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विदेश में नहीं मिला चैन तो खींच लाई देश की मिट्टी, अब गांव में ही लाखों कमा रहे हैं बशीर

सउदी अरब में लाखों कमाने के बाद भी जब बशीर का मन वहां नहीं लगा तो वह अपने घर लौट आए. यहां उन्होंने ने मत्स्यपालन का काम शुरू किया. जिसमें उनको लाखों का मुनाफा है.

मों बशीर
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Published : Aug 23, 2019, 9:45 AM IST

गोपालगंजः देश की युवा पीढ़ी ज्यादा कमाने और आगे बढ़ने के लिए विदेशों का रुख कर रही है. लेकिन कई ऐसे युवा भी हैं जिन्हें विदेश में चैन नहीं मिलता और उन्हें अपने वतन लौटने की तड़प होती है. ऐसी ही तड़प लिए गोपालगंज जिले के रहने वाले मोहम्मद बशीर भी विदेश से अपने घर लौट आए. उसके बाद उन्होंने अपने ही गांव में आकर ऐसा बिजनेस शुरू किया. जिससे कई लोगों की रोजी-रोटी चल रही है.

fish
तालाब में तैरती मछलियां

छोड़ दी सऊदी अरब की अच्छी नौकरी
दरअसल, जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 25 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के महुआ गांव निवासी मोहम्मद बशीर सऊदी अरब में अच्छी नौकरी होने के बावजूद अपने वतन लौट आए. वतन की मिट्टी उन्हें अपनी ओर खींच रही थी और एक दिन उनहोंने सऊदी अरब को अलविदा कर दिया. अपने देश वापस आकर उन्होंने मत्स्य पालन की ओर रूख किया और 7 एकड़ में मछली पालन का यह बिजनेस शुरू कर दिया.

pond
तालाब में भरा पानी

जिले के हैं नंबर वन मत्स्य पालक
मोहम्मद बशीर बताते हैं कि शुरू में काफी परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने हार नहीं मानी. लगातार अपना प्रयास जारी रखा. आज मोहम्मद बशीर न सिर्फ जिले के सबसे बड़े मछली पालकों में से एक गिने जाते हैं बल्कि कई परिवारों को रोजगार भी देते हैं. मोहम्मद बशीर ने बताया कि सऊदी अरब में काफी दिनों तक काम किया लेकिन वहां की आबो हवा रास नहीं आई. लगातार मेरा वतन मुझे अपनी और खींच रहा था. एक दिन मैंने यह ठान लिया कि क्यों न अपने देश मे रहकर कुछ किया जाए. ये सोचकर मैं विदेश से लौट आया.

md basheer
मुर्गियों को दाना डालते बशीर

मुर्गी पालन का भी रखते हैं शौक
सउदी से लौटने के बाद वो अपने भाई के पास गुवाहाटी गए. जहां उनकी मुलाकात एक मछली पालक से हुई जिसने मुझे मछली पालन के बारे में बताया. तब क्या था वह अपने घर आए और यहां आकर अपने जमीन में तालाब खुदवाया और मछली पालन शुरू कर दिया. बशीर ने कहा कि तब से लेकर आज तक मैं मछली पालन कर रहा हू. साथ ही वो मुर्गी पालन भी कर रहे हैं. आश्चर्य की बात तो ये है कि मो. बशीर के बाइक की आवाज सुनकर बत्तख मुर्गी उनकी ओर दौड़ पड़ते हैं. इसके बाद वह मुर्गी और बतख को दाने खिलाते हैं.

मछली पालन पर स्पेशल रिपोर्ट

कई जिलों में होती है सप्लाई
आज बशीर अपने काम से काफी संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि मेरे साथ कई परिवार को भी रोजगार मिल रहा है. मेरी सोच है कि इससे भी बड़ा फॉर्म बनवाकर मछली पालन व मुर्गी पालन को आगे बढ़ांऊ. बशीर ने बताया कि उनकी मछलियां पटना, सिवान, बेतिया छपरा गोपालगंज समेत कई जिलों में सप्लाई होती हैं. उनके तालाब में रेहू, कतला, ग्रास, प्यासी, नैनी, सिल्वर किस्म की मछली का पालन होता है. यहां स्पर्म डालकर बच्चा भी पैदा किया जाता है. इस काम में बशीर को लाखों का मुनाफा होता है.

गोपालगंजः देश की युवा पीढ़ी ज्यादा कमाने और आगे बढ़ने के लिए विदेशों का रुख कर रही है. लेकिन कई ऐसे युवा भी हैं जिन्हें विदेश में चैन नहीं मिलता और उन्हें अपने वतन लौटने की तड़प होती है. ऐसी ही तड़प लिए गोपालगंज जिले के रहने वाले मोहम्मद बशीर भी विदेश से अपने घर लौट आए. उसके बाद उन्होंने अपने ही गांव में आकर ऐसा बिजनेस शुरू किया. जिससे कई लोगों की रोजी-रोटी चल रही है.

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तालाब में तैरती मछलियां

छोड़ दी सऊदी अरब की अच्छी नौकरी
दरअसल, जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 25 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के महुआ गांव निवासी मोहम्मद बशीर सऊदी अरब में अच्छी नौकरी होने के बावजूद अपने वतन लौट आए. वतन की मिट्टी उन्हें अपनी ओर खींच रही थी और एक दिन उनहोंने सऊदी अरब को अलविदा कर दिया. अपने देश वापस आकर उन्होंने मत्स्य पालन की ओर रूख किया और 7 एकड़ में मछली पालन का यह बिजनेस शुरू कर दिया.

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तालाब में भरा पानी

जिले के हैं नंबर वन मत्स्य पालक
मोहम्मद बशीर बताते हैं कि शुरू में काफी परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने हार नहीं मानी. लगातार अपना प्रयास जारी रखा. आज मोहम्मद बशीर न सिर्फ जिले के सबसे बड़े मछली पालकों में से एक गिने जाते हैं बल्कि कई परिवारों को रोजगार भी देते हैं. मोहम्मद बशीर ने बताया कि सऊदी अरब में काफी दिनों तक काम किया लेकिन वहां की आबो हवा रास नहीं आई. लगातार मेरा वतन मुझे अपनी और खींच रहा था. एक दिन मैंने यह ठान लिया कि क्यों न अपने देश मे रहकर कुछ किया जाए. ये सोचकर मैं विदेश से लौट आया.

md basheer
मुर्गियों को दाना डालते बशीर

मुर्गी पालन का भी रखते हैं शौक
सउदी से लौटने के बाद वो अपने भाई के पास गुवाहाटी गए. जहां उनकी मुलाकात एक मछली पालक से हुई जिसने मुझे मछली पालन के बारे में बताया. तब क्या था वह अपने घर आए और यहां आकर अपने जमीन में तालाब खुदवाया और मछली पालन शुरू कर दिया. बशीर ने कहा कि तब से लेकर आज तक मैं मछली पालन कर रहा हू. साथ ही वो मुर्गी पालन भी कर रहे हैं. आश्चर्य की बात तो ये है कि मो. बशीर के बाइक की आवाज सुनकर बत्तख मुर्गी उनकी ओर दौड़ पड़ते हैं. इसके बाद वह मुर्गी और बतख को दाने खिलाते हैं.

मछली पालन पर स्पेशल रिपोर्ट

कई जिलों में होती है सप्लाई
आज बशीर अपने काम से काफी संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि मेरे साथ कई परिवार को भी रोजगार मिल रहा है. मेरी सोच है कि इससे भी बड़ा फॉर्म बनवाकर मछली पालन व मुर्गी पालन को आगे बढ़ांऊ. बशीर ने बताया कि उनकी मछलियां पटना, सिवान, बेतिया छपरा गोपालगंज समेत कई जिलों में सप्लाई होती हैं. उनके तालाब में रेहू, कतला, ग्रास, प्यासी, नैनी, सिल्वर किस्म की मछली का पालन होता है. यहां स्पर्म डालकर बच्चा भी पैदा किया जाता है. इस काम में बशीर को लाखों का मुनाफा होता है.

Intro:आज भले ही हमारा देश दुनिया के बाकी देशों के साथ विकास की पटरी पर तेजी से दौड़ रहा है। लेकिन इस देश में आज भी ज्यादातर आबादी खेती पर ही निर्भर हैं। आज के इस डिजिटल दौर में भी कभी अकाल और सूखे की मार तो कभी बाढ़ की मार से देश के किसान बेहाल है युवा पीढ़ी खेती को छोड़ दूसरे काम करने का रास्ता खोज रही है अगर बात की जाए गोपालगंज जिले की तो यहां अधिकांश युवा विदेशों की ओर रुख करते हैं लेकिन विदेश में भी कई ऐसे युवा हैं जिन्हें चैन नहीं मिलती और अपना वतन की ओर लौट आते हैं


Body:हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 25 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के महुआ गांव निवासी फजल हुसैन के पुत्र मोहम्मद वसीर की जिसने सऊदी अरब जाकर नौकरी की अच्छी आमदनी होने के बावजूद उसे अपना वतन उसे अपनी ओर खींच रहा था और एक दिन उसने सऊदी अरब को अलविदा कर अपना देश वापस लौट आया और यहां आकर उसने 7 एकड़ में मछली पालन शुरू कर दी। शुरू में काफी परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने प्रयास को जारी रखा। आज मोहम्मद बशीर न सिर्फ जिले के सबसे बड़े मछली पालकों में से एक गिने जाते हैं बल्कि कई परिवारों को रोजगार भी देते हैं। मोहम्मद बशीर ने बताया कि सऊदी अरब में काफी दिनों तक काम किया लेकिन वहां के आबो हवा रास नहीं आई और लगातार मेरा वतन मुझे अपनी और खींच रहा था और एक दिन मैंने यह ठान लिया कि क्यों न अपने देश मे रहकर कुछ किया जाए। तब मैंने विदेश से लौट कर अपने भाई के पास गुवाहाटी गया वहां हमारी मुलाकात एक मछली पालक से हुई जिसने मुझे मछली पालन के बारे में बताया। तब क्या था मैं अपने घर आया और यहां आकर अपने जमीन में तालाब खुदवाया और मछली पालन शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक मैं मछली पालन कर रहा हूँ। साथ ही मैने मुर्गी पालन भी शुरू कर दिया है और आज मै अपने काम से काफी सन्तुष्ट हु। क्योंकि मेरे साथ कई परिवार को भी रोजगार मिल रहा है। मेरी सोच है कि इससे भी बड़ा फॉर्म बनवाकर मछली पालन व मुर्गी पालन कर सकू। यहां के मछलियां पटना, सिवान, बेतिया छपरा गोपालगंज समेत कई जिलों में सप्लाई होती है।हमारे यहां रेहू, कतला, ग्रास, प्यासी, नैनी, सिल्वर किस्म के मछली का पालन होता है। यहां स्पर्म डालकर बच्चा भी पैदा किया जाता है । लेकिन आश्चर्य की बात उसवक्त देखने को मिली जब मो वसीम के बाइक की आवाज सुनकर बत्तख व मुर्गी उनके ओर दौड़ पड़े।।इसके बाद उन्होंने मुर्गी बतख को दाने खिलाएं।


Conclusion:na
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