna Sanskrit High School
राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल की परिसर

मुस्लिम संप्रदाय की युवतियां पढ़ रही संस्कृत
स्कूल में पढ़ने वाली शबनम बेहद शालीनता से संस्कृत के श्लोक का पाठ करती है. वो अकेली नहीं जो देववाणी में श्लोक और दूसरी विधाएं पढ़ रही है. उसके साथ गांव की कई और युवतियां भी शामिल है. इनका परिवार भी इस मामले में उनपर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाता. गांव में मुस्लिम संप्रदाय की कई युवतियां संस्कृत पढ़ रही हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

धर्म-संप्रदाय से ऊपर उठकर बच्चे हो रहे शिक्षित
विद्यालय के शिक्षक का कहना है कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए स्कूल में 150 बच्चे पढ़ते हैं. विद्यालय और यहां के शिक्षक जात-पात, धर्म-संप्रदाय की बंदिशों से ऊपर उठकर बच्चों को सही मायनों में शिक्षित करते हैं. यहां सभी विषयों की पढ़ाई होती है.

Radhakrishna Sanskrit High School
संस्कृत पढ़ती छात्राएं

संस्कृत के रूप में अपनी संस्कृति की डोर थामे है यह स्कूल
अपनी जड़ों को भूल कर कोई भी संस्कृति कभी फल-फूल नहीं सकती, इसीलिए तो संस्कृत के रुप में अपनी संस्कृति की डोर थामे रहकर यह स्कूल भी इसमें पढ़ने वाले बच्चों को अपना अस्तित्व बचाए रखने की प्रेरणा दे रहा है.

गोपालगंज: जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के बथनाकुटी गांव में स्थित राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल में शबनम और उसके संप्रदाय की कई युवतियां संस्कृत की पढ़ाई कर रही हैं. एक ओर जहां इंग्लिश मीडियम स्कूल का चलन बढ़ता जा रहा है वहीं यह स्कूल एक अनोखी तस्वीर पेश कर रहा है.

Radhakrishna Sanskrit High School
राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल की परिसर

मुस्लिम संप्रदाय की युवतियां पढ़ रही संस्कृत
स्कूल में पढ़ने वाली शबनम बेहद शालीनता से संस्कृत के श्लोक का पाठ करती है. वो अकेली नहीं जो देववाणी में श्लोक और दूसरी विधाएं पढ़ रही है. उसके साथ गांव की कई और युवतियां भी शामिल है. इनका परिवार भी इस मामले में उनपर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाता. गांव में मुस्लिम संप्रदाय की कई युवतियां संस्कृत पढ़ रही हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

धर्म-संप्रदाय से ऊपर उठकर बच्चे हो रहे शिक्षित
विद्यालय के शिक्षक का कहना है कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए स्कूल में 150 बच्चे पढ़ते हैं. विद्यालय और यहां के शिक्षक जात-पात, धर्म-संप्रदाय की बंदिशों से ऊपर उठकर बच्चों को सही मायनों में शिक्षित करते हैं. यहां सभी विषयों की पढ़ाई होती है.

Radhakrishna Sanskrit High School
संस्कृत पढ़ती छात्राएं

संस्कृत के रूप में अपनी संस्कृति की डोर थामे है यह स्कूल
अपनी जड़ों को भूल कर कोई भी संस्कृति कभी फल-फूल नहीं सकती, इसीलिए तो संस्कृत के रुप में अपनी संस्कृति की डोर थामे रहकर यह स्कूल भी इसमें पढ़ने वाले बच्चों को अपना अस्तित्व बचाए रखने की प्रेरणा दे रहा है.

Intro:बेशक पूरे देश में संस्कृत की पढ़ाई के प्रति युवाओं में रुचि घटती जा रही है हिंदुओं के घरों के बच्चे वेद से दूर होते जा रहे हैं वही मुस्लिम युवतीयों की जुबां से देव बाणी गूंज रही है। वेद और ऋचाओ की गूंज से पूरे माहौल में एक खास मिठास घुल रही है। जब वर्तमान में दिलों को दूरियां बढ़ रही है ऐसे में यूपी की सीमा पर स्थित गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखण्ड के बथनाकुटी गांव में स्थित राधाकृष्ण संस्कृत हाई स्कूल में हिंदुओं से अधिक मुस्लिम युवती संस्कृत के पढ़ाई कर रही है।







Body:वैसे तो गोपालगंज जिले में कुल छः संस्कृत विद्यालय है। जबकिं हथुआ में शास्त्री तक कि पढ़ाई होती है। कुचायकोट प्रखण्ड के बथनाकुटी स्थित संस्कृत है स्कूल में पहुंचते ही एक अलग ही अनुभूति प्राप्त होती है। इस स्कूल में कुल छात्रों की संख्या 150 है जिसमे करीब 60 मुस्लिम लड़कियां हैं। ये नियमित वर्ग में शामिल होती है। इनके जुबां पर संस्कृत के श्लोक, वंदना , स्तुति हमेशा रहती है। जिले का संस्कृत विद्यालय हिंदू मुस्लिम एकता का मिसाल पेश करता है। विज्ञान व तकनीकी के इस युग में जहां संस्कृत की शिक्षा विलुप्त होती जा रही है वहीं जिले के बथना कुट्टी में स्थित संस्कृत विद्यालय में मुस्लिम छात्राएं संस्कृत की शिक्षा ले रहे हैं। इनके संस्कृत की विद्वता देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1933 में हुई थी। यहां प्राचार्य समेत 5 शिक्षक एक लिपिक व एक आदेश पाल नियुक्त। यहां संस्कृत के आलावे गणित व विज्ञान की भी पढ़ाई होती है। इस विद्यालय में अल्पसंख्यक बच्चों द्वारा जिस तरह से संस्कृत धाराप्रवाह उच्चारण किया जाता है, अपने आप में एक मिसाल है। विद्यालय की छात्रा शफरीना खातून ने बताया कि हमे संस्कृत पढ़ना काफी अच्छा लगता है इतना ही नही हमारे भाई बहन भी संस्कृत की शिक्षा प्राप्त किये है हम लोग वेद पुराण गीता की पढ़ाई करते है। घर पर हम पुराण भी और उर्दू भी पढ़ते है हमारे माता पिता या समुदाय के लोगो द्वारा कभी भी एतराज नही किया गया। लेकिन यहां के भवन काफी जर्जर है, क्लास रूम के छत टूट कर गिरता रहता है। जिसके कारण हम लोग बरामदे में ही बैठ कर पढ़ाई करने को बाध्य होते है। वही छात्रा सबनम खातुन ने बताया कि यहां मैं ही नही बल्कि हमारे आस पास या यूं कहें कि हमारे साथ बैठी छात्राएं संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करती है संस्कृत हम लोगो को काफी अच्छा लगता है परिवार के लोगों ने कभी रोक नही लगाया। जब सबनम ने संस्कृत के श्लोक के बारे में पूछा गया तो उसने एक ही सुर में संस्कृत के श्लोक बोल डाली, बिना किसी हिचकिचाहट के। विद्यालय की छात्रा अंशु कुमारी ने बताया कि संस्कृत के प्रति छात्र छात्राओ में रुचि कम होती जा रही है और सरकार भी संस्कृत के शिक्षा पर ध्यान नही देती है। अभी वर्तमान समय मे सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी पर ध्यान दिया जा रहा लेकिन संस्कृत विलुप्त होती जा रही है जो देव भाषा के साथ ही हमारी द्वितीय राष्ट्र भाषा है। पहले हमारे स्कूल में छात्र वृति समेत कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता था लेकिन अब नही मिल रहा है। यहां के शिक्षक अपने वेतन के पैसे से विद्यालय का रंगों रोगन, मरमती व शौचालय का निर्माण कराते है। लेकिन सरकारी सुविधा नही मिलती। यहां के शिक्षक पुरुषोत्तम नाथ पांडेय ने बताया कि यहां हम शिक्षक के सहयोग से ही यहां के कार्य किये जाते है। 2014 तक सरकारी सुविधा मिलता था लेकिन अभ बंद हो गया है। इस संदर्भ में बीईओ ललन सिंह चौहान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस विद्यालय की इतिहास काफी गौरवशाली रहा है लेकिन यहां 75 प्रतिशत उपस्थिति नही रहने के कारण योजनाओं का लाभ नही मिल पाता है अगर उपस्थिति बढ़ेगी तो योजनाओं का लाभ जरूर मिलेगा
बाइट- शफरीना खातून,
बाइट-सबनम खातून, पिला दुपट्टा छात्रा
बाइट-अंशु कुमारी, लाल दुपटटा
बाइट-पुरुषोत्तम नाथ पांडेय, शिक्षक
बाइट-ललन सिंह चौहान, बीईओ






Conclusion:na
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