गयाः बिहार के गया जिले के ग्रामीण इलाके गमहर में विलुप्त होते खिलौने और देश की विभिन्न संस्कृति को बचाने की कवायद लकड़ी के खिलौने (Wooden Toys Making In Gaya) बनाकर की जा रही है. यहां वैसे खिलौने बन रहे हैं, जो अब नहीं मिलते हैं. कभी यह खिलौने बच्चों के काफी प्यारे हुआ करते थे लेकिन अब अपवाद के तौर पर ही इन खिलौनों की बिक्री होती है. बोधगया प्रखंड के गमहर गांव के कई परिवार लकड़ी के खिलौने बनाने में जुटे हैं. लकड़ी के खिलौने बनाने के कारोबार का फैलाव भी हुआ है. इनके द्वारा बनाए गए लकड़ी के खिलौने की डिमांड बिहार के अलावा झारखंड और ओडिशा के भी कई जिलों में होती है.
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जीविका द्वारा किया जा रहा है प्रोत्साहितः बोधगया के गमहर गांव में ही सिर्फ लकड़ी का खिलौना बनाया जाता है. यहां बनाए जाने वाले लकड़ी के खिलौने में लटटू, कठपुतली, गुड़िया, गणेश प्रतिमा, मछली सिंधोरा, झारखंड की संस्कृति, राजस्थान की पगड़ी, ढोलक बजाता बालक समेत अन्य शामिल हैं. यहां 20 से अधिक तरह के लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं. सबसे बड़ी बात है कि इन लकड़ी के खिलौने की डिमांड काफी बढ़ती जा रही है. लकड़ी के खिलौने बनाने वाले परिवार को जीविका द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है.
समर्थ संस्था खरीद रही खिलौने ः जीविका द्वारा लकड़ी के खिलौने बनाने वाले परिवार को कहा जा रहा है कि वह विलुप्त होते खिलौने जरूर बनाएं और देश की संस्कृति पर आधारित खिलौने का भी निर्माण करें. लकड़ी के खिलौने कई तरह की संस्कृतियों को जीवंत करते हैं. वहीं, समर्थ नाम की संस्था द्वारा महिलाओं को विलुप्त होते खिलौने और विलुप्त होती संस्कृतियों को जीवंत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. समर्थ संस्था के द्वारा लकड़ी के खिलौने बनाने वाले को आश्वस्त किया गया है कि वे उनके द्वारा बनाए जाने वाले सारे खिलौने खरीद लेंगे और अपने तरीके से बाजारों में उसकी बिक्री करेंगे. इसके एवज में उन्हें उचित मूल्य हर हाल में दिया जाएगा.
महिला पुरुष दोनों मिलकर बनाते हैं खिलौनेः समर्थ संस्था द्वारा इस तरह के सहयोग मिलने के बाद लकड़ी के खिलौने का निर्माण करने वालों की संख्या काफी तादाद में हो गई है. अब महिला और पुरुष दोनों मिलकर लकड़ी के खिलौने बनाते हैं. बोधगया के गमहर गांव में महिला और पुरुष दोनों मिलकर लकड़ी के खिलौने बनाते हैं. हालांकि मुख्य काम महिलाओं का ही होता है. वह लकड़ी के खिलौने के निर्माण से लेकर उसके रंग रोगन में भी लगे रहती हैं. वहीं पुरुष लकड़ी को हाथों एवं मशीन से आकार देने का काम करते हैं. लोग बताते हैं कि लकड़ी के खिलौने एक्सपर्ट लोगों द्वारा ही बनाया जाना संभव है. फिलहाल लकड़ी के खिलौने की डिमांड आज भी कम नहीं है. आज भी ऐसे खिलौने सस्ते और आकर्षक तौर पर उपलब्ध हैं.
रूरल मार्ट के जरिए बेचे जा रहे खिलौनेः समर्थ संस्था की प्रोपराइटर सुरभी कुमारी बताती है कि महिलाएं लकड़ी से विभिन्न खिलौने बना रही हैं. गंगहर गांव में ऐसा हो रहा है. पहले दिक्कत यह थी कि मार्केट नहीं मिल रहा था. गांव के लोगों का कहना था कि खिलौने बनाकर कहां बेचेंगे. ऐसे में हमारे द्वारा रूरल मार्ट केवाल के नाम से बोधगया में ओपेन किया गया है. यहां खिलौने बनाए जा रहे हैं. वैसे खिलौने भी बनाए जा रहे हैं, जो अब बच्चों को नहीं मिल पाते हैं. इस तरह के खिलौनों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
"आमतौर पर जो खिलौने बनते हैं, वह भी खिलौने महिलाएं बन रही हैं. खिलौने में कलर किस तरह का हो इसका काफी ध्यान रखा जा रहा है, ताकि वह बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने. समर्थ संस्था द्वारा महिलाओं को ट्रेनिंग देकर भी लकड़ी के खिलौने बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. गांव के लोगों का कहना था कि खिलौने बनाकर कहां बेचेंगे. ऐसे में हमारे द्वारा रूरल मार्ट बोधगया में ओपेन किया गया है"- सुरभि कुमारी, प्रोपराइटर, समर्थ संस्था
बढ़ रही है खिलौनों की डिमांडः वहीं, ग्रामीणों का यह भी कहना है कि अब खिलौने की डिमांड सीधे तौर पर भी आने लगी है. उड़ीसा और झारखंड के अलावे बिहार के कई जिलों से लकड़ी के खिलौने की डिमांड हो रही है. महिलाओं ने बताया कि यहां कठपुतली, गुड़िया, गणेश प्रतिमा, मछली सिंधोरा जैसे दर्जन भर खिलौने बनाए जा रहे हैं, जो कि अब बाजार में नहीं मिल पाते हैं. खास बात यह है कि यहां सबसे ज्यादा लट्टू बनाए जाते हैं, जिस की डिमांड बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा उड़ीसा और झारखंड से भी होती है. बिहार की अपेक्षा उड़ीसा और झारखंड में लकड़ी से बने ऐसे खिलौने की मांग काफी ज्यादा है.
"हमलोग कठपुतली बाजे गुड्डे और गुड़िया समेत कई खिलौने बनाते हैं. समर्थ संस्था के कारण हमारा रोजगार चल पड़ा है. खिलौने की मांग बिहार के अलावा बाहर भी है. उड़ीसा और झारखंड में भी ये खिलौने जाते हैं. ये सारे खिलौने बनने के बाद हमलोग इसे समर्थ संस्था को दे देते हैं, जहां से हमें उचित दाम मिल जाता है"- अनीता देवी, खिलौना बनाने वाली महिला