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Gaya News: गया में दुर्गा समूह की महिलाएं वेस्ट से बना रही आकर्षक वस्तुएं, सालाना लाखों का है टर्नऑवर - गया में दुर्गा समूह की महिलाएं

बिहार के गया में दुर्गा समूह की महिलाएं (Women of Durga Samuh in Gaya) एक खास पहल लेकर आई हैं. वो वेस्ट मटेरियल से कई आकर्षक वस्तुएं बना रही हैं. इस समूह से कई महिलाएं जुड़ी हैं, वो सभी साथ मिलकर फ्लावर पॉट, ज्वेलरी बॉक्स और भी कई अन्य वस्तुएं बना कर मार्केट में बेचती हैं. जिससे इन्हें सालाना लाखों का टर्नऑवर मिलता है.

गया में दुर्गा समूह
गया में दुर्गा समूह
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Published : Apr 4, 2023, 8:28 AM IST

गया में दुर्गा समूह की महिलाएं

गया: बिहार के गया में आत्मनिर्भरता के मामले महिलाएं काफी जागरूक दिख रही हैं. यही वजह है कि वह समूह बनाकर कई तरह के निर्माण कर रही और लाखों कमा रही हैं. गया में दुर्गा समूह द्वारा बेमोल समझी जाने वाली चीजों से आकर्षक वस्तुएं तैयार की जा रही है. ज्वेलरी बॉक्स, फर्स्ट एड किट, ट्रे समेत दर्जनभर आकर्षक वस्तुएं बना रही. इनके द्वारा बनाए गए सामान दिल्ली तक भी जा रहे हैं और अच्छी कीमत मिल रही है. वहीं उनके द्वारा बनाए गए सामानों को दिखाने में एक संस्था की बड़ी भूमिका है, जिसके कारण दुर्गा समूह की महिलाओं के बनाए गए सामान की आसानी से बिक्री हो जा रही है.

पढ़ें-Sikki Art in Bihar: सुधीरा देवी सिक्की कला से बना रहीं पहचान, हुनर देखकर हर कोई हैरान

6 महिलाओं से बना है दुर्गा समूह: गया के मंगला गौरी क्षेत्र में दुर्गा समूह की महिलाएं नई वस्तुएं बना रही है. खास बात यह है कि बेकार समझी जाने वाली चीजों से उनके द्वारा इस तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इसकी डिमांड दिल्ली से भी होती है. उनकी बनाई वस्तुएं दिल्ली भी सप्लाई की जाती है और इसके अच्छे दाम मिल रहे. छह महिलाओं को मिलाकर दुर्गा समूह बनाया गया है. दुर्गा समूह की महिलाएं बेकार समझ कर छोड़ दिए जाने वाले कुट, छोटी-मोटी लकड़ियां और रस्सी को मिलाकर इस तरह की वस्तुएं बना रही है. इसके लिए उन्होंने कुछ चुनिंदा स्थान और दुकानदारों से संपर्क कर रखा है, जहां से उन्हें कुट, लकड़ी और जूट की रस्सियां मिल जाती हैं. बाजारों के कई और दुकानदार भी इन महिलाओं को सहयोग करते हैं और इस तरह की बेकार हुई चीजों को इन महिलाओं को देते हैं.


महिलाएं बनाती हैं बेहद आकर्षक सामान: बेकार समझे जाने वाले कुट, लकड़ियां आदि से दुर्गा समूह की महिलाएं कई तरह के सामान बना रही है. उसमें श्रृंगार बॉक्स, फर्स्ट एड किट बॉक्स, ट्रे, फ्लावर पाॅट, पेन स्टैंड, बैग, डॉल ये सभी शामिल हैं. इन सामानों को बनाने के बाद उन्हें आकर्षक लुक भी दिया जाता है, जिससे बाजारों में मिलने वाले सामानों की तरह यह वस्तुएं दिखती है या कई वस्तुएं ऐसी भी है जो बाजारों में उपलब्ध सामान से भी कई ज्यादा आकर्षक होते हैं.

आत्मनिर्भर बनी हैं महिलाएं: दुर्गा समूह की हेड रोजी देवी बताती है कि समूह में काम कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. बेकार समझे जाने वाले सामानों से हम लोगों के द्वारा कई प्रकार की वस्तुएं तैयार की जा रही है. इन वस्तुओं की डिमांड दिल्ली तक होती है. हम लोगों के सामान दिल्ली के मार्केट में भी बिक रहे हैं. हमारे हाथों से बनाया गया सामान कम रेंज से लेकर ज्यादा रेंज तक का भी है. फ्लावर पाॅट, श्रृंगार बॉक्स की 500 रुपये तक की कीमत में बाजारों में मिल जा रहा है. गया के बाजारों के अलावे पटना और दिल्ली में भी हमारे माल की सप्लाई हो रही है. हम लोगों के द्वारा जो भी निर्माण किया जा रहा है, उसे एक संस्था भी खरीदने में सहयोग करती है और इस तरह हमारे द्वारा बनाए गए सामान आसानी से बिक जाते हैं. जिससे दुर्गा समूह की महिलाएं सालाना लाखों रुपए कमाने में सफल हो रही है और घर के खर्च को मेंटेन करना भी आसान हुआ है.

"समूह में काम कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. बेकार समझे जाने वाले सामानों से हम लोगों के द्वारा कई प्रकार की वस्तुएं तैयार की जा रही है. इन वस्तुओं की डिमांड दिल्ली तक होती है. हम लोगों के सामान दिल्ली के मार्केट में भी बिक रहे हैं. हमारे हाथों से बनाया गया सामान कम रेंज से लेकर ज्यादा रेंज तक का भी है. फ्लावर पाॅट, श्रृंगार बॉक्स की 500 रुपये तक की कीमत में बाजारों में मिल जा रहा है. गया के बाजारों के अलावे पटना और दिल्ली में भी हमारे माल की सप्लाई हो रही है." - रोजी देवी, दुर्गा समूह की हेड

गया में दुर्गा समूह की महिलाएं

गया: बिहार के गया में आत्मनिर्भरता के मामले महिलाएं काफी जागरूक दिख रही हैं. यही वजह है कि वह समूह बनाकर कई तरह के निर्माण कर रही और लाखों कमा रही हैं. गया में दुर्गा समूह द्वारा बेमोल समझी जाने वाली चीजों से आकर्षक वस्तुएं तैयार की जा रही है. ज्वेलरी बॉक्स, फर्स्ट एड किट, ट्रे समेत दर्जनभर आकर्षक वस्तुएं बना रही. इनके द्वारा बनाए गए सामान दिल्ली तक भी जा रहे हैं और अच्छी कीमत मिल रही है. वहीं उनके द्वारा बनाए गए सामानों को दिखाने में एक संस्था की बड़ी भूमिका है, जिसके कारण दुर्गा समूह की महिलाओं के बनाए गए सामान की आसानी से बिक्री हो जा रही है.

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6 महिलाओं से बना है दुर्गा समूह: गया के मंगला गौरी क्षेत्र में दुर्गा समूह की महिलाएं नई वस्तुएं बना रही है. खास बात यह है कि बेकार समझी जाने वाली चीजों से उनके द्वारा इस तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इसकी डिमांड दिल्ली से भी होती है. उनकी बनाई वस्तुएं दिल्ली भी सप्लाई की जाती है और इसके अच्छे दाम मिल रहे. छह महिलाओं को मिलाकर दुर्गा समूह बनाया गया है. दुर्गा समूह की महिलाएं बेकार समझ कर छोड़ दिए जाने वाले कुट, छोटी-मोटी लकड़ियां और रस्सी को मिलाकर इस तरह की वस्तुएं बना रही है. इसके लिए उन्होंने कुछ चुनिंदा स्थान और दुकानदारों से संपर्क कर रखा है, जहां से उन्हें कुट, लकड़ी और जूट की रस्सियां मिल जाती हैं. बाजारों के कई और दुकानदार भी इन महिलाओं को सहयोग करते हैं और इस तरह की बेकार हुई चीजों को इन महिलाओं को देते हैं.


महिलाएं बनाती हैं बेहद आकर्षक सामान: बेकार समझे जाने वाले कुट, लकड़ियां आदि से दुर्गा समूह की महिलाएं कई तरह के सामान बना रही है. उसमें श्रृंगार बॉक्स, फर्स्ट एड किट बॉक्स, ट्रे, फ्लावर पाॅट, पेन स्टैंड, बैग, डॉल ये सभी शामिल हैं. इन सामानों को बनाने के बाद उन्हें आकर्षक लुक भी दिया जाता है, जिससे बाजारों में मिलने वाले सामानों की तरह यह वस्तुएं दिखती है या कई वस्तुएं ऐसी भी है जो बाजारों में उपलब्ध सामान से भी कई ज्यादा आकर्षक होते हैं.

आत्मनिर्भर बनी हैं महिलाएं: दुर्गा समूह की हेड रोजी देवी बताती है कि समूह में काम कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. बेकार समझे जाने वाले सामानों से हम लोगों के द्वारा कई प्रकार की वस्तुएं तैयार की जा रही है. इन वस्तुओं की डिमांड दिल्ली तक होती है. हम लोगों के सामान दिल्ली के मार्केट में भी बिक रहे हैं. हमारे हाथों से बनाया गया सामान कम रेंज से लेकर ज्यादा रेंज तक का भी है. फ्लावर पाॅट, श्रृंगार बॉक्स की 500 रुपये तक की कीमत में बाजारों में मिल जा रहा है. गया के बाजारों के अलावे पटना और दिल्ली में भी हमारे माल की सप्लाई हो रही है. हम लोगों के द्वारा जो भी निर्माण किया जा रहा है, उसे एक संस्था भी खरीदने में सहयोग करती है और इस तरह हमारे द्वारा बनाए गए सामान आसानी से बिक जाते हैं. जिससे दुर्गा समूह की महिलाएं सालाना लाखों रुपए कमाने में सफल हो रही है और घर के खर्च को मेंटेन करना भी आसान हुआ है.

"समूह में काम कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. बेकार समझे जाने वाले सामानों से हम लोगों के द्वारा कई प्रकार की वस्तुएं तैयार की जा रही है. इन वस्तुओं की डिमांड दिल्ली तक होती है. हम लोगों के सामान दिल्ली के मार्केट में भी बिक रहे हैं. हमारे हाथों से बनाया गया सामान कम रेंज से लेकर ज्यादा रेंज तक का भी है. फ्लावर पाॅट, श्रृंगार बॉक्स की 500 रुपये तक की कीमत में बाजारों में मिल जा रहा है. गया के बाजारों के अलावे पटना और दिल्ली में भी हमारे माल की सप्लाई हो रही है." - रोजी देवी, दुर्गा समूह की हेड

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