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Bihar News : गया कारा में बंद हत्या मामले के दो सजायाफ्ता कैदी हुए रिहा, दो और को छोड़ने की तैयारी

वैसे तो अभी आनंद मोहन की रिहाई को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है. इसी कड़ी में गया जेल में बंद दो कैदियों को रिहा किया गया है. सूचना के अनुसार दो और को छोड़ने की तैयारी है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 27, 2023, 3:36 PM IST

गया : बिहार के गया कारा में बंद हत्या मामले के दो सजायाफ्ता कैदी रिहा कर दिए गए हैं. माना जा रहा है, कि राज्य सरकार के जेल नियमों में कुछ संशोधन के बाद ऐसा हुआ है. हालांकि, गया कारा प्रशासन ने इससे इनकार किया है और कहा है कि यह रूटीन वर्क है. वहीं, हत्या के सजायाफ्ता दो और बंदियों को छोड़ने की प्रक्रिया गया कारा में पूरी की जा रही है.

ये भी पढ़ें - Anand Mohan Released: कैसे भीड़ के हत्थे चढ़ गए थे DM कृष्णैया, ड्राईवर से जानिये 29 साल पहले की पूरी कहानी

औरंगाबाद और जहानाबाद के सजायाफ्ता कैदी छोड़े गए : गया कारा में बंद औरंगाबाद और जहानाबाद के सजायाफ्ता 2 कैदियों को छोड़ा गया है. जानकारी के अनुसार इन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी और यह हत्या के मामले में सजायाफ्ता हुए थे. छोड़े गए बंदियों में रामप्रवेश सिंह औरंगाबाद निवासी और हृदय नारायण शर्मा जहानाबाद निवासी शामिल हैं.

राज्य दंडादेश परिहार परिषद में हर 3 महीने पर भेजा जा रहा था : बताया जाता है कि इन सजायाफ्ता बंदियों को लेकर राज्य दंडादेश परिहार परिषद की बैठक में उन्हें छोड़ने को लेकर अवगत कराया जाता है, इसके बाद राज्य दंडादेश परिहार परिषद निर्णय करती है. 14 साल पूरे होने पर ऐसा किया जाता है. यही रूटीन वर्क है. जो दो सजायाफ्ता कैदी छोड़े गए हैं, वे सामान्य प्रक्रिया के तहत छूटे हैं. वहीं, दो और बंदियों को छोड़ा जाना है, लेकिन अर्थदंड दिए जाने के बाद ही उन्हें कोर्ट के आदेश पर रिहा किया जाएगा.

''हत्या मामले के दो सजायाफ्ता कैदियों को रिहा कर दिया गया है. यह रूटीन वर्क के तहत किया गया है. राज्य दंडादेश परिहार परिषद में इसे ले जाया जा रहा था. इसके बाद राज्य दंडादेश परिहार परिषद के निर्णय के बाद इन दोनों सजायाफ्ता बंदियों को रिहा किया गया है. उन्होंने 14 साल की सजा पूरी कर ली. वहीं, परिहार को मिलाकर 20 साल की सजा इन्होंने पूरी की है.''- सतीश कुमार, जेल उपाधीक्षक, गया सेंट्रल जेल

गया : बिहार के गया कारा में बंद हत्या मामले के दो सजायाफ्ता कैदी रिहा कर दिए गए हैं. माना जा रहा है, कि राज्य सरकार के जेल नियमों में कुछ संशोधन के बाद ऐसा हुआ है. हालांकि, गया कारा प्रशासन ने इससे इनकार किया है और कहा है कि यह रूटीन वर्क है. वहीं, हत्या के सजायाफ्ता दो और बंदियों को छोड़ने की प्रक्रिया गया कारा में पूरी की जा रही है.

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औरंगाबाद और जहानाबाद के सजायाफ्ता कैदी छोड़े गए : गया कारा में बंद औरंगाबाद और जहानाबाद के सजायाफ्ता 2 कैदियों को छोड़ा गया है. जानकारी के अनुसार इन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली थी और यह हत्या के मामले में सजायाफ्ता हुए थे. छोड़े गए बंदियों में रामप्रवेश सिंह औरंगाबाद निवासी और हृदय नारायण शर्मा जहानाबाद निवासी शामिल हैं.

राज्य दंडादेश परिहार परिषद में हर 3 महीने पर भेजा जा रहा था : बताया जाता है कि इन सजायाफ्ता बंदियों को लेकर राज्य दंडादेश परिहार परिषद की बैठक में उन्हें छोड़ने को लेकर अवगत कराया जाता है, इसके बाद राज्य दंडादेश परिहार परिषद निर्णय करती है. 14 साल पूरे होने पर ऐसा किया जाता है. यही रूटीन वर्क है. जो दो सजायाफ्ता कैदी छोड़े गए हैं, वे सामान्य प्रक्रिया के तहत छूटे हैं. वहीं, दो और बंदियों को छोड़ा जाना है, लेकिन अर्थदंड दिए जाने के बाद ही उन्हें कोर्ट के आदेश पर रिहा किया जाएगा.

''हत्या मामले के दो सजायाफ्ता कैदियों को रिहा कर दिया गया है. यह रूटीन वर्क के तहत किया गया है. राज्य दंडादेश परिहार परिषद में इसे ले जाया जा रहा था. इसके बाद राज्य दंडादेश परिहार परिषद के निर्णय के बाद इन दोनों सजायाफ्ता बंदियों को रिहा किया गया है. उन्होंने 14 साल की सजा पूरी कर ली. वहीं, परिहार को मिलाकर 20 साल की सजा इन्होंने पूरी की है.''- सतीश कुमार, जेल उपाधीक्षक, गया सेंट्रल जेल

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