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Gaya News : विष्णुपद मंदिर की प्राचीन घड़ी फिर से बताने लगी समय, दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

गया का विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में 164 साल पुरानी धूप घड़ी (सूर्य घड़ी) फिर से चलने लगी है. वो अब भी सटीक समय बताती है. श्रद्धालु इस घड़ी के प्रति भी अपनी पूरी आस्था रखते हैं. बता दें कि पिछले पितृपक्ष मेले के दौरान यह धूप घड़ी खराब हो गई थी.

विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर
विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर
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Published : May 30, 2023, 5:21 PM IST

Updated : May 30, 2023, 6:06 PM IST

विष्णुपद मंदिर की प्राचीन घड़ी ठीक होकर बताने लगी समय

गया : बिहार के गया में स्थित विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर क्षेत्र में धूप घड़ी लगी है. यह धूप घड़ी काफी प्राचीन है और करीब 164 साल से भी पूर्व की बताई जाती है. यह धूप घड़ी विष्णुपद मंदिर में 16 बेदी के निकट लगी है, जो कि एक पत्थर के खंभानुमा आकार में ऊपरी भाग पर स्थित है. इस धूप घड़ी में तीर्थयात्री आज भी आकर समय देखते हैं. वहीं, इसके साथ धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है.

ये भी पढ़ें- Gaya News : 162 साल पुरानी घड़ी रखरखाव के अभाव मे खराब, कोणार्क मंदिर की तरह धूप से बताती है सटीक समय


1 साल से बंद पड़ी थी घड़ी : बता दें कि पिछले साल गया पितृपक्ष मेला के दौरान इस धूप घड़ी का मुख्य उपकरण 'पीतल का मेटल' उखड़कर गिर गया था. पिछले वर्ष लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आए थे और भीड़ इतनी थी कि उसके बीच तीर्थ यात्रियों के बार-बार संपर्क में आने के कारण धूप घड़ी का मेटल उखड़कर गिर गया था. इससे धूप घड़ी बेकार हो गई थी. हालांकि इसे सुरक्षित विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति द्वारा रखा गया था.

बिना बैटरी और कांटे की अनोखी धूप घड़ी: ये बिना कांटे और बैटरी की अनोखी धूप घड़ी है. इसे ठीक कराने में करीब 1 साल का समय लग गया. दूसरे राज्य से विशेष कारीगरों को बुलाकर इसे ठीक कराया गया. अब इसे ग्लोबनुमा शीशे के आकार में सुरक्षित कर दिया गया है. इस तरह एक बार फिर से यह धूप घड़ी काम करने लगी है. श्रद्धालु न सिर्फ इसमें समय देखते हैं, बल्कि यहां आकर पूजा भी करते हैं. धूप घड़ी को भी भगवान का स्वरूप मानकर तीर्थयात्री पूजन करते हैं.


इसी घड़ी को देखकर लगाया जाता था भोग: बताया जाता है कि जब घड़ी का आविष्कार नहीं हुआ था, तब इसी धूप घड़ी से समय देखकर भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता था. इसी धूप घड़ी से समय का पता लगाया जाता था. करीब दो सदियों से अद्भुत घड़ी बिना बैटरी और कांटे के समय बताने का काम कर रही थी. इसीलिए ये एक अनोखी घड़ी है.

ऐसे बताती है समय : धूप घड़ी से समय देखना एक सुखद अनुभव भी देता है. घर के खंभानुमा के ऊपरी भाग पर एक चौड़ा गोलाकार है. इस गोलाकार पर अंक और गुणांक एवं अन्य चीजें लिखी हैं. वहीं, इस पर विष्णुपद मंदिर भी लिखा हुआ है. चारों ओर से अंक के ठीक बीचों-बीच पीतल का मेटल लगा है. यह मेटल पर जब सूर्य की रोशनी पड़ती है और जहां पर छाया दिखती है. वही वास्तविक समय होता है. इस तरह धूप घड़ी बिल्कुल ही सटीक समय का ज्ञान करवाती है.

''पिछले पितृपक्ष मेले के दौरान धूप घड़ी का मेटल गिर गया था. पीतल का मेटल गिरने से धूप घड़ी ने काम करना बंद कर दिया था. इससे किसी तरह का समय का ज्ञात नहीं हो पा रहा था. इसे विशेष कारीगरों की मदद से फिर से स्थापित किया गया है. अब धूप घड़ी पूरी तरह से काम करने लगी है और सटीक समय बताती है.''- शंभू लाल विट्ठल, अध्यक्ष, विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति

विष्णुपद मंदिर की प्राचीन घड़ी ठीक होकर बताने लगी समय

गया : बिहार के गया में स्थित विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर क्षेत्र में धूप घड़ी लगी है. यह धूप घड़ी काफी प्राचीन है और करीब 164 साल से भी पूर्व की बताई जाती है. यह धूप घड़ी विष्णुपद मंदिर में 16 बेदी के निकट लगी है, जो कि एक पत्थर के खंभानुमा आकार में ऊपरी भाग पर स्थित है. इस धूप घड़ी में तीर्थयात्री आज भी आकर समय देखते हैं. वहीं, इसके साथ धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है.

ये भी पढ़ें- Gaya News : 162 साल पुरानी घड़ी रखरखाव के अभाव मे खराब, कोणार्क मंदिर की तरह धूप से बताती है सटीक समय


1 साल से बंद पड़ी थी घड़ी : बता दें कि पिछले साल गया पितृपक्ष मेला के दौरान इस धूप घड़ी का मुख्य उपकरण 'पीतल का मेटल' उखड़कर गिर गया था. पिछले वर्ष लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आए थे और भीड़ इतनी थी कि उसके बीच तीर्थ यात्रियों के बार-बार संपर्क में आने के कारण धूप घड़ी का मेटल उखड़कर गिर गया था. इससे धूप घड़ी बेकार हो गई थी. हालांकि इसे सुरक्षित विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति द्वारा रखा गया था.

बिना बैटरी और कांटे की अनोखी धूप घड़ी: ये बिना कांटे और बैटरी की अनोखी धूप घड़ी है. इसे ठीक कराने में करीब 1 साल का समय लग गया. दूसरे राज्य से विशेष कारीगरों को बुलाकर इसे ठीक कराया गया. अब इसे ग्लोबनुमा शीशे के आकार में सुरक्षित कर दिया गया है. इस तरह एक बार फिर से यह धूप घड़ी काम करने लगी है. श्रद्धालु न सिर्फ इसमें समय देखते हैं, बल्कि यहां आकर पूजा भी करते हैं. धूप घड़ी को भी भगवान का स्वरूप मानकर तीर्थयात्री पूजन करते हैं.


इसी घड़ी को देखकर लगाया जाता था भोग: बताया जाता है कि जब घड़ी का आविष्कार नहीं हुआ था, तब इसी धूप घड़ी से समय देखकर भगवान विष्णु को भोग लगाया जाता था. इसी धूप घड़ी से समय का पता लगाया जाता था. करीब दो सदियों से अद्भुत घड़ी बिना बैटरी और कांटे के समय बताने का काम कर रही थी. इसीलिए ये एक अनोखी घड़ी है.

ऐसे बताती है समय : धूप घड़ी से समय देखना एक सुखद अनुभव भी देता है. घर के खंभानुमा के ऊपरी भाग पर एक चौड़ा गोलाकार है. इस गोलाकार पर अंक और गुणांक एवं अन्य चीजें लिखी हैं. वहीं, इस पर विष्णुपद मंदिर भी लिखा हुआ है. चारों ओर से अंक के ठीक बीचों-बीच पीतल का मेटल लगा है. यह मेटल पर जब सूर्य की रोशनी पड़ती है और जहां पर छाया दिखती है. वही वास्तविक समय होता है. इस तरह धूप घड़ी बिल्कुल ही सटीक समय का ज्ञान करवाती है.

''पिछले पितृपक्ष मेले के दौरान धूप घड़ी का मेटल गिर गया था. पीतल का मेटल गिरने से धूप घड़ी ने काम करना बंद कर दिया था. इससे किसी तरह का समय का ज्ञात नहीं हो पा रहा था. इसे विशेष कारीगरों की मदद से फिर से स्थापित किया गया है. अब धूप घड़ी पूरी तरह से काम करने लगी है और सटीक समय बताती है.''- शंभू लाल विट्ठल, अध्यक्ष, विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति

Last Updated : May 30, 2023, 6:06 PM IST
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