गया: बिहार के बोधगया स्थित तिब्बती बौद्ध मठों में तिब्बत की निर्वासित सरकार के केंद्रीय प्रशासन के चुनाव को लेकर वोटिंग हुई. इस दौरान बिहार के बोधगया में रहने वाले 60 तिब्बती समुदायों के लोगों ने बैलेट पेपर के जरिए अपने मतों का प्रयोग किया. बता दें कि यह चुनाव केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के राष्ट्रपति पद और चालीस सांसदों के लिए कराए जा रहे हैं.
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बैलेट पेपर के जरिए हुई वोटिंग
जानकारी के अनुसार, सुबह आठ बजे तिब्बती बौद्ध मठों में बने मतदान केंद्रों पर बोधगया में रहनेवाले करीब 60 तिब्बती समुदायों के लोगों ने मतदान करना शुरू किया. वोटिंग के बाद मतदान पेटी को सील करके रख दिया गया है. इसे धर्मशाला भेजा जाएगा. धर्मशाला में सीटीए के चुनाव आयोग की मौजूदगी में सभी मतों की गिनती की जाएगी और उसके बाद चुनावों के परिणाम घोषित किए जाएंगे.
17वीं निर्वासित संसद के लिए हुआ मतदान
इस चुनाव को लेकर बोधगया स्थित तिब्बत बौद्ध मठ के प्रभारी लामा आमजे बाबा ने बताया कि भारत देश मे डेढ़ लाख तिब्बती रहते हैं. हमलोगों की अपनी सरकार है, जिसका चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हर पांच साल में होता है. उन्होंने जानकारी दी कि 17वीं निर्वासित संसद के सदस्यों के चुनाव के लिए रविवार को अंमित चरण के मतदान किए गए. उन्होंने जानकारी दी कि धर्मशाला में सीटीए का चुनाव आयोग दो दिन में परिणामों की घोषणा करेगा.
तिब्बत संसद में हैं 45 सीटें
बता दें कि तिब्बत संसद में 45 सीटें हैं. इनमें तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों यू-त्सांग, धोते और धोमी में से 10-10 प्रतिनिधि हैं. तिब्बती बौद्ध धर्म और प्री-बौद्ध बॉन धर्म के चार स्कूलों में से दो-दो प्रतिनिधि हैं. तिब्बत की निर्वासित संसद में दो सीट महिलाओं के लिए भी रिजर्व है.
दरअसल, तिब्बत चीन के कब्जे वाला देश है, वहां से डेढ़ लाख तिब्बती भारत मे शराणार्थी के तौर पर रहते हैं. ये सभी तिब्बती लोकतांत्रिक तरीके से अपनी निर्वासित सरकार का गठन हर पांच साल में भारत में ही करते हैं. इस बार के चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला पेन्पा त्सेरिंग और औकात्संग केलसांग दोर्जी के बीच है.