गया: जिले के नियोजित शिक्षकों ने शनिवार को बिहार सरकार के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला. इस मार्च का नेतृत्व बिहार राज्य शिक्षक संघ संघर्ष समन्वय समिति कर रही थी. यह मार्च गांधी मैदान से शुरु हुआ और शहर के विभिन्न रास्तों से होते हुए समाहरणालय पहुंचा. जहां शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ये मार्च सरकार से 'समान काम,समान वेतन' के मांग को लेकर था. इसकी मांग का एक ज्ञापन जिला पदाधिकारी को सौंपा गया. बिहार सरकार और शिक्षकों का यह टकराव तब से चल रहा है, जब बिहार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया था.
सरकार से शिक्षकों का हुआ टकराव
दरअसल, मामला यह है कि शिक्षक अपने 'समान काम, समान वेतन' की मांग 10 सालों से कर रहे थे. इसके बाद बिहार हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को शिक्षकों की मांग को स्वीकार कर लिया. लेकिन, बिहार सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को बिहार हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुये फैसले को सुरक्षित रख लिया.
बिहार राज्य शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि
प्रदर्शन में शामिल बिहार राज्य शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष समीर शास्वत ने कहा कि विगत 18 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग में अपनी मांगों को लेकर हम प्रदर्शन कर रहे थे. उस दौरान राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस ने बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए शिक्षकों के ऊपर लाठीचार्ज किया. इस लाठीचार्ज में कई शिक्षक घायल हो गए. जो आज भी अस्पताल में इलाजरत हैं. इतना ही नहीं कई शिक्षकों को जेल भी भेज दिया गया. लगभग 5 हजार शिक्षकों के ऊपर एफआईआर दर्ज की गई, जो सही नहीं है.
'हम आपराधिक प्रवृत्ति के नही हैं'
शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कहना है कि हम आपराधिक प्रवृत्ति के नहीं हैं. बल्कि समाज में सम्मान पाने वाले और पढ़ाने वाले शिक्षक हैं. हमें भी अन्य शिक्षकों की तरह सुविधाएं दी जाएं. समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए. इसके अलावा हमारी मांग है कि जिन शिक्षकों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसे जल्द से जल्द वापस लिया जाए. साथ ही पुरानी पेंशन व्यवस्था को भी लागू किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि हमारा यह प्रदर्शन तब तक चलता रहेगा, जब तक हमारी सभी मांगें मान नहीं ली जाती हैं.