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बिहार के इस बाजार का कूड़ा फेंका नहीं बल्कि संजोया जाता है, लगती है लाखों की बोली

सोने के आभूषण बनाने वाले दुकानदार सोने की पतली और छोटी सोने के कणों से आभूषण बनाते हैं. एक सोने का कण अगर गिर जाए तो ढूंढ़े भी नहीं मिलता है. वहीं, सोने का छोटा टुकड़ा कूड़े-कचरे के साथ चला जाता है. इसलिए कूड़े को दुकानदार फेंकते नहीं हैं.

कूड़े की लगती है लाखों की बोली
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Published : Sep 3, 2019, 9:53 AM IST

Updated : Sep 3, 2019, 10:47 AM IST

गया: गया में एक ऐसा बाजार है जहां कूड़ा को फेंका नहीं जाता है, बल्कि संजोकर रखा जाता है. गया के चौक सर्राफा बाजार में 200 से अधिक दुकानें हैं. जिस दुकान में कारीगरी होती है, वहां टीन के बर्तन में कूड़े को रखा जाता है. न्यारा समुदाय के लोग आकर संयोजित कूड़े की बोली लगाते हैं. मतलब गया का ये बाजार कूड़ों के इस जंजाल में एक उत्तम संदेश दे रहा है.

Bullion merchant
सर्राफा कारोबारी

'कूड़े-कचरे के साथ चला जाता है'
गया शहर के बीचो-बीच जीबी रोड स्थित सर्राफा बाजार है. जहां दर्जनों छोटी-बड़ी ज्वेलरी की दुकानें और करखाने हैं, जहां सोने के आभूषणों की कटिंग, पोलिश, फिनिशिंग के बाद ज्वेलरी दुकानों तक आभूषण पहुंचाए जाते हैं. सर्राफा बाजार में दर्जनों ऐसे करखाने हैं, जहां सोने की कटिंग से लेकर आभूषण तक बनाया जाता है. सोने के आभूषण बनाने वाले दुकानदार सोने की पतली और छोटी सोने के कणों से आभूषण बनाते हैं. एक सोने का कण अगर गिर जाए तो ढूंढ़े भी नहीं मिलता है. वहीं, सोने का छोटा टुकड़ा कूड़े-कचरे के साथ चला जाता है. इसलिए कूड़े को दुकानदार फेंकते नहीं हैं.

गया में कूड़े की लगती है लाखों की बोली

न्यारी समुदाय लगाता है बोली

बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि हम लोगों को ग्राहकों की ओर से नए-नए तरह के आभूषण बनाने के लिए दिया जाता है. जिसे हम कारीगर को देते हैं. आभूषण बनाने के दौरान कटिंग करते समय सोने के छोटे-छोटे कण टूट कर गिर जाते हैं. जिसका पता भी नहीं चलता. इस छोटे कण को उठाने के लिए प्रतिदिन दुकान खोलने के समय लोग दुकान के अंदर ब्रश सफाई करते हैं. कचरे के साथ सोने का कण भी कचरे में आ जाता है. जिसे कूड़े के डिब्बे में रख जाता है. जिसे न्यारा बोला जाता है. न्यारी समुदाय के लोग कूड़े में पड़े सोने को देख अनुमानित राशि की बोली लगाते हैं.

Bullion artisan
सर्राफा कारीगर

30 से 40 हजार होती है कमाई

कारीगर मनीष कुमार ने बताया मैं 17 सालों से काम कर रहा हूँ, न्यारा को फेंकते नहीं है. न्यारा भले सबके लिए कूड़ा होगा लेकिन हमारे लिए सोना है. साल भर में न्यारा से कम से कम 30 से 40 हजार की कमाई होती है.

Bullion trading
सर्राफा कारोबार

गया: गया में एक ऐसा बाजार है जहां कूड़ा को फेंका नहीं जाता है, बल्कि संजोकर रखा जाता है. गया के चौक सर्राफा बाजार में 200 से अधिक दुकानें हैं. जिस दुकान में कारीगरी होती है, वहां टीन के बर्तन में कूड़े को रखा जाता है. न्यारा समुदाय के लोग आकर संयोजित कूड़े की बोली लगाते हैं. मतलब गया का ये बाजार कूड़ों के इस जंजाल में एक उत्तम संदेश दे रहा है.

Bullion merchant
सर्राफा कारोबारी

'कूड़े-कचरे के साथ चला जाता है'
गया शहर के बीचो-बीच जीबी रोड स्थित सर्राफा बाजार है. जहां दर्जनों छोटी-बड़ी ज्वेलरी की दुकानें और करखाने हैं, जहां सोने के आभूषणों की कटिंग, पोलिश, फिनिशिंग के बाद ज्वेलरी दुकानों तक आभूषण पहुंचाए जाते हैं. सर्राफा बाजार में दर्जनों ऐसे करखाने हैं, जहां सोने की कटिंग से लेकर आभूषण तक बनाया जाता है. सोने के आभूषण बनाने वाले दुकानदार सोने की पतली और छोटी सोने के कणों से आभूषण बनाते हैं. एक सोने का कण अगर गिर जाए तो ढूंढ़े भी नहीं मिलता है. वहीं, सोने का छोटा टुकड़ा कूड़े-कचरे के साथ चला जाता है. इसलिए कूड़े को दुकानदार फेंकते नहीं हैं.

गया में कूड़े की लगती है लाखों की बोली

न्यारी समुदाय लगाता है बोली

बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि हम लोगों को ग्राहकों की ओर से नए-नए तरह के आभूषण बनाने के लिए दिया जाता है. जिसे हम कारीगर को देते हैं. आभूषण बनाने के दौरान कटिंग करते समय सोने के छोटे-छोटे कण टूट कर गिर जाते हैं. जिसका पता भी नहीं चलता. इस छोटे कण को उठाने के लिए प्रतिदिन दुकान खोलने के समय लोग दुकान के अंदर ब्रश सफाई करते हैं. कचरे के साथ सोने का कण भी कचरे में आ जाता है. जिसे कूड़े के डिब्बे में रख जाता है. जिसे न्यारा बोला जाता है. न्यारी समुदाय के लोग कूड़े में पड़े सोने को देख अनुमानित राशि की बोली लगाते हैं.

Bullion artisan
सर्राफा कारीगर

30 से 40 हजार होती है कमाई

कारीगर मनीष कुमार ने बताया मैं 17 सालों से काम कर रहा हूँ, न्यारा को फेंकते नहीं है. न्यारा भले सबके लिए कूड़ा होगा लेकिन हमारे लिए सोना है. साल भर में न्यारा से कम से कम 30 से 40 हजार की कमाई होती है.

Bullion trading
सर्राफा कारोबार
Intro:गया में एक ऐसा बाजार है जहां कूड़ा को फेका नही जाता है बल्कि संजोकर रखा जाता है। गया के चौक सर्राफा बाजार में 200 से अधिक दुकान है जिस दुकान में करगिरी होता है वहां टीना के बर्तन में कूड़ा को रखा जाता है। न्यारा समुदाय के लोग आकर संयोजित कूड़ा का बोली लगता हैं। गया का ये बाजार कूड़ा के इस जंजाल में एक उत्तम संदेश दे रहा है।


Body:गया शहर के बीचो-बीच जीबी रोड स्थित सर्राफा बाजार है जहां दर्जनों छोटी बड़ी ज्वेलर्स दुकान हैं कुछ करखाने भी जहां सोने के आभूषण की कटिंग, पोलिश ,फिनिशिंग के बाद ज्वेलर्स दुकानों तक आभूषण पहुंचाते हैं।सर्राफा बाजार में दर्जनों ऐसे करखाने हैं जहां सोने की कटिंग से लेकर आभूषण तक बनाया जाता है सोने के आभूषण बनाने वाले दुकानदार सोने की पतली और छोटी सोने के कणों से आभूषण बनाते है। एक सोना का अगर गिर जाए तो कोई ढूंढ भी नहीं सकता है। वही सोना का मिली टुकड़ा कूड़ा कचड़ा के साथ चल जाता है। इसलिए कूड़ा को दुकानदार फेखते नही है।

बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कुमार ने बताया कि हम लोग को ग्राहकों के द्वारा नए तरह से आभूषण बनाने के लिए दिया जाता है। जिसको हम लोग कारीगर को देते हैं। आभूषण बनाने के दौरान कटिंग करते समय सोने के छोटा-छोटा कण टूट कर गिर जाता है जो पता भी नहीं चलता है, इस छोटे कण को उठाने के लिए प्रतिदिन दुकान खोलने के समय लोग दुकान के अंदर ब्रश सफाई करते हैं कचरे के साथ सोने का कण भी कचरा में आ जाता है जिसे कूड़े के डिब्बे में रख जाता है। जिसे न्यारा बोला जाता है। न्यारी समुदाय के लोग कूड़े में पड़े सोने के देख अनुमानित राशि का अंदाजा लगा कर बोली लगाते हैं।

कारीगर मनीष कुमार ने बताया मैं 17 सालो से काम कर रहा हूँ, न्यारा को हमलोग नही फेखते है। न्यारा भले सबक लिए कूड़ा होगा लेकिन हमलोग के लिए सोना है। साल भर में न्यारा से कम से कम 30 से 40 हजार का एक दुकानदार कमाता है।



Conclusion:बाइट संजय कुमार बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष
बाइट जितेंद्र कुमार आभूषण दुकानदार
बाइट मनीष कुमार समाजसेवी
Last Updated : Sep 3, 2019, 10:47 AM IST
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