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मां ने बकरी बेचकर दिव्यांग बेटे को दी थी सिलाई मशीन, अब सरहद पार अपना जौहर दिखाएगा - International Tailoring Competition

गया के कटारी हिल के दिव्यांग युवक मोहम्मद शमीम आलम (Divyang youth Mohammad Shamim Alam) का चयन अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स में टेलरिंग प्रतियोगिता के लिए हुआ है. यह प्रतियोगिता मार्च 2023 में खेली जाएगी. भारत से इकलौते प्लेयर के रूप में शमीम का चयन हुआ है. शमीम के अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने की कहानी काफी संघर्ष भरी रही है. पढ़ें पूरी खबर..

दिव्यांग युवक मोहम्मद शमीम आलम
दिव्यांग युवक मोहम्मद शमीम आलम
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Published : Nov 21, 2022, 10:20 PM IST

गयाः बिहार के गया के रहने वाले मोहम्मद शमीम ने कमाल कर दिखाया है. महज 9 माह में ही पोलियो का शिकार होकर पैर से दिव्यांग होने वाला मोहम्मद शमीम अब फ्रांस में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जौहर दिखाएगा. मार्च 2022 में फ्रांस में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स बिल्डिंग प्रतियोगिता के लिए शमीम का सिलेक्शन (Gaya Youth Shamim Alam Selected For Abilympics ) हुआ है. इधर बिहार डिजिबल स्पोर्ट्स वेलफेयर एकेडमी के अध्यक्ष डॉ फरासत हुसैन ने मोहम्मद शमीम के चयन पर खुशी जताई है और बधाई दी है. वहीं, उसे सम्मानित भी किया.


ये भी पढ़ें-जहां चपरासी थे, वहीं बने सहायक प्रोफेसर.. मिलिए बिहार के कमल किशोर मंडल से

"मन से व्यक्ति मजबूूत हो, तो विकलांगता अभिशाप नहीं बनती. बल्कि मन से मजबूत होकर बड़े लक्ष्य को पाया जा सकता है. मन से विकलांगता होती है, शरीर से नहीं. यही वजह है, कि वह दिव्यांग होते हुए भी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एबिलंपिक्स टेलरिंग प्रतियोगिता के लिए चयनित हुआ है. वह वर्ष 2009 से इसकी शुरुआत की थी और आज इस मुकाम पर पहुंचा है. 14 वर्ष की उम्र से ही उसने टेलरिंग में महारत हासिल कर ली थी. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मुकाम मिला है. एनएएआई के तहत मेरा सिलेक्शन हुआ है."-मोहम्मद शमीम, अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी

"मेरे बेटे ने देश का नाम रोशन किया है. इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है. बड़ी गरीबी के बीच हमलोगों ने शमीम का पालन पोषण किया और फिर किसी तरह से टेलरिंग मशीन दी. आज वह नाम कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में भाग ले रहा है."- मोहम्मद रशीद, मोहम्मद शमीम के पिता


पिता ने दसवीं पास करा काम पर रखा था, संचालक ने हटा दियाः
मोहम्मद शमीम पांच भाई और दो बहन हैं. इनके पिता शमीम के जन्म के समय काफी मुफलिसी में जी रहे थे. घर में 1-2 बकरी पाल रखी थी. वहीं टेलरिंग का काम करते थे और बमुश्किल से घर का गुजारा होता था. शमीम मात्र 9 माह का था. तब वह पोलियो की चपेट में आ गया. उसके पोलियो की चपेट में आने के बाद घर की माली हालत और खराब हो गई.
देश में नाम रोशन करेगा शमीमः इलाज में काफी खर्च होते हुुए पिता मोहम्मद रशीद ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए गरीबी के बीच शमीम की पढ़ाई दसवीं तक कराई. इसके बाद उन्होंने उसे वेल्डिंग की एक दुकान पर काम करने के लिए रखवाया. वेल्डिंग की दुकान पर 2 दिन ही काम किए कि तीसरे दिन संचालक ने उसे दिव्यांग कहकर काम से हटा दिया. इसके बाद शमीम के पिता टूट गए, किंतु उन्होंने हौसला अफजाई करते हुए स्वयं के टेलर मास्टर के हुनर अपने बेटे शमीम को दिया. तब, पिता को यह पता नहीं था, कि एक दिन यह हुनर शमीम और उसके पूरे परिवार को बड़ा सम्मान देगा और तकदीर बदल देगा. वहीं, देश के लिए कुछ करने का जज्बा देगी. अब शमीम के अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक में टेलरिंग प्रतियोगिता में चयन होने पर इस परिवार के चेहरे पर रौनक ही रौनक है.



बकरी बेचकर मां ने ली थी सिलाई मशीनः शमीम को रोजगार देने के लिए उसकी मां का काफी बड़ा हाथ है. मां साबिया खातून ने उसे घर की बकरी बेचकर एक सिलाई मशीन की खरीद कर दी थी. बकरी बेचकर खरीदी की गई, सिलाई मशीन लकी साबित हुई. शमीम को सिलाई मशीन से ट्रेनिंग में महारत हासिल हुई. इस बीच अपने एक दोस्त के साथ 2009 में कोलकाता में गया. वहां उसे टेलरिंग प्रतियोगिता का पता चला तो उस में भाग लिया अपने दोस्त राजेश कुमार की मदद से 2009 में ही क्षेत्रीय टेलरिंग प्रतियोगिता (Regional Tailoring Competition) में उसने गोल्ड जीता. इसके बाद उसने विभिन्न बिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया.

युक्रेन युद्ध के कारण रूस की जगह फ्रांस में होगी प्रतियोगिताः 2010 में मध्यप्रदेश के जबलपुर में नेशनल गोल्ड मेडल जीता. वर्ष 2011 में दक्षिण कोरिया को गया. 2012 में भुवनेश्वर के कटक में नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता. 2013 में चंडीगढ़ में भी गोल्ड लाया. 2016 में फ्रांस गया तो इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में वह पांचवें नंबर पर आया. इसके बाद 2019 में कोलकाता में क्षेत्रीय में गोल्ड जीता फिर 2019 में दिल्ली में नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता और यहीं उसका चयन अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स टेलरिंग प्रतियोगिता (International Tailoring Competition) के लिए हुआ है. यह प्रतियोगिता मार्च 2023 में रूस के मास्को में होनी थी, किंतु रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण स्थान को बदलकर फ्रांस में कर दिया गया है.



दिव्यांगों के लिए है अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स प्रतियोगिताः अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स प्रतियोगिता दिव्यांगों के लिए ही होती है. वैसे जानकारी के लिए बता दें, कि एबिलंपिक्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होती है और इसमें विभिन्न आयोजन होते हैं. उदाहरण के तौर पर टेलरिंग, फोटोग्राफी समेत अन्य शामिल हैं. शमीम का चयन टेलरिंग में कम समय में कोट बनाने के लिए हुआ है. वह 8 घंटे में बनने वाले कोट को महज 6 घंटे से भी कम समय में बना देता है. इसी प्रकार कम समय में ही कमीज भी सिल देता है.
ये भी पढ़ें- Success Story: पुलिस वाले ने पिता को मारा था थप्पड़, जज बनकर बेटे ने लिया 'बदला'

गयाः बिहार के गया के रहने वाले मोहम्मद शमीम ने कमाल कर दिखाया है. महज 9 माह में ही पोलियो का शिकार होकर पैर से दिव्यांग होने वाला मोहम्मद शमीम अब फ्रांस में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जौहर दिखाएगा. मार्च 2022 में फ्रांस में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स बिल्डिंग प्रतियोगिता के लिए शमीम का सिलेक्शन (Gaya Youth Shamim Alam Selected For Abilympics ) हुआ है. इधर बिहार डिजिबल स्पोर्ट्स वेलफेयर एकेडमी के अध्यक्ष डॉ फरासत हुसैन ने मोहम्मद शमीम के चयन पर खुशी जताई है और बधाई दी है. वहीं, उसे सम्मानित भी किया.


ये भी पढ़ें-जहां चपरासी थे, वहीं बने सहायक प्रोफेसर.. मिलिए बिहार के कमल किशोर मंडल से

"मन से व्यक्ति मजबूूत हो, तो विकलांगता अभिशाप नहीं बनती. बल्कि मन से मजबूत होकर बड़े लक्ष्य को पाया जा सकता है. मन से विकलांगता होती है, शरीर से नहीं. यही वजह है, कि वह दिव्यांग होते हुए भी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एबिलंपिक्स टेलरिंग प्रतियोगिता के लिए चयनित हुआ है. वह वर्ष 2009 से इसकी शुरुआत की थी और आज इस मुकाम पर पहुंचा है. 14 वर्ष की उम्र से ही उसने टेलरिंग में महारत हासिल कर ली थी. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मुकाम मिला है. एनएएआई के तहत मेरा सिलेक्शन हुआ है."-मोहम्मद शमीम, अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी

"मेरे बेटे ने देश का नाम रोशन किया है. इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है. बड़ी गरीबी के बीच हमलोगों ने शमीम का पालन पोषण किया और फिर किसी तरह से टेलरिंग मशीन दी. आज वह नाम कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में भाग ले रहा है."- मोहम्मद रशीद, मोहम्मद शमीम के पिता


पिता ने दसवीं पास करा काम पर रखा था, संचालक ने हटा दियाः
मोहम्मद शमीम पांच भाई और दो बहन हैं. इनके पिता शमीम के जन्म के समय काफी मुफलिसी में जी रहे थे. घर में 1-2 बकरी पाल रखी थी. वहीं टेलरिंग का काम करते थे और बमुश्किल से घर का गुजारा होता था. शमीम मात्र 9 माह का था. तब वह पोलियो की चपेट में आ गया. उसके पोलियो की चपेट में आने के बाद घर की माली हालत और खराब हो गई.
देश में नाम रोशन करेगा शमीमः इलाज में काफी खर्च होते हुुए पिता मोहम्मद रशीद ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए गरीबी के बीच शमीम की पढ़ाई दसवीं तक कराई. इसके बाद उन्होंने उसे वेल्डिंग की एक दुकान पर काम करने के लिए रखवाया. वेल्डिंग की दुकान पर 2 दिन ही काम किए कि तीसरे दिन संचालक ने उसे दिव्यांग कहकर काम से हटा दिया. इसके बाद शमीम के पिता टूट गए, किंतु उन्होंने हौसला अफजाई करते हुए स्वयं के टेलर मास्टर के हुनर अपने बेटे शमीम को दिया. तब, पिता को यह पता नहीं था, कि एक दिन यह हुनर शमीम और उसके पूरे परिवार को बड़ा सम्मान देगा और तकदीर बदल देगा. वहीं, देश के लिए कुछ करने का जज्बा देगी. अब शमीम के अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक में टेलरिंग प्रतियोगिता में चयन होने पर इस परिवार के चेहरे पर रौनक ही रौनक है.



बकरी बेचकर मां ने ली थी सिलाई मशीनः शमीम को रोजगार देने के लिए उसकी मां का काफी बड़ा हाथ है. मां साबिया खातून ने उसे घर की बकरी बेचकर एक सिलाई मशीन की खरीद कर दी थी. बकरी बेचकर खरीदी की गई, सिलाई मशीन लकी साबित हुई. शमीम को सिलाई मशीन से ट्रेनिंग में महारत हासिल हुई. इस बीच अपने एक दोस्त के साथ 2009 में कोलकाता में गया. वहां उसे टेलरिंग प्रतियोगिता का पता चला तो उस में भाग लिया अपने दोस्त राजेश कुमार की मदद से 2009 में ही क्षेत्रीय टेलरिंग प्रतियोगिता (Regional Tailoring Competition) में उसने गोल्ड जीता. इसके बाद उसने विभिन्न बिल्डिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया.

युक्रेन युद्ध के कारण रूस की जगह फ्रांस में होगी प्रतियोगिताः 2010 में मध्यप्रदेश के जबलपुर में नेशनल गोल्ड मेडल जीता. वर्ष 2011 में दक्षिण कोरिया को गया. 2012 में भुवनेश्वर के कटक में नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता. 2013 में चंडीगढ़ में भी गोल्ड लाया. 2016 में फ्रांस गया तो इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में वह पांचवें नंबर पर आया. इसके बाद 2019 में कोलकाता में क्षेत्रीय में गोल्ड जीता फिर 2019 में दिल्ली में नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता और यहीं उसका चयन अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स टेलरिंग प्रतियोगिता (International Tailoring Competition) के लिए हुआ है. यह प्रतियोगिता मार्च 2023 में रूस के मास्को में होनी थी, किंतु रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण स्थान को बदलकर फ्रांस में कर दिया गया है.



दिव्यांगों के लिए है अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स प्रतियोगिताः अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स प्रतियोगिता दिव्यांगों के लिए ही होती है. वैसे जानकारी के लिए बता दें, कि एबिलंपिक्स अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होती है और इसमें विभिन्न आयोजन होते हैं. उदाहरण के तौर पर टेलरिंग, फोटोग्राफी समेत अन्य शामिल हैं. शमीम का चयन टेलरिंग में कम समय में कोट बनाने के लिए हुआ है. वह 8 घंटे में बनने वाले कोट को महज 6 घंटे से भी कम समय में बना देता है. इसी प्रकार कम समय में ही कमीज भी सिल देता है.
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