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'बारिश के अनुसार खेती करें किसान, अगर ठान लें तो मुश्किल नहीं पानी बचाना'

वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गया में हिट वेब को कम करना होगा. सूखे पड़े जलाशयों को जीवित करना होगा. यहां के किसानों को वर्षा चक्र को फसल चक्र के साथ जोड़ना होगा. यदि ऐसा किया गया तो इस जिले में कभी भी पानी की समस्या नहीं होगी.

वाटरमैन राजेन्द्र सिंह
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Published : Oct 19, 2019, 9:00 AM IST

गया: मगध क्षेत्र में इस साल गर्मी ने आमजन से लेकर सरकार को सकते में डाल दिया था. मगध क्षेत्र के तीन जिलों में गया, नालंदा और औरंगाबाद में हिटवेब से सैकड़ों लोगों की जानें चली गयी थीं. इस गर्मी में पानी का संकट भी गहरा गया था. बिहार सरकार ने हिटवेब और पेयजल संकट दूर करने के लिए जल जीवन हरियाली कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसी कार्यक्रम को सफल बनाने जलपुरुष से विख्यात राजेन्द्र सिंह गया पहुंचे हैं.

जिले में कुछ सालों से बारिश नहीं होने के कारण यहां की नदियां सुखी पड़ी हैं. पिछले वर्ष तो फल्गु नदी में पानी की धारा भी नहीं थी. आलम ये हुआ कि नदी के आसपास के इलाकों में जलस्तर तेजी से घटने लगा और इलाके में जलसंकट की समस्या गहरा गई. इस समस्या के समाधान के जिला प्रशासन ने जलपुरुष से विख्यात राजेन्द्र सिंह से सहयोग मांगा है. वाटरमैन ने फल्गु नदी के तट सीताकुंड से जल पदयात्रा शुरू कर इस अभियान में अपनी सहभागिता की शुरुआत कर दी है.

gaya
वाटरमैन ने सैकड़ों साल पुराने तालाब को गोद लिया

वाटरमैन ने मांगा सात साल का समय
जलपुरुष से विख्यात राजेंद्र सिंह फल्गु नदी को स्पर्श कर इस नदी को सतत सलिला करने के लिए सात सालों का समय लिया है. बता दें कि जलपुरुष ने अब तक 12 सुखी नदियों को पुनजीर्वित किया है. राजेन्द्र सिंह ने जल पदयात्रा कर मानपुर प्रखंड के रसलपुर में सैकड़ों साल पुराने तालाब को गोद लिया.

gaya
फल्गु नदी

'फल्गू में पानी लाना बड़ी चुनौती नहीं'
उन्होंने कहा कि फल्गु नदी में पानी लाना राजस्थान की नदियों के मुकाबले आसान है. राजस्थान में तो बारिश ही नहीं होती. गया में बारिश होती है लेकिन नदी में पानी नहीं रहता. इसमें पानी लाने के लिए किसी इंजीनियर और तकनीक की जरूरत नही है. बस राज्य, समाज और संत की जरूरत हैं जो निस्वार्थ भाव से इसकी पवित्रता के लिए कार्य कर सके. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है, अगर जनभागीदारी सफल हुई तो सात सालों में इस नदी में अनवरत पानी की धारा चलेगी.

पेश है रिपोर्ट

किसानों से सहयोग करने की अपील
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गया में हिट वेब के कम करना होगा. क्योंकि सूरज की तपती किरणों से धरती को बुखार लगता है उस बुखार का तापमान कम करने के लिए हमारे पास जलाशय नहीं है. हमलोग को पुराने व्यवस्था ताल, पाल और झाल को पुनर्जीवित करना होगा. सुखी पड़ी जलाशयों को जीवित करना होगा. यहां के किसानों को वर्षा चक्र को फसल चक्र के साथ जोड़ना होगा. यदि ऐसा किया गया तो इस जिले में कभी भी पानी की समस्या नहीं होगी.

गया: मगध क्षेत्र में इस साल गर्मी ने आमजन से लेकर सरकार को सकते में डाल दिया था. मगध क्षेत्र के तीन जिलों में गया, नालंदा और औरंगाबाद में हिटवेब से सैकड़ों लोगों की जानें चली गयी थीं. इस गर्मी में पानी का संकट भी गहरा गया था. बिहार सरकार ने हिटवेब और पेयजल संकट दूर करने के लिए जल जीवन हरियाली कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसी कार्यक्रम को सफल बनाने जलपुरुष से विख्यात राजेन्द्र सिंह गया पहुंचे हैं.

जिले में कुछ सालों से बारिश नहीं होने के कारण यहां की नदियां सुखी पड़ी हैं. पिछले वर्ष तो फल्गु नदी में पानी की धारा भी नहीं थी. आलम ये हुआ कि नदी के आसपास के इलाकों में जलस्तर तेजी से घटने लगा और इलाके में जलसंकट की समस्या गहरा गई. इस समस्या के समाधान के जिला प्रशासन ने जलपुरुष से विख्यात राजेन्द्र सिंह से सहयोग मांगा है. वाटरमैन ने फल्गु नदी के तट सीताकुंड से जल पदयात्रा शुरू कर इस अभियान में अपनी सहभागिता की शुरुआत कर दी है.

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वाटरमैन ने सैकड़ों साल पुराने तालाब को गोद लिया

वाटरमैन ने मांगा सात साल का समय
जलपुरुष से विख्यात राजेंद्र सिंह फल्गु नदी को स्पर्श कर इस नदी को सतत सलिला करने के लिए सात सालों का समय लिया है. बता दें कि जलपुरुष ने अब तक 12 सुखी नदियों को पुनजीर्वित किया है. राजेन्द्र सिंह ने जल पदयात्रा कर मानपुर प्रखंड के रसलपुर में सैकड़ों साल पुराने तालाब को गोद लिया.

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फल्गु नदी

'फल्गू में पानी लाना बड़ी चुनौती नहीं'
उन्होंने कहा कि फल्गु नदी में पानी लाना राजस्थान की नदियों के मुकाबले आसान है. राजस्थान में तो बारिश ही नहीं होती. गया में बारिश होती है लेकिन नदी में पानी नहीं रहता. इसमें पानी लाने के लिए किसी इंजीनियर और तकनीक की जरूरत नही है. बस राज्य, समाज और संत की जरूरत हैं जो निस्वार्थ भाव से इसकी पवित्रता के लिए कार्य कर सके. उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है, अगर जनभागीदारी सफल हुई तो सात सालों में इस नदी में अनवरत पानी की धारा चलेगी.

पेश है रिपोर्ट

किसानों से सहयोग करने की अपील
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गया में हिट वेब के कम करना होगा. क्योंकि सूरज की तपती किरणों से धरती को बुखार लगता है उस बुखार का तापमान कम करने के लिए हमारे पास जलाशय नहीं है. हमलोग को पुराने व्यवस्था ताल, पाल और झाल को पुनर्जीवित करना होगा. सुखी पड़ी जलाशयों को जीवित करना होगा. यहां के किसानों को वर्षा चक्र को फसल चक्र के साथ जोड़ना होगा. यदि ऐसा किया गया तो इस जिले में कभी भी पानी की समस्या नहीं होगी.

Intro:मगध क्षेत्र में इस वर्ष के गर्मी ने आमजन से लेकर सरकार को सकते में डाल दिया था। मगध क्षेत्र के तीन जिलों में गया,नालंदा औऱ औरंगाबाद में हिटबेब से सैकड़ों लोगो की जान चली गयी थी। इसके बाद इस गर्मी में पीने के पानी का संकट गहरा गया। बिहार सरकार हिटवेब और पेयजल का संकट दूर करने के लिए जल जीवन हरियाली कार्यक्रम का शुरुआत किया है। इसी कार्यक्रम को सफल बनाने गया में जलपुरुष से विख्यात राजेन्द्र सिंह आये हैं।


Body:गया के भगौलिक स्थिति में जिला पहाड़ो से घिरा है यहां के सभी नदिया बरसाती है। हर मौसम का प्रभाव बिहार के अन्य जिलों से यहां अधिक रहता है। गया के सबसे प्रसिद्ध नदी फल्गू नदी है और उसके बाद निरंजना हैं। दोनो नदी दो धर्मो के शुरुआत का हिस्सा है। दोनो नदिया बरसाती हैं बरसात के दिनों में इसमें पानी रहता है। लेकिन इधर कुछ वर्षों से इन नदियों में बरसात के दिनों में बारिश नही होने से पानी नही रहता है। पिछले वर्ष तो फल्गू नदी में पानी की धारा तक नही चल सका था। आलम ये हुआ नदी के आसपास के इलाकों में जलस्तर तेजी से घटने लगा इलाके में जलसंकट का समस्या पैदा हो गया। इस समस्या के समाधान के जिला प्रशासन ने जलपुरुष से विख्यात राजेन्द्र सिंह से सहयोग मांगा है। आज से वाटरमैन फल्गू नदी के तट से सीताकुंड से जल पदयात्रा शुरू कर इस अभियान में अपनी सहभागिता की शुरुआत कर दिए।

गया के फल्गू नदी का जल सनातन धर्म मे जितना महत्व रखता है उतना ही गया शहर के आम जनजीवन के लिए इस नदी का पानी महत्व रखता है। फल्गू नदी में पानी रहने से गया शहर का भूमिगत जलस्त्रोत में कमी नही आती है लेकिन कुछ वर्षों ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्षा ऋतु में भी वर्षा नही होने से इस नदी में पानी नही आया जिससे इस वर्ष गया शहर के आसपास इलाको में जलसंकट के समस्या उतपन्न हो गया।

मोक्षदायिनी फल्गू हर वर्ष लाखो पितरों को अपने पानी से मोक्ष दिलवाती है यहां तक त्रेतायुग में श्री राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने इस फल्गू नदी के तट पर आए थे। आज उसी रघुकुल के भागीरथी को फल्गू नदी बाट जोह रही थी कोई इस कलयुग में भागीरथी आएगा सीता के श्रापों से मुझे मुक्त कर अततः सलिला से सतत सलिला करेगा। आज सुबह के बेला में फल्गू नदी का भागीरथी का इंतजार खत्म हुआ , जलपुरुष से विख्यात राजेंद्र सिंह फल्गू नदी को स्पर्श कर इस नदी को सतत सलिला करने के लिए सात सालों का समय लिया है फल्गू में बह रही पतली धारा ने हल्पा मारते हुए खुशी जाहिर की। आज नही तो सात सालों में अनवरत बहने वाली नदी बन जाऊँगी , फल्गू को इस भागीरथी इसलिए भरोसा है जलपुरुष ने अब तक 12 मरी नदियों को पुनजीर्वित कर दिया है।

गया में हिट वेब से सैकड़ों लोगों की जान गई सरकारी आंकड़े 40 तक बताती है। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा गया में हिट बेब की घटना होगा। क्योंकि सूरज के तपती से धरती को बुखार लगता है उस बुखार का तापमान कम करने के लिए हमलोग के पास जलाशय नही है। हमलोग को पुराने व्यवस्था ताल पाल झाल को पुनर्जीवित करना होगा। सुखी पड़ी जलाशयों को जीवित करना होगा।

राजेन्द्र सिंह ने आज जल पदयात्रा कर मानपुर प्रखंड के रसलपुर में सेकड़ो साल पुराने तालाब को गोद लिया। उन्होंने कहा हम भूमिगत जल स्त्रोत बहुत आश्रित हैं। यहां किसानों से मैं कहना चाहता हूं गया के धरती पर सिर्फ धान की फसल ही हो सकता है ऐसा नही है कम पानी के उपयोग से भी कई फसल हो सकते हैं। गया के किसानों को वर्षा चक्र को फसल चक्र के साथ जोड़ना होगा।

फल्गू नदी में पानी लाने पर कहा हमारे लिए चुनौती नही है क्योंकि मैं राजस्थान में काम किया हूं वहां बारिश नही होता था। फल्गू नदी में बारिश होता हैं लेकिन इस नदी में पानी रहता है। इसमें पानी लाने के लिए किसी इंजीनियर और तकनीक की जरूरत नही है। बस राज्य,समाज और संत की जरूरत हैं जो निस्वार्थ भाव से इसकी पवित्रता के लिए कार्य कर सके। मुझे विश्वास है अगर जनभागीदारी सफल हुआ तो सात सालों में इस नदी में अनवरत पानी धारा चलेगी।


Conclusion:गया में पेयजल संकट को दूर करने के लिए जलपुरुष आये हैं उनके आगमन का उद्देश्य क्या है फल्गू जिसका धार्मिक महत्व है वो कैसे देखती है गया के असली समस्या क्या है और आमजन को क्या चाहिए और जलपुरुष कैसे भागीरथी बनेंगे फल्गू के सारी बाते भेजा हूं।
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