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गोपालगंज में यूरिया की कालाबाजारी, किसानों के लिए बढ़ी परेशानी

जिला कृषि अधिकारी वेदनारायन सिंह ने बताया कि यूरिया का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है. जो भी दुकानदार किसानों से मनमाने तौर पर तय मूल्य से ज्यादा दाम पर यूरिया बेच रहे हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. अब तक 37 यूरिया विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द किया गया है.

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Published : Jan 15, 2020, 10:52 AM IST

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यूरिया

गोपालगंज: जिले में यूरिया की कालाबाजारी हो रही है. जिसके कारण किसानों को रबी की फसलों में खाद डालने में परेशानी हो रही है. खुदरा व्यापारी यूरिया खाद का अभाव बताकर किसानों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम किसान उठा रहे हैं.

ज्यादा कीमत पर खरीदना पड़ रहा यूरिया
जिले में इस बार रबी मौसम में 97000 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन किसानों ने 95000 हेक्टर गेहूं की खेती की है. किसानों को 27 हजार मैट्रिक टन यूरिया की जरूरत है. जिसमें अब तक सिर्फ 8 हजार मैट्रिक टन यूरिया खाद की आपूर्ति की गई है. इसके कारण किसानों को ज्यादा कीमत पर बाजार से यूरिया खरीदना पड़ रहा है.

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महंगे दामों में बिक रहा यूरिया

8 यूरिया विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द
वहीं, विभाग की ओर से निर्धारित यूरिया का दर 200 रुपये है, लेकिन बाजारों में 340 रुपये प्रति बैग बेचा जा रहा है. ऐसे में मजबूर किसान महंगे दामों पर यूरिया की खरीदारी कर अपनी फसलों में डालने को मजबूर हैं. जिला कृषि अधिकारी वेदनारायन सिंह ने बताया कि यूरिया का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है. जो भी दुकानदार किसानों से मनमाने तौर पर तय मूल्य से ज्यादा दाम पर यूरिया बेच रहे हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. अब तक 37 यूरिया विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द किया गया है.

यूरिया की कालाबाजारी से किसान परेशान

किसानों को झेलनी पड़ती है दोहरी मार
बता दें कि सितंबर महीने में हुए बारिश के बाद रबी फसल की बुवाई देर से शुरू हुई थी. जिसके चलते यूरिया की डिमांड बढ़ने लगा था. इसको देखते हुए खाद की कालाबाजारी भी शुरू हो गई. किसानों को हमेशा से ही दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. पहले तो किसानों को अनुदानित दर पर बीज देर से मिलती है. इसके बाद यूरिया की बारी जब आती है तब यूरिया भी किसानों को नशीब नहीं होता है. जिसके कारण किसान बाजारों से महंगे दामों पर यूरिया खरीद कर अपने खेतों में छिड़काव करते हैं.

गोपालगंज: जिले में यूरिया की कालाबाजारी हो रही है. जिसके कारण किसानों को रबी की फसलों में खाद डालने में परेशानी हो रही है. खुदरा व्यापारी यूरिया खाद का अभाव बताकर किसानों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम किसान उठा रहे हैं.

ज्यादा कीमत पर खरीदना पड़ रहा यूरिया
जिले में इस बार रबी मौसम में 97000 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन किसानों ने 95000 हेक्टर गेहूं की खेती की है. किसानों को 27 हजार मैट्रिक टन यूरिया की जरूरत है. जिसमें अब तक सिर्फ 8 हजार मैट्रिक टन यूरिया खाद की आपूर्ति की गई है. इसके कारण किसानों को ज्यादा कीमत पर बाजार से यूरिया खरीदना पड़ रहा है.

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महंगे दामों में बिक रहा यूरिया

8 यूरिया विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द
वहीं, विभाग की ओर से निर्धारित यूरिया का दर 200 रुपये है, लेकिन बाजारों में 340 रुपये प्रति बैग बेचा जा रहा है. ऐसे में मजबूर किसान महंगे दामों पर यूरिया की खरीदारी कर अपनी फसलों में डालने को मजबूर हैं. जिला कृषि अधिकारी वेदनारायन सिंह ने बताया कि यूरिया का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है. जो भी दुकानदार किसानों से मनमाने तौर पर तय मूल्य से ज्यादा दाम पर यूरिया बेच रहे हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. अब तक 37 यूरिया विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द किया गया है.

यूरिया की कालाबाजारी से किसान परेशान

किसानों को झेलनी पड़ती है दोहरी मार
बता दें कि सितंबर महीने में हुए बारिश के बाद रबी फसल की बुवाई देर से शुरू हुई थी. जिसके चलते यूरिया की डिमांड बढ़ने लगा था. इसको देखते हुए खाद की कालाबाजारी भी शुरू हो गई. किसानों को हमेशा से ही दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. पहले तो किसानों को अनुदानित दर पर बीज देर से मिलती है. इसके बाद यूरिया की बारी जब आती है तब यूरिया भी किसानों को नशीब नहीं होता है. जिसके कारण किसान बाजारों से महंगे दामों पर यूरिया खरीद कर अपने खेतों में छिड़काव करते हैं.

Intro:गोपालगंज जिले में यूरिया की कालाबाजारी इन दिनों चरम पर है। जिसके कारण जिले के किसानों को रबी की फसलों में खाद डालने में भारी परेशानी हो रही है। खुदरा व्यापारियों द्वारा यूरिया खाद का अभाव बताया जा रहा है। अभाव की बात कह कर किसानों से मनमानी कीमत वसूला जा रहा है।


Body:यूरिया की कालाबाजारी रोकने में कृषि विभाग की कार्यवाई हवा हवाई साबित हो रही है। जिले में इस बार रबी मौसम में 97000 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है
जिसके विरुद्ध 95000 हेक्टर में किसानों ने गेहूं की खेती की है। किसानों को 27 हजार मैट्रिक टन यूरिया की जरूरत है। जिसमें अब तक महज आठ हजार मैट्रिक टन यूरिया खाद की आपूर्ति की गई है। इसके कारण किसानों को ऊंचे कीमत पर बाजार से यूरिया खरीदनी पड़ रही है। आलम यह है कि विभाग द्वारा निर्धारित यूरिया का दर 2 सौ 66 रूपये 50 पैसे हैं लेकिन बाजारों में 340 रूपये से 350 रूपये प्रति बैग बेचे जा रहे हैं। ऐसे में मजबूर किसान महंगे दामों पर यूरिया की खरीदारी कर अपनी फसलों में डालने को बाध्य हो रहे है।
ज्ञातव्य हो की सितंबर माह में हुई बारिश को लेकर रवि फसल की बुवाई देर से शुरू होने और फसलों के धीरे-धीरे सिंचाई और मौसम के मिजाज बदलने के बाद यूरिया की डिमांड बढ़ने लगी। इसको देखते हुए खाद की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। किसानों को हमेशा से ही दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पहले तो किसानों को अनुदानित दर पर बीज देर से मिलती इसके बाद यूरिया की बारी जब आती है तब यूरिया भी किसानो को नशीब नही होता जिसके कारण किसान बाजारों से महंगे दामों पर यूरिया खरीद कर अपने खेतों में छिड़काव करते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं किसानों को परेशानी पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है।

बाइट-मंदीप साह,किसान
बाइट-भरत तिवारी, दुकानदार

बताया जाता है कि यूरिया की कमी रैक प्वाइंट से लाने में दुकान तक भाड़ा बताकर किसानों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है। किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आम किसान उठा रहे हैं।
हालांकि जिला कृषि विभाग का दावा है कि यूरिया का भंडारण पर्याप्त मात्रा में है। जो भी दुकानदार किसानों से मनमाने तौर पर तय मूल्य से ज्यादा दाम पर यूरिया बेच रहे हैं उनके विरुद्ध कार्रवाई भी की जा रही है अब तक आठ यूरिया विक्रेताओं का लाइसेंस रद्द किया गया है।

बाइट-वेदनारायन सिंह, कृषि पदाधिकारी


Conclusion:जिले में विभाग द्वारा यूरिया की तय मूल्य से ज्यादा दामो पर यूरिया बेचना कही न कही विभागीय सुस्ती का नतीजा है आये दिन खुलेआम बाजरो में 350 रुपये प्रति पैकेट यूरिया की विक्री हो रही है जबकि विभाग द्वारा 266 रुपए पैकेट बेचने का निर्देश है ऐसे में दुकानदारों द्वारा विभागीय आदेश को भी ठेंगा दिखाकर अपनी दुकान चमकाई जा रही है।
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