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Gopalganj News: स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला में चमकी का कहर, बच्चे को गोद में लेकर भागते रहे पिता

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Published : Mar 3, 2023, 8:57 PM IST

बिहार में चमकी बुखार का कहर (Chamki Fever In Bihar) दिखाई पड़ रहा है. इससे बीमारी से ग्रस्ति बच्चों की इलाज में घोर लापरवाही सामने आ रही है. परिजनों बच्चों को लेकर अस्पताल में इधर-उधर भटक रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. सरकारी अस्पतालों की बदहाल सिस्टम के चलते बच्चों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में चमकी बुखार का कहर
बिहार में चमकी बुखार का कहर
गोपालगंज में चमकी बुखार का कहर

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज सदर अस्पताल (Gopalganj Sadar Hospital) में सन्दिग्ध चमकी बुखार के मरीजों की इलाज में घोर लापरवाही (Children Suffering From Chamki Fever) की जा रही है. मरीज के परिजन इधर उधर भटकने को बाध्य हो रहे हैं. जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के भैषही गांव निवासी एक मासूम बच्चे के पिता अपने बच्चे को गोद मे उठाकर इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डो में चक्कर लगाते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नही की.

ये भी पढ़ें- बगहा में चमकी बुखार ने दी दस्तक, 2 बच्चे बीमार

चमकी बुखार का कहर : मिली जानकारी के अनुसार चमकी बुखार को लेकर शासन-प्रशासन खुद को अलर्ट साबित करने पर लगा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरे बिहार में अलर्ट जारी किया है लेकिन गोपालगंज जिले में इस बीमारी को लेकर अस्पताल प्रशासन लापरवाह बना है. मासूमों के इलाज के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं. चिकितस्कों की 24 घंटे ड्यूटी पर रहने को कहा गया है. विडंबना लेकिन यह है कि आईएसओ से प्रमाणित और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के गृह जिला गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल में चमकी के संदिग्ध मरीज के साथ लापरवाही की जा रही है.

अस्पताल में बीमारी को लेकर डॉक्टर हैं लापरवाह : बताया जाता है कि मांझागढ़ प्रखंड के भौसहीं गांव निवासी मनोज मांझी का एकलौता पुत्र 4 वर्षीय अरविंद कुमार जिसमें चमकी बुखार का लक्षण देखने को मिला. तेज सांस लेने के साथ ही बार-बार झटका मार रहा था. परिजन उसे तत्काल इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद आरोप है कि उसे यहां से वहां सिर्फ दौड़ाया जा रहा है. किसी तरह की कोई इलाज नही की जा रही है.

चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को नहीं मिल रहा इलाज : मनोज मांझी के पास इतने पैसे नहीं है की वो निजी अस्पताल में जाकर बेटे का अच्छे से इलाज करा सके. परिजनों का कहना है कि- "गोपालगंज डिप्टी सीएम का गृह जिला है और अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरी है इसलिए वे इलाज कराने आए हैं लेकिन हकीकत यहां कुछ और ही नजर आ रहा है.

चमकी बुखार के हर बार बच्चों की होती है मौत : गौरतलब है कि बिहार में चमकी बुखार बच्चों के लिए जानलेवा हर बार साबित होता है. लेकिन बीमार बच्चों के अस्पताल पहुंचने पर उन्हें इलाज नहीं मिल रहा है. वहीं इस सन्दर्भ में अस्पताल उपाधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया की पूरे मामले की जांच की जाएगी जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.

गोपालगंज में चमकी बुखार का कहर

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज सदर अस्पताल (Gopalganj Sadar Hospital) में सन्दिग्ध चमकी बुखार के मरीजों की इलाज में घोर लापरवाही (Children Suffering From Chamki Fever) की जा रही है. मरीज के परिजन इधर उधर भटकने को बाध्य हो रहे हैं. जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के भैषही गांव निवासी एक मासूम बच्चे के पिता अपने बच्चे को गोद मे उठाकर इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डो में चक्कर लगाते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नही की.

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चमकी बुखार का कहर : मिली जानकारी के अनुसार चमकी बुखार को लेकर शासन-प्रशासन खुद को अलर्ट साबित करने पर लगा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरे बिहार में अलर्ट जारी किया है लेकिन गोपालगंज जिले में इस बीमारी को लेकर अस्पताल प्रशासन लापरवाह बना है. मासूमों के इलाज के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं. चिकितस्कों की 24 घंटे ड्यूटी पर रहने को कहा गया है. विडंबना लेकिन यह है कि आईएसओ से प्रमाणित और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के गृह जिला गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल में चमकी के संदिग्ध मरीज के साथ लापरवाही की जा रही है.

अस्पताल में बीमारी को लेकर डॉक्टर हैं लापरवाह : बताया जाता है कि मांझागढ़ प्रखंड के भौसहीं गांव निवासी मनोज मांझी का एकलौता पुत्र 4 वर्षीय अरविंद कुमार जिसमें चमकी बुखार का लक्षण देखने को मिला. तेज सांस लेने के साथ ही बार-बार झटका मार रहा था. परिजन उसे तत्काल इलाज के लिए सदर अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद आरोप है कि उसे यहां से वहां सिर्फ दौड़ाया जा रहा है. किसी तरह की कोई इलाज नही की जा रही है.

चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को नहीं मिल रहा इलाज : मनोज मांझी के पास इतने पैसे नहीं है की वो निजी अस्पताल में जाकर बेटे का अच्छे से इलाज करा सके. परिजनों का कहना है कि- "गोपालगंज डिप्टी सीएम का गृह जिला है और अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरी है इसलिए वे इलाज कराने आए हैं लेकिन हकीकत यहां कुछ और ही नजर आ रहा है.

चमकी बुखार के हर बार बच्चों की होती है मौत : गौरतलब है कि बिहार में चमकी बुखार बच्चों के लिए जानलेवा हर बार साबित होता है. लेकिन बीमार बच्चों के अस्पताल पहुंचने पर उन्हें इलाज नहीं मिल रहा है. वहीं इस सन्दर्भ में अस्पताल उपाधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया की पूरे मामले की जांच की जाएगी जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी.

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