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दूध से वंचित हैं गोपालगंज में आंगनवाड़ी के बच्चे

1757 आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चे पोषाहार में मिलनेवाली दूघ से वंचित हैं. इसका कारण दूध की सप्लाई नहीं मिलना बताया जाता है. वहीं, विभाग योजना में कटौती कर बच्चों की हकमारी की जा रही है.

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Published : Jan 17, 2020, 6:47 PM IST

गोपालगंज: जिले के 1757 आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार के रूप में मिलने वाला दूध करीब तीन माह से नहीं मिल रहा है. इस कारण ये बच्चे पोषाहार से वंचित हैं. वहीं, विभाग की ओर से 15 लाख 18 हजार 84 रुपये की कटौती कर बच्चों की हकमारी की जा रही है.

आंगनवाड़ी केंद्रों को नहीं मिल रहा है दूध
सेविका का का कहना है कि सरकारी विभाग की ओर से दूध की राशि काट ली जाती है, लेकिन आंगनवाड़ी केंद्रों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है, ताकि बच्चों को दूध मिल सके. सरकार और विभाग की योजना है कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ मानक के अनुरूप पौष्टिक भोजन मिले सके, ताकि गरीब बच्चे कुपोषण का शिकार नहीं हो सकें.

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आंगनवाड़ी केन्द्र पर बच्चों को नहीं मिल रहा दूध

सरकार की ओर से आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को पोषक तत्व वाले भोजन उपलब्ध कराने के लिए लाखों का खर्च किया जाता है. आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को प्रत्येक बुधवार को अंडा के साथ दूध उपलब्ध कराना है, लेकिन पिछले कई माह जिले के बच्चे को दूध नहीं मिल रहा है.

दूध से वंचित हैं आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चे

सिस्टम की है लापरवाही
विभाग की ओर से प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र को 200 ग्राम के औसतन 15 पैकेट दूध उपलब्ध कराया जाता है. एक पैकेट में दूध तैयार कर केंद्र पर औसतन 10 बच्चे को पीने के लिए दिया जाता है. इस तरह केंद्र पर औसतन 40 बच्चों पर प्रतिदिन 4 पैकेट दूध का खर्च आता है. विभाग की ओर से राज्य स्तर पर सूखा पैकेट बंद दूध की खरीदारी की जाती है. दूध की खरीदारी के बाद विभागीय स्तर पर परियोजना को उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन जिले में सिस्टम की कुव्यवस्था का आलम यह है कि लाखों की राशि प्रतिमाह खर्च करने के बावजूद आंगनवाड़ी केंद्रों पर दूध नहीं पहुंच रहा है.

गोपालगंज: जिले के 1757 आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पोषाहार के रूप में मिलने वाला दूध करीब तीन माह से नहीं मिल रहा है. इस कारण ये बच्चे पोषाहार से वंचित हैं. वहीं, विभाग की ओर से 15 लाख 18 हजार 84 रुपये की कटौती कर बच्चों की हकमारी की जा रही है.

आंगनवाड़ी केंद्रों को नहीं मिल रहा है दूध
सेविका का का कहना है कि सरकारी विभाग की ओर से दूध की राशि काट ली जाती है, लेकिन आंगनवाड़ी केंद्रों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है, ताकि बच्चों को दूध मिल सके. सरकार और विभाग की योजना है कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ मानक के अनुरूप पौष्टिक भोजन मिले सके, ताकि गरीब बच्चे कुपोषण का शिकार नहीं हो सकें.

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आंगनवाड़ी केन्द्र पर बच्चों को नहीं मिल रहा दूध

सरकार की ओर से आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को पोषक तत्व वाले भोजन उपलब्ध कराने के लिए लाखों का खर्च किया जाता है. आंगनवाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को प्रत्येक बुधवार को अंडा के साथ दूध उपलब्ध कराना है, लेकिन पिछले कई माह जिले के बच्चे को दूध नहीं मिल रहा है.

दूध से वंचित हैं आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चे

सिस्टम की है लापरवाही
विभाग की ओर से प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र को 200 ग्राम के औसतन 15 पैकेट दूध उपलब्ध कराया जाता है. एक पैकेट में दूध तैयार कर केंद्र पर औसतन 10 बच्चे को पीने के लिए दिया जाता है. इस तरह केंद्र पर औसतन 40 बच्चों पर प्रतिदिन 4 पैकेट दूध का खर्च आता है. विभाग की ओर से राज्य स्तर पर सूखा पैकेट बंद दूध की खरीदारी की जाती है. दूध की खरीदारी के बाद विभागीय स्तर पर परियोजना को उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन जिले में सिस्टम की कुव्यवस्था का आलम यह है कि लाखों की राशि प्रतिमाह खर्च करने के बावजूद आंगनवाड़ी केंद्रों पर दूध नहीं पहुंच रहा है.

Intro:आंगनबाड़ी के बच्चे दूध से है वंचित, आंगनबाड़ी सेविकाओं को दूध के पैसे काट कर दी जा रही है राशि
----1757 आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे है दूध से बंचित,15लाख18 हजार 84 रुपये की हो रही है कटौती

गोपालगंज। गोपालगंज जिले के 1757 आंगनबाड़ी केंद्रो पर बच्चो पोषणहार के रूप में मिलने वाली दूध करीब तीन माह से नशीब नही हो रही है। जिससे ये बच्चे पोषणहार से वंचित है वही विभाग द्वारा 15लाख 18 हजार 84 रुपये की कटौती ओर बच्चो के हकमारी कर रहा है।




Body:सरकार की योजना की हकीकत इसी बात से समझ में आती है कि आखिरी लाभुक तक उनकी योजना का फायदा मिलता है, या नहीं। और इसका पता तभी लग पाता है, जब जमीनी स्तर पर इसकी पड़ताल की जाती हो। ईटीवी भारत ने बच्चो को आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाली पोषणहार पर पड़ताल की तो यहां भी सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का फायदा उन मासूमों को नहीं मिलती जिनका वह हकदार है। अब इसे सिस्टम की कमी कहे या कुछ और जब विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए मिलने वाली राशि को दूध के लिए काटने के बाद भी दूध बच्चों तक नहीं पहुंचता है। विभागीय स्तर पर पहले दूध उपलब्ध जाते थे लेकिन करीब 3 माह से जिले के विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों पर यह योजना बंद है। जिले के 17 57 केंद्रों पर दूध का आपूर्ति नहीं हो रही है। इन केंद्रों से प्रतिमाह विभाग द्वारा 15 लाख 18 हजार 84 रुपये का पोषण आहार में कटौती की जा रही है।

बाइट-नाजिया परवीन, सेविका

सरकार व विभाग की योजना है, कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ मानक के अनुरूप पौष्टिक भोजन मिले ताकि ऐसे बच्चे कुपोषण के शिकार ना हो। इसके लिए सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को पोषण तत्व वाले भोजन उपलब्ध कराने के लिए लाखों खर्च किया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों को प्रत्येक बुधवार को अंडा के साथ शुक्रवार को दूध उपलब्ध कराना है।लेकिन पिछले 3 माह से यहां के बच्चे दूध से वंचित है। विभाग की ओर से प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र को 200 ग्राम के औसतन 15 पैकेट दूध उपलब्ध कराया जाता है। एक पैकेट में दूध तैयार कर केंद्र पर औसतन 10 बच्चे को पीने के लिए दिया जाता है। इस तरह केंद्र पर औसतन 40 बच्चों पर प्रतिदिन 4 पैकेट दूध का खर्च आता है। विभाग की ओर से राज्य स्तर पर सूखा पैकेट बंद दूध की खरीदारी की जाती है। दूध की खरीदारी के बाद विभागीय स्तर पर परियोजना को उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन जिले में सिस्टम की कुव्यवस्था का आलम यह है कि लाखों की राशि प्रतिमाह खर्च करने के बावजूद आंगनबाड़ी केंद्रों पर दूध नहीं पहुंच रहा है। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 साल तक के बच्चों को सप्ताह में 1 दिन सुधा का दूध उपलब्ध कराई जाती है। बच्चों में मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए उनके खाने में प्रोटीन की जरूरत अधिक होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुधा दूध के माध्यम से प्रोटीन की कमी को दूर करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए 18 ग्राम सुधा दूध पाउडर को 200 मिलीलीटर शुद्ध पेयजल में घोलकर बच्चों को दिया जाता है। दूध पाउडर की खासियत यह है कि इसमें विटामिन मिनरल समेत पौष्टिकता के तमाम गुण उपलब्ध रहते हैं। जिससे बच्चों का कुपोषण दूर कर उन्हें सेहतमंद बनाए जा सके

बाइट -बृजभूषण प्रसाद श्रीवास्तव, कॉर्डिनेटर


Conclusion:अब ऐसे में बच्चो को मिलने वाली पोष्णहार दूध को भी बच्चो से अलग करना और प्रतिमाह लाखो रुपये की कटौती करना कही न कही विभाग पर एक सवालिया निशान खड़ा करता है।

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