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खराब पड़े नलकूपों को भी विभाग ने बताया सही, किसानों को नहीं मिल रहा है सिंचाई का लाभ

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Published : Jan 3, 2020, 1:21 PM IST

विभागीय फाइल में खराब नलकूपों को भी सही दिखाया गया है. इन सही नलकूपों के ऑपरेटरों पर लाखों रुपये हर महीने खर्च होते हैं.

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डिजाइन फोटो

गोपालगंजः सरकार ने सालों पहले सिंचाई के लिए विभिन्न गांव के खेतों तक नलकूप की व्यवस्था की थी. ताकि किसान अपने खेतों की सिंचाई आसानी से कर सकें. लेकिन इन किसानों को नलकूपों से सिंचाई के लिए पानी आज तक नसीब नहीं हुआ. मजबूरन यह किसान अपने निजी पंपसेट के जरिए ही खेतों की सिंचाई करते हैं.

सरकारी नलकूप किसान को दे रहे धोखा
दरअसल जिले के कई इलाकों में गेहूं के खेतों में सिंचाई शुरू हो गई है. लेकिन सिंचाई के समय सरकारी नलकूप किसान को धोखा दे रहे हैं. जिससे किसानों की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं. वहीं, किसानों का कहना है कि दस साल पहले इस नलकूप को लगाया गया था. लेकिन आज तक इसमें से पानी नहीं निकला. मजबूरन हम लोग निजी पंपसेट से अपने खेतों की सिचाई करते हैं.

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बंद पड़े सिचाईं के साधन

ये भी पढ़ेंः बारिश ने फिर बढ़ाई कनकनी, किसानों में खुशी की लहर

सिंचाई के समय भी बेकार पड़े हैं नलकूप
जिले में अधिकांश सरकारी नलकूप खराब पड़े हैं. लेकिन सरकारी आकड़ों में खराब नलकूप को सही नलकूप दिखा जा रहा है और सरकार को चूना लगाया जा रहा है. फिर भी विभागीय अधिकारी खराब नलकूप को सही समय पर चालू करने का दावा भी करते हैं. कई इलाकों में गेहूं की सिंचाई जोरों पर है. लेकिन सरकारी संसाधन खेतों की सिंचाई के समय भी बेकार पड़े हुए हैं. ऐसे में वर्तमान में रबी अभियान में किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए निजी पंप सेट का सहारा लेना पड़ रहा है.

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खराब पड़े नलकूप

खराब नलकूप को विभाग ने बताया चालू
अगर बात करें प्रखंड माझा की तो यहां के नलकूप से सिंचाई का लक्ष्य 140 है. लेकिन यहां सिर्फ कागज में खानापूर्ति कर 3 हेक्टेयर में सिंचाई दिखाया गया है. वहीं खराब नलकूप को भी विभाग ने चालू बता दिया है. इस खराब नलकूप के ऑपरेटर पर प्रति माह लाखों रुपए खर्च होते हैं. किसानों के सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग ने 7 नलकूप लगाए थे. लेकिन बिजली की समस्या के कारण किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिला. कर्मचारियों के वेतन पर लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन किसानो को इस नलकूप से कितना फायदा मिला है, इसकी सच्चाई इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है

स्पेशल रिपोर्ट

मांझा प्रखण्ड में खेतों की स्थिति

  • कुल क्षेत्रफल 93 हजार 256हेक्टेयर
  • खेती योग्य भूमि 39 हजार 137 हेक्टेयर
  • सिचात भूमि 28,662
  • असिंचित भूमि 40, 320 हेक्टेयर

अगर सरकारी आंकड़ों की माने तो जिले में कुल नलकूपों की संख्या 287 है. जबकि कार्यरत 182दर्शाया गया है. लेकिन हमारी पड़ताल में ये दावे झूठे साबित हुए. जो खराब नलकूप हैं, वह कागज में सही है. जिसपर ऑपरेटर को भी बहाल किया गया है. ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि बिना किसानों को पानी का लाभ दिए बगैर ऑपरेटर पर कितने रुपये खर्च किये जाते होंगे.

गोपालगंजः सरकार ने सालों पहले सिंचाई के लिए विभिन्न गांव के खेतों तक नलकूप की व्यवस्था की थी. ताकि किसान अपने खेतों की सिंचाई आसानी से कर सकें. लेकिन इन किसानों को नलकूपों से सिंचाई के लिए पानी आज तक नसीब नहीं हुआ. मजबूरन यह किसान अपने निजी पंपसेट के जरिए ही खेतों की सिंचाई करते हैं.

सरकारी नलकूप किसान को दे रहे धोखा
दरअसल जिले के कई इलाकों में गेहूं के खेतों में सिंचाई शुरू हो गई है. लेकिन सिंचाई के समय सरकारी नलकूप किसान को धोखा दे रहे हैं. जिससे किसानों की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं. वहीं, किसानों का कहना है कि दस साल पहले इस नलकूप को लगाया गया था. लेकिन आज तक इसमें से पानी नहीं निकला. मजबूरन हम लोग निजी पंपसेट से अपने खेतों की सिचाई करते हैं.

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बंद पड़े सिचाईं के साधन

ये भी पढ़ेंः बारिश ने फिर बढ़ाई कनकनी, किसानों में खुशी की लहर

सिंचाई के समय भी बेकार पड़े हैं नलकूप
जिले में अधिकांश सरकारी नलकूप खराब पड़े हैं. लेकिन सरकारी आकड़ों में खराब नलकूप को सही नलकूप दिखा जा रहा है और सरकार को चूना लगाया जा रहा है. फिर भी विभागीय अधिकारी खराब नलकूप को सही समय पर चालू करने का दावा भी करते हैं. कई इलाकों में गेहूं की सिंचाई जोरों पर है. लेकिन सरकारी संसाधन खेतों की सिंचाई के समय भी बेकार पड़े हुए हैं. ऐसे में वर्तमान में रबी अभियान में किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए निजी पंप सेट का सहारा लेना पड़ रहा है.

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खराब पड़े नलकूप

खराब नलकूप को विभाग ने बताया चालू
अगर बात करें प्रखंड माझा की तो यहां के नलकूप से सिंचाई का लक्ष्य 140 है. लेकिन यहां सिर्फ कागज में खानापूर्ति कर 3 हेक्टेयर में सिंचाई दिखाया गया है. वहीं खराब नलकूप को भी विभाग ने चालू बता दिया है. इस खराब नलकूप के ऑपरेटर पर प्रति माह लाखों रुपए खर्च होते हैं. किसानों के सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग ने 7 नलकूप लगाए थे. लेकिन बिजली की समस्या के कारण किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिला. कर्मचारियों के वेतन पर लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन किसानो को इस नलकूप से कितना फायदा मिला है, इसकी सच्चाई इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है

स्पेशल रिपोर्ट

मांझा प्रखण्ड में खेतों की स्थिति

  • कुल क्षेत्रफल 93 हजार 256हेक्टेयर
  • खेती योग्य भूमि 39 हजार 137 हेक्टेयर
  • सिचात भूमि 28,662
  • असिंचित भूमि 40, 320 हेक्टेयर

अगर सरकारी आंकड़ों की माने तो जिले में कुल नलकूपों की संख्या 287 है. जबकि कार्यरत 182दर्शाया गया है. लेकिन हमारी पड़ताल में ये दावे झूठे साबित हुए. जो खराब नलकूप हैं, वह कागज में सही है. जिसपर ऑपरेटर को भी बहाल किया गया है. ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि बिना किसानों को पानी का लाभ दिए बगैर ऑपरेटर पर कितने रुपये खर्च किये जाते होंगे.

Intro:विभागीय फाइल में खराब नलकूप हुआ सही ऑपरेटर पर होते हैं लाखों रुपए प्रतिमाह खर्च

गोपालगंज। सरकार द्वारा वर्षों पूर्व किसानों को सिंचाई के लिए विभिन्न गांव के खेतों तक नलकूप की व्यवस्था की गई थी। ताकि किसान अपने खेतों की सिंचाई आसानी से कर सके। लेकिन इन किसानों को इस नलकूप से सिंचाई के लिए पानी आज तक नसीब नहीं हुई। मजबूरन यह किसान अपने निजी पंपसेट के द्वारा खेतों की सिंचाई करते हैं।


Body: वर्तमान समय में जिले के कई इलाकों में गेहूं की सिंचाई शुरू हो गई है। लेकिन सिंचाई के समय सरकारी नलकूप किसान को धोखा दे रहे हैं। जिससे किसानो के मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। वही किसानों का कहना है कि दस वर्ष पूर्व इस नलकूप को लगाया गया था। लेकिन आज तक इसमें से पानी नही निकला। मजबूरन हम लोग निजी पम्पइसेट से अपने खेतों की सिचाई करते है।

बाइट-किसान

जिले में अधिकांश सरकारी नलकूप खराब पड़े है लेकिन सरकारी आकड़ो में खराब नलकूप को सही नलकूप दिखाकर कर किसानों व सरकार को चूना लगाया जा रहा है। फिर भी विभागीय अधिकारी खराब नलकूप को सही समय पर चालू करने का दावा भी करते हैं। रवि अभियान में कई इलाकों में गेहूं की सिंचाई जोरों पर है। लेकिन सरकारी संसाधन खेतों की सिंचाई के समय भी बेकार पड़े हुए हैं। ऐसे में वर्तमान में रबी अभियान में किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए निजी पंप सेट का सहारा लेना पड़ रहा है।अगर बात करे सिर्फ एक प्रखंड माझा की तो यहां के नलकूप से सिंचाई का लक्ष्य 140 है। लेकिन यहां सिर्फ कागज में खानापूर्ति कर 3 हेक्टेयर में सिंचाई दिखाए गया है। वहीं खराब नलकूप विभाग चालू बता दिया है। इस खराब नलकूप से ऑपरेटर पर प्रति माह लाखों रुपए खर्च होती हैं। किसानों के सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग ने 7 नलकूप लगाए थे।।लेकिन।बिजली की समस्या के साथ ही अधिकांश वर्षों में लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिला। कर्मचारियों के वेतन पर लाखों रुपए खर्च होते हैं लेकिन किसान को कितना इस नलकूप से कितना फायदा मिला
इसकी सच्चाई इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है

बाइट-अजय कुमार वर्मा, कार्यपाल पदाधिकारी लघु सिंचाई विभाग

मांझा प्रखण्ड के खेती की स्थिति

.कुल क्षेत्रफल 93 हजार 256हेक्टेयर
.खेती योग्य भूमि 39 हजार 137 हेक्टेयर
.सिचात भूमि 28,662
.असिंचित भूमि 40, 320 हेक्टेयर






Conclusion:अगर सरकारी आंकड़ों के माने तो जिले में कुल नलकूपों की संख्या 287है,जबकि कार्यरत 182दर्शाया गया है। लेकिन हमारी पड़ताल में ये दावे झूठे साबित हुए ।जो खराब नलकूप है। वह कागज में सही है। जिसपर ऑपरेटर को भी बहाल किया गया। ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है। कि बिना किसानों को पानी का लाभ दिए ऑपरेटर पर कितना रुपये खर्च किये जाते होंगे?
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