गया: बिहार विधान परिषद (Bihar MLC Election Result) गया स्थानीय निकाय की मतगणना (counting of Bihar MLC Election 2022) संपन्न हो गई है. राजद के लिए इस सीट से अच्छी खबर है. राजद के कुमार नागेंद्र उर्फ रिंकू यादव निकटतम प्रत्याशी जदयू की मनोरमा देवी (JDU Candidate Manorama Devi lost In Gaya) से 528 वोट से जीत गए हैं. गया डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने जीत की घोषणा की है. उन्होंने बताया कि मतगणना में टोटल 7440 वैध मतों की गिनती की गई. जिसमें आरजेडी उम्मीदवार कुमार नागेंद्र उर्फ रिंकू यादव को 3795 मत प्राप्त हुए हैं, जबकि जेडीयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी को 3267 मत ही प्राप्त हुए. इस तरह से कुमार नगेंद्र 528 वोट से विजयी रहे, जबकि लोजपा (रा.) प्रत्याशी सत्येंद्र कुमार को 306 मत ही प्राप्त हुए.
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गया में आरजेडी का परचम: पटना की एमएलसी सीट को आरजेडी प्रत्याशी कार्तिक कुमार ने जीत लिया है. उन्हें 1886 वोट मिले हैं. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी करणवीर सिंह लल्लू मुखिया को 1706 वोट आया है. वहीं जेडीयू के वाल्मिकी सिंह को 1388 वोट मिले हैं. वहीं गया-जहानाबाद-अरवल एमएलसी सीट से राजद के कुमार नागेंद्र उर्फ रिंकू यादव विजयी रहे. आरजेडी के कुमार नागेंद्र को 3795 वोट और जदयू की मनोरमा देवी को 3267 वोट मिले.
185 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला: बता दें कि बिहार विधान परिषद के 24 सीटों पर वोटिंग 4 अप्रैल को हुई थी. चुनाव में 97.84% मतदान हुआ है. 12 सीटों पर 99 फीसदी या इससे अधिक वोटिंग हुई है. कुल 185 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला आज हो जाएगा. चुनाव बैलेट से हुआ है. काउंटिंग के लिए 14 टेबल बनाए गए हैं. सबसे पहले मतगणना केंद्र स्थल पर बैलेट बॉक्स से सभी मतपत्रों को निकालकर उसे मिलाया गया और गिनती शुरू हुई. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना किया गया. इस बार लड़ाई आरजेडी और एनडीए के बीच है.
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आम चुनाव की तरह नहीं होती काउंटिंग: विधान परिषद के इस चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वोट देने का विकल्प रहता है. बैलेट पेपर पर वरीयता क्रम में अपनी पसंद का चुनाव करना होता है. पहले प्रथम वरीयता के वोट की गिनती होती है और प्रत्याशी को जीत के लिए कुल वोटों में से 50% से अधिक वोट लाना होता है. यदि 50% से अधिक वोट नहीं मिला तो फिर दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होती है और सबसे कम प्रथम वरीयता के वोट लाने वाले प्रत्याशी को हटा दिया जाता है. उसके बैलेट पेपर में मिले दूसरी वरीयता के वोट को संबंधित प्रत्याशी के वोट में जोड़ दिया जाता है. वोटों की गिनती की प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक 50% से एक भी अधिक वोट नहीं आ जाता है और इसके कारण मतगणना में अधिक समय लगता है.
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