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गर्मी में पानी को मोहताज हुए लोग, खराब चापाकल बना परेशानी का सबब

सरकार के निर्देशानुसार गांवों में स्थापित 3177 वार्डो में से करीब दो हजार वार्डो में 3 सालों में योजना पूरी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन अभी तक दो सौ वार्डो में भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है.

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Published : Apr 13, 2019, 2:08 PM IST

खराब चापाकल

गोपालगंजः अप्रैल माह में पड़ रही प्रचंड गर्मी से सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में गर्मी का रूप क्या होगा. इस प्रचंड गर्मी में पानी का लेयर नीचे ही जा रहा है. वहीं, लोगों की प्यास बुझाने की सरकारी योजना सिर्फ कागजात तक ही सिमट कर रह गई है.

जिला मुख्यालय समेत विभिन्न प्रखंडों में करीब 37 हजार सरकारी चापाकल लगाए गए थे. जिसमें से अधिकांश देख भाल के अभाव में खराब हो गए. इन खराब चापाकलों से पानी नहीं गिरता है. लेकिन सरकार व विभाग लगातार यह दावा करता है कि लोगों तक शुध्द पेयजल मुहैया कराया जा रहा है.

बदहाल पड़ी सरकारी योजनाएं
वहीं, ईटीवी भारत ने जिले के विभिन्न जगहों का जायजा लिया, जहां कई जगहों पर लगाए गए सरकारी चापाकल काफी दिनों से खराब पड़े मिले. जिस पर शायद विभाग की नजरें नहीं जाती. साथ ही सरकार द्वारा लगाए गए हर घर नल का जल योजना भी बदहाली का दंश झेल रहा है. लोगों को ना ही नल से जल मिल पाता है और ना ही सरकारी चापाकल से.

जानकारी देते स्थानीय लोग और कार्यपालक अभियंता

पूरा नहीं हो सका लक्ष्य
सरकार के निर्देशानुसार गांवों में स्थापित 3177 वार्डो में से करीब दो हजार वार्डो में 3 सालों में योजना पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन अभी तक दो सौ वार्डो में भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. चापाकल की मरम्मत नहीं होने और नल का जल योजना की गति धीमी होने से जिले के लोगों को इस साल पानी की किल्लत से जूझना पड़ेगा. जिस वार्ड में चापाकल खराब है और वहां नल जल योजना नहीं पहुंची है वहां तो और भी परेशानी है.

क्या बोले कार्यपालक अभियंता
पीएचईडी विभाग द्वारा करीब 37,752 चापाकल लगाए गए हैं. जिसमे 7089 चापाकल खराब पड़े हैं. शहरी क्षेत्रो में 597 चापाकल लगाए गए हैं, जिसमे 54 खराब हैं, स्थानीय लोग गर्मी के मौसम में प्यास बुझाने के लिए पानी खरीद कर पीने को विवश हैं. इस संदर्भ में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जितने भी खराब चापाकल हैं उनकी मरम्मती का कार्य शुरू हो चुका है. जल्द ही सभी खराब चापाकल ठीक हो जाएंगे.

गोपालगंजः अप्रैल माह में पड़ रही प्रचंड गर्मी से सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में गर्मी का रूप क्या होगा. इस प्रचंड गर्मी में पानी का लेयर नीचे ही जा रहा है. वहीं, लोगों की प्यास बुझाने की सरकारी योजना सिर्फ कागजात तक ही सिमट कर रह गई है.

जिला मुख्यालय समेत विभिन्न प्रखंडों में करीब 37 हजार सरकारी चापाकल लगाए गए थे. जिसमें से अधिकांश देख भाल के अभाव में खराब हो गए. इन खराब चापाकलों से पानी नहीं गिरता है. लेकिन सरकार व विभाग लगातार यह दावा करता है कि लोगों तक शुध्द पेयजल मुहैया कराया जा रहा है.

बदहाल पड़ी सरकारी योजनाएं
वहीं, ईटीवी भारत ने जिले के विभिन्न जगहों का जायजा लिया, जहां कई जगहों पर लगाए गए सरकारी चापाकल काफी दिनों से खराब पड़े मिले. जिस पर शायद विभाग की नजरें नहीं जाती. साथ ही सरकार द्वारा लगाए गए हर घर नल का जल योजना भी बदहाली का दंश झेल रहा है. लोगों को ना ही नल से जल मिल पाता है और ना ही सरकारी चापाकल से.

जानकारी देते स्थानीय लोग और कार्यपालक अभियंता

पूरा नहीं हो सका लक्ष्य
सरकार के निर्देशानुसार गांवों में स्थापित 3177 वार्डो में से करीब दो हजार वार्डो में 3 सालों में योजना पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन अभी तक दो सौ वार्डो में भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. चापाकल की मरम्मत नहीं होने और नल का जल योजना की गति धीमी होने से जिले के लोगों को इस साल पानी की किल्लत से जूझना पड़ेगा. जिस वार्ड में चापाकल खराब है और वहां नल जल योजना नहीं पहुंची है वहां तो और भी परेशानी है.

क्या बोले कार्यपालक अभियंता
पीएचईडी विभाग द्वारा करीब 37,752 चापाकल लगाए गए हैं. जिसमे 7089 चापाकल खराब पड़े हैं. शहरी क्षेत्रो में 597 चापाकल लगाए गए हैं, जिसमे 54 खराब हैं, स्थानीय लोग गर्मी के मौसम में प्यास बुझाने के लिए पानी खरीद कर पीने को विवश हैं. इस संदर्भ में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जितने भी खराब चापाकल हैं उनकी मरम्मती का कार्य शुरू हो चुका है. जल्द ही सभी खराब चापाकल ठीक हो जाएंगे.

Intro:अप्रैल माह में पड़ रही प्रचंड गर्मी से सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में गर्मी का रूप क्या होगा। इस प्रचंड गर्मी में जहां पानी का लेयर नीचे जा रहा है वही लोगो का प्यास बुझाने की सरकारी योजना सिर्फ योजना बनकर रह जाती है। जिला मुख्यालय समेत विभिन्न प्रखंडों में करीब 37हजार सरकारी चापाकल लगाए गए है जो अधिकांश देख भाल के अभाव में खराब हो गए है। इन खराब चापाकलों से पानी नही गिरता है। लेकिन सरकार व विभाग लगातार यह दावा करता है कि लोगो तक शुध्द पेयजल मुहैया कराई जा रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही व्या करती है। वही ईटीवी भारत ने जिले के विभिन्न जगहों का जायजा लिया जहां कई जगहों पर लगाए गए सरकारी चापाकल काफी दिनों से खराब पड़े मिले जिसपर विभाग की नजरे नही जाती। साथ ही सरकार द्वारा लगाए गए हर घर नल का जल योजना भी बदहाली का दंश झेल रहा है। जिससे लोगो को ना ही नल से जल मिल पाता है और नाही सरकारी चापाकल से। सरकार के निर्देशानुसार गाँवो में स्थापित 3177 वार्डो में से तीन वित्तीय वर्षो में करीब दो हजार वार्डो में योजना पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन अभी तक दो सौ वार्डो में भी लक्ष्य पूरा नही हो सका है। चापाकल की मरमत्ती नही होने और नल का जल योजना की गति धीमी होने से जिले के लोगो को इस साल गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत से जूझना पड़ेगा। जिस वार्ड में चापाकल खराब है और वहां नल जल योजना नही पहुँची है वहा तो और भी परेशानी का सबब है। पीएचईडी विभाग द्वारा करीब 37 752 चापाकल लगाए गए है। जिसमे 7089 चापाकल खराब पड़े है। शहरी क्षेत्रो में 597 चापाकल लगाए गए है जिसमे 54 खराब है। अब इन चापाकल के मरमत्ती नही होने के कारण इन क्षेत्र के लोगो को पानी की क़िल्लत से जूझना पड़ रहा है। वही स्थानीय लोग गर्मी के मौसम में प्यास बुझाने के लिए पानी खरीद कर पीने को विवश है। इस संदर्भ में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग(पीएचइडी)के कार्यपालक अभियंता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जितने भी खराब चापाकल है उनकी मरमती का कार्य शुरू हो चुका है जल्द ही सभी खराब चापाकल ठीक हो जाएंगे। ताकि चुनाव के समय मतदाता अपनी प्यास बुझा सके साथ ही अन्य दिनों में भी लोगो को प्यास बुझाने के लिए जल्द ही इसकी मर्मति की जाएगी।


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