गोपालगंज: लॉकडाउन क्या हुआ, शहरों की रफ्तार ही थम गई. कोरोना वायरस ने नाई समाज के सामने कई मुसीबतें खड़ी कर दी है. इनकी स्थिति बद से बदतर हो गई है. रोज कमाने-खाने वाल यह समाज आज भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है. वहीं, सैलून बंद होने के कारण युवा बढ़े दाढ़ी और बाल भी नहीं बनवा पा रहे हैं.
दरअसल देश-दुनिया में फैले कोरोना वायरस के आतंक से हर कोई डरा और सहमा हुआ है. वहीं, सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर नाई समाज पर देखने को मिला है. पूरे जिले की अगर बात करें, तो यहां कुल नाई समाज की आबादी लगभग 4 लाख है. साथ ही सैलूनों की संख्या 25 हजार है. इन सैलूनों पर करीब एक लाख लोग निर्भर हैं, प्रत्येक सैलून में चार से पांच लोग काम करते हैं, जबकि 5 हजार नाई सड़कों के किनारे बैठकर जीविकोपार्जन करते हैं.
लाखों परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति
नाई समाज का मुख्य पेशा लोगों का दाढ़ी-बाल बनाना है. अब ऐसे में इस कोरोना काल में लागू लॉकडाउन ने करीब एक लाख परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न कर दी है. ये परिवार रोज कमाने खाने वाले होते हैं.
सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग
इस संदर्भ में नाई समाज के जिलाध्यक्ष परमानन्द ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन में हम सरकार के हर निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन हमारे समाज के लोगों का मुख्य पेशा लोगों का दाढ़ी बाल बनाना है. जीविका का एक मात्र यही एक जरिया है. आज हमारे समाज के लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. जिस पर सरकार को सोचना चाहिए और हमारे लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.
वहीं, सैलून के बंद हो जाने के कारण युवाओं के दाढ़ी बाल बढ़ने लगे हैं. ऐसे में युवा भी सरकार से ये मांग करते हैं कि इन समस्याओं को देखते हुए सरकार को इस पर पहल कर एक नियम के तहत सैलून खोलने की अनुमति देनी चाहिए.