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गयाः बुद्ध के अस्थि कलश की प्रदर्शनी शुरू, हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षु कर रहे हैं दर्शन

महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका)मंदिर के पुजारी राहुल भन्ते ने बताया की यह मंदिर का निर्माण वर्ष 2006 ई. में कराया गया था. उसी समय से अस्थि कलश की स्थापना महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया में स्थापित की गई है.

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Published : Feb 2, 2020, 2:30 PM IST

गयाः महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया मंदिर में तीन दिवसीय अस्थि कलश की प्रदर्शनी शुरू हुई है. अस्थि कलश की पूजा अर्चना करने के लिए बौद्ध श्रद्धालुओं की काफी भीड़ है.

अस्थि कलश प्रदर्शनी
महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका)मंदिर के पुजारी राहुल भन्ते ने बताया की यह मंदिर का निर्माण वर्ष 2006 ई. में कराया गया था. उसी समय से अस्थि कलश की स्थापना महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया में स्थापित की गई है. लागतार 13 वर्षों से तीन दिवसीय प्रदर्शनी लगाई जाती है, ताकि देश विदेश के बौद्ध भिक्षु अस्थि कलश का दर्शन कर लाभ उठा सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

बौद्ध श्रद्धालुओं की काफी भीड़
मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्रथम दिन अस्थि कलश को पूरे विधि विधान के साथ महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका) मंदिर से विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर ले जाते हैं. उसके बाद गर्भगृह में विशेष पूजा अर्चना करने के बाद पुनः महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया(श्रीलंका) में लाकर अस्थि कलश को रखा जाता है. उसके बाद सभी बौद्ध भिक्षु अस्थि कलश की पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं. बुद्ध की शिष्य की अस्थि कलश को वर्ष 2011ई में भूटान में भी ले जाया गया था.

गयाः महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया मंदिर में तीन दिवसीय अस्थि कलश की प्रदर्शनी शुरू हुई है. अस्थि कलश की पूजा अर्चना करने के लिए बौद्ध श्रद्धालुओं की काफी भीड़ है.

अस्थि कलश प्रदर्शनी
महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका)मंदिर के पुजारी राहुल भन्ते ने बताया की यह मंदिर का निर्माण वर्ष 2006 ई. में कराया गया था. उसी समय से अस्थि कलश की स्थापना महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया में स्थापित की गई है. लागतार 13 वर्षों से तीन दिवसीय प्रदर्शनी लगाई जाती है, ताकि देश विदेश के बौद्ध भिक्षु अस्थि कलश का दर्शन कर लाभ उठा सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

बौद्ध श्रद्धालुओं की काफी भीड़
मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्रथम दिन अस्थि कलश को पूरे विधि विधान के साथ महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका) मंदिर से विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर ले जाते हैं. उसके बाद गर्भगृह में विशेष पूजा अर्चना करने के बाद पुनः महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया(श्रीलंका) में लाकर अस्थि कलश को रखा जाता है. उसके बाद सभी बौद्ध भिक्षु अस्थि कलश की पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं. बुद्ध की शिष्य की अस्थि कलश को वर्ष 2011ई में भूटान में भी ले जाया गया था.

Intro:गया बोधगया महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया में (श्रीलंका मंदिर)मंदिर में अस्थि कलश की पूजा अर्चना को लेकर बौद्ध श्रद्धालु की भीड़ लगी है।Body:गया बोधगया महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया( श्रीलंका मंदिर)में जयश्री महाबोधी बिहार में भगवान बुद्ध व उनके दो शिष्य का सारीपुत्र व मोग्गलन की पवित्र अस्थि कलश की प्रदर्शनी सुरु हुई।
यह प्रदर्शनी तिन दिवसिय है।इस प्रदर्शनी को देखने के लिये विश्व के कई देश के बौद्ध भिक्षु शामिल हुये है।
महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया (श्रीलंका)मंदिर पुजारी भन्ते राहुल ने बताया की यह मंदिर का निर्माण वर्ष 2006 ई में कराया गया था।
उसी समय से अस्थि कलश की स्थापना महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया में स्थापित की गई है।
लागतार 13 वर्षो से तिन दिवसीय प्रदर्शनी लगाई जाती है।ताकि देश विदेश के बौद्ध भिक्षु अस्थि कलश का दर्शन कर लाभ उठा सके।
प्रथम दिन अस्थि कलश को पूरे बिधि बिधान के साथ महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया(श्रीलंका) मंदिर से विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर ले जाते हैं।उसके बाद गर्भगृह में विशेष पूजा अर्चना करने करने के बाद पुनः महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया(श्रीलंका) में लाकर अस्थि कलश को रखा जाता है।उसके बाद सभी बौद्ध भिक्षुओं अस्थि कलश के पूजा अर्चना करने के लिए जाते हैं।
बुद्ध की शिष्य की अस्थि कलश को वर्ष 2011ई में भूटान में भी ले जाया गया था।Conclusion:बरहाल आपको बता दें कि महाबोधी सोसायटी ऑफ इंडिया मंदिर में तिन दिवसीय अस्थि कलश की सुरु हुई प्रदर्शनी। अस्थि कलश को पूजा अर्चना करने के लिए सर्द्धालु की भीड़ कई देश के बौद्ध भिक्षु हुये हैं।शामिल।
मंदिर के पुजारी राहुल भन्ते ने बताया कि अस्थि कलश का आयोजन वर्ष 2006 से गया था।जब से आज तक अस्थि कलश की आयोजन मंदिर में कई जा रही है।
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