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गया में क्राइम आउट ऑफ कंट्रोल, 15 दिनों में 6 मर्डर - गया में आत्महत्या

गया में इन दिनों क्राइम ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है. जिसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कई नेताओं ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Sep 8, 2021, 9:21 AM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) पूरे विश्व में मोक्ष धाम के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन इन दिनों यहां मौत का खेल चल रहा है. 15 दिनों के अंदर 6 लोगों की हत्या (Murder) कर दी गई है. जिसके बाद से यहां की जनता दहशत में जीने को मजबूर है. विपक्ष के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू नेता भी पुलिस के इकबाल पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. पुलिस इन सभी मामले में जांच और कुछ की गिरफ्तारी करने तक ही सीमित है.

इसे भी पढ़ें: शराब पीने से रोकने पर हलवाई की गोली मारकर हत्या, श्राद्ध कर्म के लिए तैयार कर रहा था खाना

दरअसल, गया शहरी क्षेत्र में हत्या की वारदातों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. हर दिन के आपराधिक वारदातों से शहरवासियों की नींद हराम हो गई है. इन सभी घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस कुछ दिनों तक हलचल करती है. लेकिन उसके बाद पुलिस के फाइल में मामला दबकर रह जाता है. गया पुलिस के इकबाल पर सवाल आम जनता से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi), जदयू नेता, जाप और कांग्रेस भी उठा रही है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: गया में चाची और भतीजे का शव बरामद, हत्या या आत्महत्या पर जांच जारी

'गया शहर की गिरती विधि व्यवस्था को लेकर मगध आईजी को ज्ञापन सौंपा गया है. शहर में पिछले सप्ताह रेलवे ठेकेदार संतोष यादव की हत्या होने के बाद हत्या होने का सिलसिला जारी है. एसटीएफ दारोगा के भाई की हत्या, श्राद्धकर्म में खाना बनाने गए हलवाई की हत्या, पैक्स अध्यक्ष को गोली मारकर घायल करना, ये सभी घटनाएं पुलिस की इकबाल को कमजोर साबित करती है. हमारी मांग है कि सरकार गया में विधि व्यवस्था दुरुस्त करे. यदि ऐसा नहीं होता है, तो जन अधिकार पार्टी आंदोलन करेगी.' -राजीव कुमार कन्हैया, जाप नेता


'गया में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुका है. उसपर लगाम लगाने की जरूरत है. यहां सिर्फ हत्या ही नहीं चार लोगों का अपहरण भी किया गया है. गया पुलिस के पास इतना संसाधन नहीं है कि उन सभी अपहरण हुए व्यक्तियों का पता लगा सके. सरकार अगर सुशासन देने का दावा करती है, तो उसका 10 % प्रतिशत भी झलक दिखाई जाए. ; -विजय कुमार मिठू, कांग्रेस नेता

'गया शहर में इन दिनों क्राइम की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता है. गया में लोगों का गुस्सा सरकार से नहीं बल्कि पुलिस से है. मैं नीतीश सरकार के सुशासन के बदौलत ही दावा करता हूँ. सभी मामलों में जल्द ही न्याय मिलेगा.' -चंदन यादव, जदयू नेता

आपको बता दें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जितन राम मांझी ने भी माना था कि राज्य के अन्य जिलों से सबसे अधिक गया में लॉ एंड ऑर्डर खराब है. शहर में पिछले 15 दिनों में प्रमुख हत्याएं, अपहरण और घटनाओं को सूची इस प्रकार हैं-

पहली घटना : 24 अगस्त की देर रात कोतवाली थाना क्षेत्र के नई गोदाम इलाके में एक रेलवे ठेकेदार की हत्या अपराधियों ने कर दी थी.

दूसरी घटना : 27 अगस्त को सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के महावीर स्थान के रहने वाले रंजू कुमार अपने बेटे दर्शित के साथ पिछले 12 दिनों से गायब हैं.

तीसरी घटना : मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गेरे गांव से दो लड़कियां पिछले एक सप्ताह से गायब हैं.

चौथी घटना : 29 अगस्त की देर रात एसटीएफ दरोगा के भाई अरविंद चौधरी की हत्या दी गई थी. अपराधियों ने बेहरमी से सड़क पर ईंट से कुचकर हत्या की थी.

पांचवीं घटना : 3 सितंबर को मगध मेडिकल थाना क्षेत्र में केंदुआ गांव में एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

छठी घटना : 4 सितंबर को पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, तो मां अपनी मासूम बच्ची के साथ आत्महत्या कर ली. पुलिस इस आत्महत्या को हत्या बता रही है.

सातवीं घटना : 4 सितंबर को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गेरे में श्राद्ध कर्म में खाना बनाने गए एक हलवाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

आठवी घटना : 5 सिंतबर को मगध मेडिकल थाना क्षेत्र अंतर्गत नैली पंचायत के पैक्स अध्यक्ष की हत्या कर दी गई थी. इस घटना को अंजाम तब दिया गया था, जब वे मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. उस दौरान पैक्स अध्यक्ष के दो दोस्त भी घायल हो गए थे. दोनों अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.

नौवीं घटना : 6 सितंबर को मुफस्सिल थाना क्षेत्र में मेहता पेट्रोल पंप के पास अपराधियों ने गैस टैंकर चालक और खलासी की गोली मार दी थी. जिसमें चालक की मौत हो गयी. वहीं खलासी अभी भी पटना अस्पताल में भर्ती है.

गया शहर में सात से दस दिनों में यह सभी घटित घटनाएं प्रमुख हैं. इसके अलावा गोलीबारी और घायल होने की घटना घटित होती रहती हैं. इन सभी घटनाओं के कारण लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. छोटी-छोटी बातों के लिए लोगों की हत्या कर दी जाती है. जिसे लेकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगा है.

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) पूरे विश्व में मोक्ष धाम के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन इन दिनों यहां मौत का खेल चल रहा है. 15 दिनों के अंदर 6 लोगों की हत्या (Murder) कर दी गई है. जिसके बाद से यहां की जनता दहशत में जीने को मजबूर है. विपक्ष के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू नेता भी पुलिस के इकबाल पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. पुलिस इन सभी मामले में जांच और कुछ की गिरफ्तारी करने तक ही सीमित है.

इसे भी पढ़ें: शराब पीने से रोकने पर हलवाई की गोली मारकर हत्या, श्राद्ध कर्म के लिए तैयार कर रहा था खाना

दरअसल, गया शहरी क्षेत्र में हत्या की वारदातों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. हर दिन के आपराधिक वारदातों से शहरवासियों की नींद हराम हो गई है. इन सभी घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस कुछ दिनों तक हलचल करती है. लेकिन उसके बाद पुलिस के फाइल में मामला दबकर रह जाता है. गया पुलिस के इकबाल पर सवाल आम जनता से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi), जदयू नेता, जाप और कांग्रेस भी उठा रही है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: गया में चाची और भतीजे का शव बरामद, हत्या या आत्महत्या पर जांच जारी

'गया शहर की गिरती विधि व्यवस्था को लेकर मगध आईजी को ज्ञापन सौंपा गया है. शहर में पिछले सप्ताह रेलवे ठेकेदार संतोष यादव की हत्या होने के बाद हत्या होने का सिलसिला जारी है. एसटीएफ दारोगा के भाई की हत्या, श्राद्धकर्म में खाना बनाने गए हलवाई की हत्या, पैक्स अध्यक्ष को गोली मारकर घायल करना, ये सभी घटनाएं पुलिस की इकबाल को कमजोर साबित करती है. हमारी मांग है कि सरकार गया में विधि व्यवस्था दुरुस्त करे. यदि ऐसा नहीं होता है, तो जन अधिकार पार्टी आंदोलन करेगी.' -राजीव कुमार कन्हैया, जाप नेता


'गया में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुका है. उसपर लगाम लगाने की जरूरत है. यहां सिर्फ हत्या ही नहीं चार लोगों का अपहरण भी किया गया है. गया पुलिस के पास इतना संसाधन नहीं है कि उन सभी अपहरण हुए व्यक्तियों का पता लगा सके. सरकार अगर सुशासन देने का दावा करती है, तो उसका 10 % प्रतिशत भी झलक दिखाई जाए. ; -विजय कुमार मिठू, कांग्रेस नेता

'गया शहर में इन दिनों क्राइम की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता है. गया में लोगों का गुस्सा सरकार से नहीं बल्कि पुलिस से है. मैं नीतीश सरकार के सुशासन के बदौलत ही दावा करता हूँ. सभी मामलों में जल्द ही न्याय मिलेगा.' -चंदन यादव, जदयू नेता

आपको बता दें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जितन राम मांझी ने भी माना था कि राज्य के अन्य जिलों से सबसे अधिक गया में लॉ एंड ऑर्डर खराब है. शहर में पिछले 15 दिनों में प्रमुख हत्याएं, अपहरण और घटनाओं को सूची इस प्रकार हैं-

पहली घटना : 24 अगस्त की देर रात कोतवाली थाना क्षेत्र के नई गोदाम इलाके में एक रेलवे ठेकेदार की हत्या अपराधियों ने कर दी थी.

दूसरी घटना : 27 अगस्त को सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के महावीर स्थान के रहने वाले रंजू कुमार अपने बेटे दर्शित के साथ पिछले 12 दिनों से गायब हैं.

तीसरी घटना : मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गेरे गांव से दो लड़कियां पिछले एक सप्ताह से गायब हैं.

चौथी घटना : 29 अगस्त की देर रात एसटीएफ दरोगा के भाई अरविंद चौधरी की हत्या दी गई थी. अपराधियों ने बेहरमी से सड़क पर ईंट से कुचकर हत्या की थी.

पांचवीं घटना : 3 सितंबर को मगध मेडिकल थाना क्षेत्र में केंदुआ गांव में एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

छठी घटना : 4 सितंबर को पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, तो मां अपनी मासूम बच्ची के साथ आत्महत्या कर ली. पुलिस इस आत्महत्या को हत्या बता रही है.

सातवीं घटना : 4 सितंबर को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गेरे में श्राद्ध कर्म में खाना बनाने गए एक हलवाई की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

आठवी घटना : 5 सिंतबर को मगध मेडिकल थाना क्षेत्र अंतर्गत नैली पंचायत के पैक्स अध्यक्ष की हत्या कर दी गई थी. इस घटना को अंजाम तब दिया गया था, जब वे मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. उस दौरान पैक्स अध्यक्ष के दो दोस्त भी घायल हो गए थे. दोनों अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.

नौवीं घटना : 6 सितंबर को मुफस्सिल थाना क्षेत्र में मेहता पेट्रोल पंप के पास अपराधियों ने गैस टैंकर चालक और खलासी की गोली मार दी थी. जिसमें चालक की मौत हो गयी. वहीं खलासी अभी भी पटना अस्पताल में भर्ती है.

गया शहर में सात से दस दिनों में यह सभी घटित घटनाएं प्रमुख हैं. इसके अलावा गोलीबारी और घायल होने की घटना घटित होती रहती हैं. इन सभी घटनाओं के कारण लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. छोटी-छोटी बातों के लिए लोगों की हत्या कर दी जाती है. जिसे लेकर कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगा है.

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