गोपालगंज: बिहार के शिक्षक बहाली में डोमिसाइल की मांग को लेकर छात्र आंदोलित हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को गोपालगंज के अंबेडकर चौक के पास एक दिवसीय धरना दिया. कार्यकर्ताओं ने बिहार में शिक्षक बहाली प्रकिया से डोमिसाइल नीति हटाने, शिक्षक अभ्यर्थियों को गुमराह करने और नई शिक्षा नीति का विरोध किया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने कहा कि डोमिसाइल नीति को बदलना तकनीकी रूप से गैरकानूनी है और इसे सरकार को वापस लेना चाहिए.
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'डोमिसाइल नीति को बदलना गैरकानूनी' : दरअसल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने कहा कि पिछले माह घोषित 1.70 लाख स्कूली शिक्षकों की बहाली की घोषणा से युवाओं में एक नई उम्मीद जगी. लेकिन पिछले कुछ महीने के घटनाक्रम और सरकार के प्रतिनिधियों के बयानों को देखने से यह स्पष्ट हो रहा कि यह घोषित नियुक्ति बिहार के युवाओं के खिलाफ षड्यंत्र है. जान बूझकर बहाली को लटकाने का प्रयास किया जा रहा है. कार्यकर्ताओं ने कहा की शिक्षक बहाली प्रक्रिया के बीच में डोमिसाइल नीति को बदलना तकनीकी रूप से गैरकानूनी है.
"2 जुलाई को पटना में शिक्षक अभ्यर्थियों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस के द्वारा किया गया बलप्रयोग शर्मनाक है. इसके लिए छात्रों से बिहार सरकार को माफी मांगनी चाहिए एवं एक उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों को कड़ी सजा देनी चाहिए." -प्रिंस सिंह
बिहार में अवसर की कमी हो जाएगी: अभाविप के कार्यकर्ताओं ने कहा कि इससे बिहार के बच्चों के लिए अवसर की कमी हो जाएगी. जहां सभी राज्य अपने राज्यों में केवल अपने बच्चों को ही प्राथमिकता देने के लिये डोमिसाइल नीति को लागू करते हैं तो वहीं सभी गैर हिन्दी राज्य अपने स्थानीय भाषा का ज्ञान भी आवश्यक कर देते हैं. शिक्षक बहाली के लिए ऑल इंडिया लेवल पर वैकेंसी खोले जाने का जो शिक्षा मंत्री ने तर्क दे रहे हैं. वह बहुत ही शर्मनाक है.
"बिहार में मेधा की कोई कमी नहीं हैं और साइंस स्ट्रीम में अभ्यर्थियों की भी कोई कमी नहीं है. शिक्षा मंत्री गणित के लिए अभ्यर्थियों की कमी की बात करते हैं जबकि पूरे देश और दुनिया में गणित के क्षेत्र में बिहारी छात्रों का जलवा रहता है. शिक्षक बहाली की नियमावली और सिलेबस में जिस प्रकार परिवर्तन हो रहे हैं उससे शिक्षक अभ्यर्थी परेशान हैं और कंफ्यूजड हैं. अभी तक आठ बार विज्ञापन में संशोधन किया जा चुका है." -अनीश कुमार