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गया: अस्पताल का हाल बेहाल, एक डॉक्टर के भरोसे चलता है अस्पताल

हैरत की बात है कि यह अस्पताल सूबे के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के घर के ठीक सामने है. इसके बावजूद पूर्व सीएम की इसपर नजर नहीं पड़ी है. अस्पताल की बुनियादी ढ़ांचा, सुविधा और स्वास्थ्य व्यवस्था खुद इमरजेंसी के हालत में है.

बदहाल में अस्पताल
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Published : Jul 8, 2019, 2:26 PM IST

गया: शहर के अस्पतालों ने मुजफ्फरपुर घटना से अबतक सीख नहीं ली है. अस्पतालों की लापरवाही और कुव्यवस्था देखने को लगातार मिल रही है. दरअसल, ब्रिटिश शासन में यहां एक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण हुआ था. जिसे आज संक्रामक अस्पताल के नाम से जाना जाता है. इस अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां मरीज भर्ती होने से पहले सोचते हैं. क्योंकि यह अस्पताल खुद बीमार नजर आ रहा है.

पेश है रिपोर्ट
इमरजेंसी में अस्पताल हैरत की बात है कि यह अस्पताल सूबे के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के घर के ठीक सामने है. इसके बावजूद पूर्व सीएम की इसपर नजर नहीं पड़ी है. अस्पताल की बुनियादी ढ़ांचा, सुविधा और स्वास्थ्य व्यवस्था खुद इमरजेंसी के हालत में है. अस्पताल परिसर में पूरी गन्दगी फैली हुई है. आलम यह है कि नाली का पानी पूरे अस्पताल परिसर से होकर गुजरता है. जिससे बीमारी होने का ज्यादा खतरा है.
GAYA
अस्पताल परिसर में फैली गन्दगी

एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल
स्थानीय बताते हैं कि बगल के कुछ लोगों को छोड़ कर किसी को खबर नहीं है कि यहां कोई अस्पताल भी है. शहर के बीचोबीच बसा ये अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चलता है. पूर्व सीएम के घर होने के नाते उम्मीद थी कि इस अस्पताल को दुरुस्त किया जाएगा. लेकिन, अभी तक ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.

अस्पताल प्रभारी ने क्या कहा
अस्पताल प्रभारी अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि इस अस्पताल में डायरिया और टेटनस बीमारी के लिए लोग ज्यादा आते हैं. अस्पताल के ओपीडी में दर्जनों मरीज विभिन्न बीमारी से ग्रस्त आते हैं. सभी का इलाज किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में सिर्फ एकलौते वही डॉक्टर कार्यरत हैं. हालांकि, विभाग को इस बात की जानकारी कई बार दी गई है.

डीएम ने लिया संज्ञान
डॉक्टर ने कहा कि रही बात यहां फैली गन्दगी की. तो यहां के मोहल्ले का गंदा पानी ही बहता है. जो पूरे अस्पताल परिसर को खराब कर रहा है. ग्रामीण मवेशी बांधकर छोड़ देते हैं. वहीं, जिलाधिकारी ने बढ़ती गन्दगी को संज्ञान में लेते हुए अस्पताल परिसर की घेराबंदी भी की. अस्पताल प्रशासन की पूरी कोशिश है कि इस समस्या से निबटा जाए.

गया: शहर के अस्पतालों ने मुजफ्फरपुर घटना से अबतक सीख नहीं ली है. अस्पतालों की लापरवाही और कुव्यवस्था देखने को लगातार मिल रही है. दरअसल, ब्रिटिश शासन में यहां एक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण हुआ था. जिसे आज संक्रामक अस्पताल के नाम से जाना जाता है. इस अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां मरीज भर्ती होने से पहले सोचते हैं. क्योंकि यह अस्पताल खुद बीमार नजर आ रहा है.

पेश है रिपोर्ट
इमरजेंसी में अस्पताल हैरत की बात है कि यह अस्पताल सूबे के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के घर के ठीक सामने है. इसके बावजूद पूर्व सीएम की इसपर नजर नहीं पड़ी है. अस्पताल की बुनियादी ढ़ांचा, सुविधा और स्वास्थ्य व्यवस्था खुद इमरजेंसी के हालत में है. अस्पताल परिसर में पूरी गन्दगी फैली हुई है. आलम यह है कि नाली का पानी पूरे अस्पताल परिसर से होकर गुजरता है. जिससे बीमारी होने का ज्यादा खतरा है.
GAYA
अस्पताल परिसर में फैली गन्दगी

एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल
स्थानीय बताते हैं कि बगल के कुछ लोगों को छोड़ कर किसी को खबर नहीं है कि यहां कोई अस्पताल भी है. शहर के बीचोबीच बसा ये अस्पताल सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चलता है. पूर्व सीएम के घर होने के नाते उम्मीद थी कि इस अस्पताल को दुरुस्त किया जाएगा. लेकिन, अभी तक ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है.

अस्पताल प्रभारी ने क्या कहा
अस्पताल प्रभारी अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि इस अस्पताल में डायरिया और टेटनस बीमारी के लिए लोग ज्यादा आते हैं. अस्पताल के ओपीडी में दर्जनों मरीज विभिन्न बीमारी से ग्रस्त आते हैं. सभी का इलाज किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में सिर्फ एकलौते वही डॉक्टर कार्यरत हैं. हालांकि, विभाग को इस बात की जानकारी कई बार दी गई है.

डीएम ने लिया संज्ञान
डॉक्टर ने कहा कि रही बात यहां फैली गन्दगी की. तो यहां के मोहल्ले का गंदा पानी ही बहता है. जो पूरे अस्पताल परिसर को खराब कर रहा है. ग्रामीण मवेशी बांधकर छोड़ देते हैं. वहीं, जिलाधिकारी ने बढ़ती गन्दगी को संज्ञान में लेते हुए अस्पताल परिसर की घेराबंदी भी की. अस्पताल प्रशासन की पूरी कोशिश है कि इस समस्या से निबटा जाए.

Intro:बिहार में पटना के बाद गया में प्रशासनिक,राजनीतिक ,सामजिक तौर अहम माना जाता है। ब्रिटिश शासन में गया शहर का महत्व है। ब्रिटिश सरकार ने शहर के बीचों बीच अस्पताल बनाया था जिसको अब लोग संक्रामक अस्पताल के नाम से जानते हैं। इस अस्पताल का हालत बदहाल हैं। अस्पताल के बुनियादी ढांचे ,सुविधाओं के साथ स्वास्थ्य सेवा भी इमरजेंसी हालत में है।


Body:अंग्रेजों द्वारा बनाया गया संक्रामक अस्पताल पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के घर के ठीक सामने है। मुख्यमंत्री काल मे भी जितनराम मांझी ने इस अस्पताल का जीणोद्धार नही कर पाए। आज अस्पताल खुद आईसीयू में भर्ती होने लायक है। अस्पताल के बुनियादी ढांचे अब साथ देने को तैयार हैं। अस्पताल परिसर में गन्दगी अंबार पसरा हुआ है। कई मुहल्ला का नाली का पानी अस्पताल के नजदीक से गुज़रता हैं। संक्रामक अस्पताल में मरीज इलाज करवाने आते हैं उनको सबसे ज्यादा अस्पताल व्यवस्था से संक्रमण होने का डर लगता हैं।

जिला का इकलौता संक्रामक अस्पताल मरीजो का टोह देखता है , शहर के बीचों बीच बसा अस्पताल एक डॉक्टर के भरोसे चलता है। सुबह डॉक्टर ओपीडी देखते है जिसमे आसपास के मरीज इलाज करवाने आते हैं। मुहल्ले के एक व्यक्ति ने बताया अस्पताल के आसपास के छोड़ किसको पता नही यहां इलाज भी होता हैं। बरसात के मौसम का आगमन हुआ है ऐसे में संक्रामक अस्पताल का व्यवस्था बेहतर कर इससे अलर्ट पर रखना चाहिए था लेकिन प्रशासन अभी कुछ नही कर रहा हैं । जब लोग मलेरिया, डायरिया, कॉलरा से दर्जनों मरगे तो प्रशासन का नीद टूटेगा।

वही अस्पताल के प्रभारी अशोक कुमार सिन्हा ने बताया ये अस्पताल डायरिया और टेटनस बीमारी के लिए विशेष तौर पर है। अस्पताल के ओपीडी में दर्जनों मरीज विभिन्न बीमारी से ग्रस्त आते हैं। सभी का इलाज किया जाता है। शहर के बीचों बीच बसा अस्पताल सिर्फ मेरे भरोसे चल रहा है। यहां के प्रभारी और चिकित्सक मैं हूं। सरकार के तरफ से भी एक डॉक्टर के स्वीकृति हैं। अभी बरसात के मौसम मरीजो का संख्या बढ़ जाता है। इस अस्पताल में कम से कम चार डॉक्टर चाहिए। अंग्रेजी हुकूमत ने इस अस्पताल का निर्माण करवाये थे लेकिन अब अस्पताल की बुनियाद कमजोर हो रहा है। अस्पताल परिसर से मुहल्ले का नाली बहता है। परिसर के आसपास बसे लोग कचड़ा फेख दे रहे हैं। लोग अपने मवेशियों को यही छोड़ देते हैं। शाम ये अस्पताल परिसर असमाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है। जिलाधिकारी ने गन्दगी को देखते हुए टिन से घेराबंदी करवाये हैं। हमलोग हर प्रयास करते हैं मरीजो को दिक्कत नही हो।


Conclusion:
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