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गया: विष्णुपद मंदिर के मामले के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई रोक

विष्णुपद मंदिर मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ मंदिर प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे गया शहर के पर्यटन और पर्यावरण प्रबंधन के लिए है. हालांकि हाईकोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
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Published : Mar 11, 2021, 6:50 AM IST

गया: हाईकोर्ट ने विष्णुपद मंदिर पर सिर्फ गयापाल पंडा समाज का ही अधिकार नहीं, बल्कि यह अन्य मंदिरों की तरह ही सार्वजनिक स्थल की बात कही है. हाईकोर्ट का आदेश है कि इसके प्रबंधन के लिए अंतिरम कमेटी बने. विष्णुपद मंदिर के प्रबंधन के लिए अंतरिम कमेटी बनाने के पटना हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.

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विष्णुपद मंदिर को माना सार्वजनिक
दरअसल, 14 दिसंबर 2020 को जिला और सत्र न्यायाधीश ने 27 साल पुराने मामले पर फैसला दिया है. जिसमें कहा गया है कि विष्णुपद मंदिर गया पाल पंडा समाज की निजी संपत्ति नहीं है. यह सार्वजनिक स्थल है. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायधीश वन वीरेन्द्र कुमार मिश्रा की अदालत ने विष्णुपद मंदिर को सार्वजनिक स्थल मानते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया था. इस फैसले पर हाईकोर्ट भी अडिग रहा. हाई कोर्ट ने कमेटी बनाने का आदेश दिया था.

विष्णुपद मंदिर.
विष्णुपद मंदिर.

मंदिरों की संपत्ति सार्वजनिक करने की मांग
पटना हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर राज्य के सभी मंदिरों की संपत्ति सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. हाइकोर्ट ने अपने फैसले में विष्णुपद मंदिर के प्रबंधन के लिए अंतरिम कमेटी गठित करने का आदेश दिया था. इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है. चीफ जस्टिस की बेंच ने हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस भी जारी किया है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि मंदिर के प्रबंधन और उसकी संपत्ति पर राज्य सरकार का नियंत्रण होना चाहिए.

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कई साल से रुकी थी सुनवाई
गौरतलब है कि 1992 में गया पाल पंडा समाज को मिले एकतरफा फैसले के खिलाफ धार्मिक न्यास बोर्ड के राजन प्रसाद ने 1993 में अपील की थी. पिछले कई साल से इस मामले पर सुनवाई रुकी हुई थी. पर पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले में फिर सुनवाई से शुरू हो गई थी. 14 दिसंबर 2020 को जिला कोर्ट ने धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया था.

गया: हाईकोर्ट ने विष्णुपद मंदिर पर सिर्फ गयापाल पंडा समाज का ही अधिकार नहीं, बल्कि यह अन्य मंदिरों की तरह ही सार्वजनिक स्थल की बात कही है. हाईकोर्ट का आदेश है कि इसके प्रबंधन के लिए अंतिरम कमेटी बने. विष्णुपद मंदिर के प्रबंधन के लिए अंतरिम कमेटी बनाने के पटना हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.

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विष्णुपद मंदिर को माना सार्वजनिक
दरअसल, 14 दिसंबर 2020 को जिला और सत्र न्यायाधीश ने 27 साल पुराने मामले पर फैसला दिया है. जिसमें कहा गया है कि विष्णुपद मंदिर गया पाल पंडा समाज की निजी संपत्ति नहीं है. यह सार्वजनिक स्थल है. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायधीश वन वीरेन्द्र कुमार मिश्रा की अदालत ने विष्णुपद मंदिर को सार्वजनिक स्थल मानते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया था. इस फैसले पर हाईकोर्ट भी अडिग रहा. हाई कोर्ट ने कमेटी बनाने का आदेश दिया था.

विष्णुपद मंदिर.
विष्णुपद मंदिर.

मंदिरों की संपत्ति सार्वजनिक करने की मांग
पटना हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर राज्य के सभी मंदिरों की संपत्ति सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. हाइकोर्ट ने अपने फैसले में विष्णुपद मंदिर के प्रबंधन के लिए अंतरिम कमेटी गठित करने का आदेश दिया था. इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया है. चीफ जस्टिस की बेंच ने हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस भी जारी किया है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि मंदिर के प्रबंधन और उसकी संपत्ति पर राज्य सरकार का नियंत्रण होना चाहिए.

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कई साल से रुकी थी सुनवाई
गौरतलब है कि 1992 में गया पाल पंडा समाज को मिले एकतरफा फैसले के खिलाफ धार्मिक न्यास बोर्ड के राजन प्रसाद ने 1993 में अपील की थी. पिछले कई साल से इस मामले पर सुनवाई रुकी हुई थी. पर पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले में फिर सुनवाई से शुरू हो गई थी. 14 दिसंबर 2020 को जिला कोर्ट ने धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया था.

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