गोपालगंज: जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ब्रिटिश शासन काल में 517 एकड़ में बना हवाई अड्डा आज बदहाल है. युद्ध के समय विमानों के आवागमन के लिए बनाया गया हवाई अड्डा वर्षों से हो रहे अतिक्रमण की वजह से विलुप्त होने के कगार पर है. वहीं, स्थानीय लोग लंबे समय से यहां घरेलू उड़ानों की मांग करते रहे हैं.
प्रशासनिक उपेक्षाओं का शिकार
हवाई अड्डे का कंट्रोल रूम आज भी मौजूद है. बता दें कि एक समय यहां कई विमान एक साथ उड़ान भरती थीं. वहीं, जेडीयू सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन ने भी दो बार सदन में हवाई अड्डे के जीर्णोद्धार की मांग की है. इसके बावजूद प्रशासनिक उपेक्षाओं का हवाई अड्डा बराबर शिकार होता रहा है.
अतिक्रमण का शिकार हवाई अड्डा
स्थानीय लोगों की माने तो यह हवाई अड्डा पर्यटन दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. विश्व युद्ध की यादों को संजोए रखने वाला हवाई अड्डा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. चारों तरफ से हवाई अड्डे का अतिक्रमण किया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि हवाई अड्डे के पुनर्निर्माण होने पर यहां के लोगों को काफी सहूलियत होगी. क्योंकि यहां के अधिकांश लोग खाड़ी देशों में रहते हैं. जिनको आवागमन में काफी राहत मिलेगी.