गया: शहर के परिसदन भवन में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने किसान बिल को लेकर मीडिया को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार किसानों और मजदूरों के हित के लिए सिर्फ दिखावे की बात करती है. सरकार कहती है कि सब कुछ हम किसान के लिए कर रहे हैं. सरकार यह भी दावा करती है कि किसानों की फसलों के लागत का डेढ़ गुना ज्यादा मूल्य देगी. लेकिन जब से कृषि बिल बना है, तब से किसान आंदोलन करने को मजबूर हैं.
'वर्तमान समय में 9 से 10 रुपये किलो धान बेचने पर किसान मजबूर हैं. राज्य सरकार बताए कि उसने जो वादा किया था, उस वादे का क्या हुआ? राज्य सरकार 15 सालों से वादा कर रही हैं. लेकिन आज तक पूरा नहीं कर सकी. बहुत सारे ऐसे किसान हैं, जिनका धान पैक्स के माध्यम से खरीदा गया. उनके धान का पैसा अभी तक नहीं मिला. इस कारण बिहार में किसान सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो रहे हैं': उदय नारायण चौधरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के किसान आंदोलन करते हैं, तो उन्हें नक्सलवादी कहा जाता है. शहरी क्षेत्र के किसान-मजदूर आंदोलन करते हैं तो उन्हें शहरी नक्सलाइट कहा जाता है. मुस्लिम किसान आंदोलन करते हैं तो उन्हें पाकिस्तानी कहा जाता है. अब पंजाब, हरियाणा के किसान आंदोलन कर रहे हैं, तो उन्हें खालिस्तानी कहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ देशद्रोहियों जैसा व्यवहार कर रही है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर प्रदर्शन
मोदी सरकार की ओर से लागू तीन नए कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं. प्रदर्शन कारी किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा उनकी कुछ अन्य मांगें भी हैं.