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गया में तर्पण के लिए नहीं होगी पानी की कमी, 277 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे रबर डैम का 25 फीसदी कार्य पूरा - जल संसाधन विभाग

फल्गू नदी पर बिहार का पहला रबर डैम बन रहा है. इस क्षेत्र में रिवर साइड के दोनों तरफ सुंदरीकरण भी किया जाएगा. इस रबर डैम का निर्माण कार्य 25 % पूरा कर लिया गया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

डैम
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Published : Aug 16, 2021, 10:14 AM IST

गया: बिहार का पहला रबर डैम गया के फल्गु नदी (Falgu River) पर बन रहा है. रबर डैम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है. इस रबर डैम का शिलान्यास साल 2020 के सितंबर में किया गया था. वहीं 2023 तक इसे पूर्णं रूप से बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अभी तक रबर डैम का 25 फीसदी कार्य संपन्न किया गया है. इस डैम को 277 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें: गया के फल्गु नदी में बन रहा राज्य का पहला रबर डैम, तर्पण में होगी सुविधा

दरअसल, सनातन धर्म में फल्गु नदी का बड़ा महत्व है. इसी नदी के जल से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन फल्गु नदी को लेकर दंतकथा है कि फल्गु नदी एक श्रापित नदी है. जिसकी वजह से इसमें सालों भर पानी नहीं रहता है. जिससे पिंडदानियों को तर्पण करने के लिए पानी नहीं मिल पाता है. लेकिन अब बिहार सरकार की यह ड्रीम प्रोजेक्ट पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए सालों भर पानी उपलब्ध करवा सकेगी.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: गया: फल्गु नदी पर बना रबर डैम गंदे नाले के पानी का ढो रहा बोझ

जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) के इंजीनियर अजीत कुमार ने बताया कि इस रबड़ डैम के बन जाने से फल्गु में सालों भर पानी रहेगा. जिससे पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए तर्पण कर सकते हैं. पितृपक्ष के दौरान यह देखने को मिलता है कि फल्गु नदी में पानी नहीं रहता है. जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के आस्था को ठेस पहुंचता है. लेकिन अब उन्हें इन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. रबर डैम में बरसात के पानी को संरक्षित किया जाएगा. वहीं पानी सूखने लगेगा तो इसमें रिचार्जबेल बोरिंग किया जाएगा, जिससे फल्गु नदी में पानी हमेशा दो से तीन मीटर रहे.

'यह रबर डैम योजना है. जिसमें अब सालों भर पानी रह सकेगा. गया में पिंडदान करने आने वाले लोगों को साल भर पानी मिल सकेगा. दो सालों में इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा. रबर डैम बनने को लेकर यहां के रहने वाले लोग काफी उत्सुक हैं. बरसात के समय इस डैम में पानी रोक लिया जाएगा. यदि गर्मी के मौसम में पानी नहीं रहेगा, तो बोरिंग करके पानी भर दिया जाएगा.' -अजीत कुमार, इंजीनियर, जल संसाधन विभाग

जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि गया में बहुप्रतीक्षित रबर डैम बनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्देश था कि फल्गु नदी में साल भर पानी रहे. फल्गु नदी के भौगोलिक संरचना के हिसाब से रबर डैम बनाया जा रहा है. रबर डैम बनाने के साथ-साथ क्षेत्र का सुंदरीकरण भी किया जाएगा. जिससे गया में पर्यटन को बढ़ावा मिले सके.

'गया में माननीय मुख्यमंत्री का निर्देश पर रबर डैम का कार्य शुरू हो चुका है. रबर डैम बनाने के साथ-साथ आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण भी कराया जाएगा. डैम के ऊपर ब्रीज का निर्माण भी कराया जा रहा है. जिससे लोग गया से सीताकुंड जा सकेंगे. यह काम अगले 50-100 वर्षों के लिए किया जा रहा है. पितृपक्ष के दौरान पूर्व में सिर्फ सितंबर माह में ही तर्पण कर सकते थे. लेकिन अब रबर डैम बनने से साल भर फल्गु के पानी से तर्पण कर सकेंगे. यह रबर डैम इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक नया मिसाल कायम करेगा' -अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी

बता दें कि रबर बांध का निर्माण छोटी नदियों पर किया जाता है. रबर बांध में छिपे सिप्ल-वे का निर्माण नहीं किया जाता है. कंक्रीट की नींव पर एक रबर ब्लांडर ही बांध एवं सिप्ल-वे दोनों का काम करता है. इस ब्लेंडर में हवा, पानी या दोनों का मिश्रण भरा जाता है. इस ब्लेंडर को एथिलीन प्रोपलीन डायन मोनोमर (Ethylene Propylene Diene Monomer) रबर से बनाया जाता है. ये ब्लेन्डर बुलेट प्रूफ होता है. इसे जरूरत के मुताबिक बड़ा या छोटा किया जा सकता है. इसी तकनीक के कारण ही रबर बांध में सिप्ल-वे की आवश्यकता नहीं होती है.

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले 23 सितम्बर 2020 को इसका ऑनलाइन शिलान्यास किया था. 277 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह रबर डैम राज्य का पहला रबर डैम होगा. जो आकर्षण का केंद्र होगा. हैदराबाद की एनसीसी कम्पनी के द्वारा डैम निर्माण का कार्य कराया जा रहा है.

गया: बिहार का पहला रबर डैम गया के फल्गु नदी (Falgu River) पर बन रहा है. रबर डैम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है. इस रबर डैम का शिलान्यास साल 2020 के सितंबर में किया गया था. वहीं 2023 तक इसे पूर्णं रूप से बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अभी तक रबर डैम का 25 फीसदी कार्य संपन्न किया गया है. इस डैम को 277 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है.

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दरअसल, सनातन धर्म में फल्गु नदी का बड़ा महत्व है. इसी नदी के जल से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन फल्गु नदी को लेकर दंतकथा है कि फल्गु नदी एक श्रापित नदी है. जिसकी वजह से इसमें सालों भर पानी नहीं रहता है. जिससे पिंडदानियों को तर्पण करने के लिए पानी नहीं मिल पाता है. लेकिन अब बिहार सरकार की यह ड्रीम प्रोजेक्ट पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए सालों भर पानी उपलब्ध करवा सकेगी.

देखें रिपोर्ट.

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जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) के इंजीनियर अजीत कुमार ने बताया कि इस रबड़ डैम के बन जाने से फल्गु में सालों भर पानी रहेगा. जिससे पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए तर्पण कर सकते हैं. पितृपक्ष के दौरान यह देखने को मिलता है कि फल्गु नदी में पानी नहीं रहता है. जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के आस्था को ठेस पहुंचता है. लेकिन अब उन्हें इन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. रबर डैम में बरसात के पानी को संरक्षित किया जाएगा. वहीं पानी सूखने लगेगा तो इसमें रिचार्जबेल बोरिंग किया जाएगा, जिससे फल्गु नदी में पानी हमेशा दो से तीन मीटर रहे.

'यह रबर डैम योजना है. जिसमें अब सालों भर पानी रह सकेगा. गया में पिंडदान करने आने वाले लोगों को साल भर पानी मिल सकेगा. दो सालों में इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा. रबर डैम बनने को लेकर यहां के रहने वाले लोग काफी उत्सुक हैं. बरसात के समय इस डैम में पानी रोक लिया जाएगा. यदि गर्मी के मौसम में पानी नहीं रहेगा, तो बोरिंग करके पानी भर दिया जाएगा.' -अजीत कुमार, इंजीनियर, जल संसाधन विभाग

जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि गया में बहुप्रतीक्षित रबर डैम बनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्देश था कि फल्गु नदी में साल भर पानी रहे. फल्गु नदी के भौगोलिक संरचना के हिसाब से रबर डैम बनाया जा रहा है. रबर डैम बनाने के साथ-साथ क्षेत्र का सुंदरीकरण भी किया जाएगा. जिससे गया में पर्यटन को बढ़ावा मिले सके.

'गया में माननीय मुख्यमंत्री का निर्देश पर रबर डैम का कार्य शुरू हो चुका है. रबर डैम बनाने के साथ-साथ आसपास के इलाके का सौंदर्यीकरण भी कराया जाएगा. डैम के ऊपर ब्रीज का निर्माण भी कराया जा रहा है. जिससे लोग गया से सीताकुंड जा सकेंगे. यह काम अगले 50-100 वर्षों के लिए किया जा रहा है. पितृपक्ष के दौरान पूर्व में सिर्फ सितंबर माह में ही तर्पण कर सकते थे. लेकिन अब रबर डैम बनने से साल भर फल्गु के पानी से तर्पण कर सकेंगे. यह रबर डैम इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक नया मिसाल कायम करेगा' -अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी

बता दें कि रबर बांध का निर्माण छोटी नदियों पर किया जाता है. रबर बांध में छिपे सिप्ल-वे का निर्माण नहीं किया जाता है. कंक्रीट की नींव पर एक रबर ब्लांडर ही बांध एवं सिप्ल-वे दोनों का काम करता है. इस ब्लेंडर में हवा, पानी या दोनों का मिश्रण भरा जाता है. इस ब्लेंडर को एथिलीन प्रोपलीन डायन मोनोमर (Ethylene Propylene Diene Monomer) रबर से बनाया जाता है. ये ब्लेन्डर बुलेट प्रूफ होता है. इसे जरूरत के मुताबिक बड़ा या छोटा किया जा सकता है. इसी तकनीक के कारण ही रबर बांध में सिप्ल-वे की आवश्यकता नहीं होती है.

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले 23 सितम्बर 2020 को इसका ऑनलाइन शिलान्यास किया था. 277 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह रबर डैम राज्य का पहला रबर डैम होगा. जो आकर्षण का केंद्र होगा. हैदराबाद की एनसीसी कम्पनी के द्वारा डैम निर्माण का कार्य कराया जा रहा है.

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