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Gaya News : गया के जिस स्कूल को नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ा दिया, वहां के छात्र इंजीनियर बन दिखा रहे अपना दमखम

नक्सल प्रभावित गया जिले के धनगांई (Naxal affected Dhangai village of Gaya) के जिस स्कूल को नक्सलियों ने 12 साल पहले डायनामाइट से उड़ा दिया था, वहां के बच्चे आज पढ़-लिखकर देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं. नक्सली अपनी वारदात छात्रों के जज्बे को दबा नहीं सकी. यहां के पूर्ववर्ती छात्र कहते हैं कि स्कूल के अनुशासन से जो सीख मिली थी, मैं उस पर कायम रहा. जिसका नतीजा है कि आज जीवन में कुछ कर पा रहा हूं. हालांकि एक सच ये भी है कि स्कूल भवन आज भी उस खौफनाक मंजर की याद दिलाते हैं.

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Published : Jan 26, 2023, 2:03 PM IST

Updated : Jan 26, 2023, 9:32 PM IST

नक्सल प्रभावित गांव के स्कूल के छात्र का कमाल

गया: बिहार के गया का धनंगाई का इलाका नक्सल प्रभावित (Naxal Affected Area Dhangai of Gaya) रहा है. कई दशकों से नक्सल गतिविधियों की चपेट में रहने की वजह से इस इलाके ने विषम हालातों को देखा है. कभी यह इलाका घंटों गोली-बारूद से दहशत में रहता था. इसी बीच वर्ष 2011 में नक्सलियों द्वारा डायनामाइट लगाकर उड़ाए गए मध्य विद्यालय की याद आज भी ताजा है. इसका मलबा आज तक नहीं हटा है तो दूसरी ओर विद्यालय को उड़ाने की हुई बड़ी घटना के बाद भी इसमें अध्ययन करने वाले छात्रों ने बड़े मुकाम हासिल किए हैं. कोई विदेशी कंपनी में इंजीनियर है, तो कोई दारोगा वहीं कुछ शिक्षक तो कुछ रेलवे में जॉब लेकर स्कूल का नाम रौशन कर रहे हैं.

पढ़ें-प्राथमिक विद्यालय सिताचक: सर हमलोग रोज डर-डर के पढ़ते हैं... कुछ इस तरह भविष्य संवार रहे मासूम

2011 में हुई थी घटना: वर्ष 2011 में गया जिले के नक्सल प्रभावित बाराचट्टी प्रखंड के धनगाई में नक्सलियों ने डायनामाइट से मध्य विद्यालय उड़ाया (Naxalites Blew Up School With Dynamite) था. मध्य विद्यालय को उड़ाए जाने की घटना देश स्तर पर सुर्खियों में थी. तब इस विद्यालय में विश्वजीत कुमार नाम का छात्र भी आठवीं कक्षा में अध्ययन कर रहा था. हालांकि विश्वजीत ने इसके बाद भी पढ़ाई जारी रखी और आज अमेरिकन कंपनी में गुड़गांव में इंजीनियर है.

विद्यालय से मिला लक्ष्य: विश्वजीत बताते हैं कि वह उसी विद्यालय के छात्र थे, जिसे नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ा दिया था. उनका कहना है कि यहां के अनुशासन से जो सीख मिली थी, वह उस पर कायम रहा. यही वजह है कि नक्सली गतिविधियों और अपने इलाके की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी वह सफल हुआ है और एक विदेशी कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत है. इसके अलावा कई ऐसे छात्र हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर अपना योगदान दे रहे हैं. एक छात्र इसी विद्यालय में शिक्षक भी बना तो इसी नक्सल इलाके की डोली कुमारी दरोगा बनी है.

"मैं इसी विद्यालय का छात्र था, जिसे नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ा दिया था. यहां के अनुशासन से जो सीख मिली थी, मैं उस पर कायम रहा. यही वजह है कि नक्सली गतिविधियों और अपने इलाके की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी मैं सफल हुआ है और एक विदेशी कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत हूं."-विश्वजीत कुमार, पूर्व छात्र

नासूर बना है विद्यालय का मलवा: विश्वजीत बताता है कि धनगाई मध्य विद्यालय को 2011 में नक्सलियों ने उड़ाया था. हालांकि उसी स्थिति में आज भी विद्यालय का मलबा मौजूद है, जिससे नई पीढ़ी को गलत मैसेज जा रहा है. साथ ही उस नक्सली घटना की याद ताजा होती है, जो कि नई पीढ़ी के लिए घातक साबित हो रही है. विद्यालय का मालवा नक्सली घटना का प्रतीकात्मक बना हुआ है. अब उसमें मलवे पर गोवर ठोंके जा रहे हैं. यहां मौजूद ब्लैक बोर्ड में गोबर के उपले लगाएं जा रहे हैं. विश्वजीत बताते हैं कि जल्द ही विद्यालय के मलबे में को हटाना चाहिए, ताकि इसे देखने बाद यहां के बच्चों में जो गलत भावना आती है, वह दूर हो सके.

नए भवन के लिए मलबा हटाना जरूरी: मध्य विद्यालय धनगाई के शिक्षक राकेश कुमार बताते हैं कि वह इस विद्यालय में 2011 से पहले से कार्यरत है. जब 2011 में डायनामाइट लगाकर विद्यालय को उड़ाने की घटना हुई थी. तब वह यहां पदस्थापित थे. अब विद्यालय का नया भवन बना है, लेकिन 2011 में हुई घटना का मलबा उसी परिस्थिति में आज भी मौजूद है. जिसे देखने पर दहशत का माहौल बन जाता है और पुरानी यादें ताजा हो जाती है. शिक्षक की मांग है कि इस मलवे के जल्द हटाया जाए, इससे बच्चों में गलत संदेश जा रहा है.

नक्सल प्रभावित गांव के स्कूल के छात्र का कमाल

गया: बिहार के गया का धनंगाई का इलाका नक्सल प्रभावित (Naxal Affected Area Dhangai of Gaya) रहा है. कई दशकों से नक्सल गतिविधियों की चपेट में रहने की वजह से इस इलाके ने विषम हालातों को देखा है. कभी यह इलाका घंटों गोली-बारूद से दहशत में रहता था. इसी बीच वर्ष 2011 में नक्सलियों द्वारा डायनामाइट लगाकर उड़ाए गए मध्य विद्यालय की याद आज भी ताजा है. इसका मलबा आज तक नहीं हटा है तो दूसरी ओर विद्यालय को उड़ाने की हुई बड़ी घटना के बाद भी इसमें अध्ययन करने वाले छात्रों ने बड़े मुकाम हासिल किए हैं. कोई विदेशी कंपनी में इंजीनियर है, तो कोई दारोगा वहीं कुछ शिक्षक तो कुछ रेलवे में जॉब लेकर स्कूल का नाम रौशन कर रहे हैं.

पढ़ें-प्राथमिक विद्यालय सिताचक: सर हमलोग रोज डर-डर के पढ़ते हैं... कुछ इस तरह भविष्य संवार रहे मासूम

2011 में हुई थी घटना: वर्ष 2011 में गया जिले के नक्सल प्रभावित बाराचट्टी प्रखंड के धनगाई में नक्सलियों ने डायनामाइट से मध्य विद्यालय उड़ाया (Naxalites Blew Up School With Dynamite) था. मध्य विद्यालय को उड़ाए जाने की घटना देश स्तर पर सुर्खियों में थी. तब इस विद्यालय में विश्वजीत कुमार नाम का छात्र भी आठवीं कक्षा में अध्ययन कर रहा था. हालांकि विश्वजीत ने इसके बाद भी पढ़ाई जारी रखी और आज अमेरिकन कंपनी में गुड़गांव में इंजीनियर है.

विद्यालय से मिला लक्ष्य: विश्वजीत बताते हैं कि वह उसी विद्यालय के छात्र थे, जिसे नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ा दिया था. उनका कहना है कि यहां के अनुशासन से जो सीख मिली थी, वह उस पर कायम रहा. यही वजह है कि नक्सली गतिविधियों और अपने इलाके की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी वह सफल हुआ है और एक विदेशी कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत है. इसके अलावा कई ऐसे छात्र हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर अपना योगदान दे रहे हैं. एक छात्र इसी विद्यालय में शिक्षक भी बना तो इसी नक्सल इलाके की डोली कुमारी दरोगा बनी है.

"मैं इसी विद्यालय का छात्र था, जिसे नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ा दिया था. यहां के अनुशासन से जो सीख मिली थी, मैं उस पर कायम रहा. यही वजह है कि नक्सली गतिविधियों और अपने इलाके की विषम परिस्थितियों के बावजूद भी मैं सफल हुआ है और एक विदेशी कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत हूं."-विश्वजीत कुमार, पूर्व छात्र

नासूर बना है विद्यालय का मलवा: विश्वजीत बताता है कि धनगाई मध्य विद्यालय को 2011 में नक्सलियों ने उड़ाया था. हालांकि उसी स्थिति में आज भी विद्यालय का मलबा मौजूद है, जिससे नई पीढ़ी को गलत मैसेज जा रहा है. साथ ही उस नक्सली घटना की याद ताजा होती है, जो कि नई पीढ़ी के लिए घातक साबित हो रही है. विद्यालय का मालवा नक्सली घटना का प्रतीकात्मक बना हुआ है. अब उसमें मलवे पर गोवर ठोंके जा रहे हैं. यहां मौजूद ब्लैक बोर्ड में गोबर के उपले लगाएं जा रहे हैं. विश्वजीत बताते हैं कि जल्द ही विद्यालय के मलबे में को हटाना चाहिए, ताकि इसे देखने बाद यहां के बच्चों में जो गलत भावना आती है, वह दूर हो सके.

नए भवन के लिए मलबा हटाना जरूरी: मध्य विद्यालय धनगाई के शिक्षक राकेश कुमार बताते हैं कि वह इस विद्यालय में 2011 से पहले से कार्यरत है. जब 2011 में डायनामाइट लगाकर विद्यालय को उड़ाने की घटना हुई थी. तब वह यहां पदस्थापित थे. अब विद्यालय का नया भवन बना है, लेकिन 2011 में हुई घटना का मलबा उसी परिस्थिति में आज भी मौजूद है. जिसे देखने पर दहशत का माहौल बन जाता है और पुरानी यादें ताजा हो जाती है. शिक्षक की मांग है कि इस मलवे के जल्द हटाया जाए, इससे बच्चों में गलत संदेश जा रहा है.

Last Updated : Jan 26, 2023, 9:32 PM IST
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