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Gaya News : गया के MMCH में थैलेसीमिया डे केयर सेंटर की सुविधा, पीड़ित बच्चों के लिए प्ले जोन

Magadh Hospital Gaya बिहार के गया में स्थित मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए बड़ी पहल हुई है. यहां बनाए गए डे केयर सेंटर में हर सुविधा मुहैया कराई गई है. खास बात यह है, कि यहां बच्चों को इलाज के साथ-साथ मनोरंजन के भी साधन मिल रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर

MMCH में थैलेसीमिया डे केयर सेंटर की सुविधा
MMCH में थैलेसीमिया डे केयर सेंटर की सुविधा
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Published : May 20, 2023, 5:51 PM IST

गया : बिहार के गया जिले का मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल. यहां थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए कई कदम उठाए गए हैं. केयर इंडिया नाम की संस्था के द्वारा यहां डे केयर सेंटर बनाया गया है. डे केयर सेंटर में हर सुविधाएं उपलब्ध हैं. बच्चों के रहने से लेकर भोजन, इलाज, ब्लड के साथ-साथ उनके लिए मनोरंजन की भी व्यवस्था रखी गई है.

ये भी पढ़ें: गया के अस्पताल का हाल बेहाल, एक डॉक्टर के भरोसे चलता है अस्पताल

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन : संभवत किसी अस्पताल में प्ले जोन नहीं ही होता है. लेकिन, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए डे केयर सेंटर में प्ले जोन की व्यवस्था की गई है. यहां बच्चों के लिए एक बड़ा सा कमरा खेलने-कूदने के लिए बनाया गया है. बच्चे इलाज के साथ-साथ अब यहां मनोरंजन भी कर सकेंगे.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल

अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी : बच्चों के लिए खिलौने में झूला, घोड़ा गाड़ी, कुर्सी, समेत विभिन्न तरह के खिलौने रखे गए हैं. वहीं, दीवारों पर बच्चों को आकर्षित करने वाली पेंटिंग लगाई गई है, जो कि विभिन्न जानवरों की है, जिससे बच्चों का विशेष लगाव होता है. इसके अलावा अन्य तरह की मनोरंजक पेंटिंग भी यहां बनाई गई है. थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए बनाए गए प्ले जोन में लगाई गई वॉल पेंटिंग हर किसी को आकर्षित करती है.

थैलासीमिया पीड़ित बच्चों को मिलता है आसानी से ब्लड : इस संबंध में मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि थैलासीमिया से ग्रसित सभी को यहां आसानी से ब्लड मिलता है. इसके अलावा यहां जो बच्चे इलाज के लिए आते हैं, उनके लिए प्ले जोन भी बनाया गया है. अब मगध प्रमंडल के सभी जिलों गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा के थैलासीमिया से ग्रसित मरीज यहां बेहतर उपचार करवा सकेंगे. घरेलू माहौल और मनोरंजन के वातावरण में यहां इलाज किए जाने की शुरुआत की गई है.

MMCH में डे केयर सेंटर की सुविधा
MMCH में डे केयर सेंटर की सुविधा

अगर खून में RBC की संख्या कम हो जाए, तो.. : मेडिकल अधीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि थैलासीमिया और हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारियां है, जो मां बाप से बच्चों में आती है. थैलासीमिया ब्लड के प्लॉटिंग डिसऑर्डर को कहते हैं. इसमें रक्त के बाहर निकलने से थक्का होने में दिक्कत होती है, जिससे रक्त ज्यादा देर तक बाहर गिरता जाता है. ऐसे में जब शरीद में RBC यानी रेड ब्लड सेल्स का काउंट कम हो जाता है, तो कुछ लक्षण दिखने लगते हैं. जैसे बच्चों में थकान, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन, कमजोरी आना, तेज धड़कन, नजर कमजोर होना, आदि.

खून को गंदा पानी बनाकर छोड़ती है RBC की कमी: मेडिकल अधीक्षक ने बताया कि RBC खून का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसकी कमी से खून एक गंदा पानी बन जाता है और पोषण ले जाने का काम बाधित हो जाता है. थैलासीमिया में ब्लड चढ़ाने की प्रक्रिया है. पहले यह मुश्किल हुआ करता था. मरीजों को 3 हफ्ते पर ब्लड चढाने की जरूरत होती है, लेकिन अब मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया से पीड़ित बच्चों का बेहद ही सकारात्मक तरीके से इलाज किया जा रहा है.

अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी
अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी

मगध प्रमंडल के सभी जिलों से बच्चे आते हैं : प्रकाश सिंह ने बताया कि केयर फाउंडेशन के तत्वावधान में एक केंद्र खोला गया है, जिसमें मगध प्रमंडल के सभी जिलों से बच्चे आते हैं. 3 हफ्ते पर ब्लड ट्रांसप्लांट किया जाता है. इन बच्चों को रक्त देते हैं और शाम में छुट्टी कर देते हैं. बच्चे एक घर के माहौल में इलाज कराते हैं. यहां बच्चों के लिए खेलकूद की भी व्यवस्था है और इसके लिए प्ले जोन बनाया गया है.

यहां आसानी से ब्लड मिलता : मेडिकल अधीक्षक ने बताया कि शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों और कर्मी की मदद से थैलासीमिया से ग्रसित मरीजों के लिए दिन भर के लिए सारी चीजों का इंतजाम करते हैं. बताया कि सुदूर जगहों से माताएं आती है और यहां एक बेहद अच्छे वातावरण में उनके थैलासीमिया से ग्रसित बच्चे का इलाज किया जाता है. यहां आसानी से ब्लड मिलता है.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन

''यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऐसा हो रहा है. खून चढ़ाने से बच्चा नार्मल लाइफ में जिंदगी जी रहा. वहीं बच्चे प्ले जोन में खेलते कूदते हैं. यह बहुत अच्छी बात है.'' - प्रकाश सिंह, अधीक्षक मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया

अच्छे माहौल में थैलासीमिया पीड़ित बच्चों का इलाज: वहीं, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के थैलासीमिया विभाग में खुले डे केयर सेंटर में लैब टेक्नीशियन रंजय कुमार बताते हैं कि हमारी व्यवस्था काफी अच्छी है. केयर इंडिया संस्था फंडिंग करती है. यहां थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए हर प्रकार के साधन उपलब्ध कराए गए हैं.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन

''उनके रहने, बैठने, सोने , इलाज का इंतजाम एकदम से आसान बनाया गया है. वहीं प्ले जोन की भी व्यवस्था ग्रसित बच्चों के लिए की गई है, ताकि वे खुशनुमा माहौल में खुद को महसूस कर सकें और हंसते खेलते घर को लौटें.'' - रंजय कुमार, लैब टेक्नीशियन डे केयर सेंटर थैलासीमिया विभाग

पहले दिक्कत होती थी, अब यहां सब कुछ मिलता है : वहीं, गया जिले के सुदूरवर्ती इलाके से थैलेसीमिया से ग्रसित अपने बेटे को लेकर आए संजय कुमार बताते हैं कि पहले ब्लड के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था, लेकिन अब यहां डे केयर सेंटर में ब्लड आसानी से मिल जाता है और यहां दिनभर डॉक्टर नर्स काम करते हैं. सही तरीके से ब्लड चढ़ता है.

''इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए हर तरह की सुविधा यहां मुहैया कराई गई है. यहां कोई दिक्कत नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों के लिए एक प्ले जोन बनाया गया है, जिसमें बच्चे खेलते कूदते भी हैं. इस तरह से अब हम जब बच्चों को लेकर अस्पताल आते हैं तो घर जैसा माहौल महसूस होता है, कोई परेशानी नहीं होती है.'' - संजय कुमार, थैलासीमिया से ग्रसित बच्चे के पिता.

गया : बिहार के गया जिले का मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल. यहां थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए कई कदम उठाए गए हैं. केयर इंडिया नाम की संस्था के द्वारा यहां डे केयर सेंटर बनाया गया है. डे केयर सेंटर में हर सुविधाएं उपलब्ध हैं. बच्चों के रहने से लेकर भोजन, इलाज, ब्लड के साथ-साथ उनके लिए मनोरंजन की भी व्यवस्था रखी गई है.

ये भी पढ़ें: गया के अस्पताल का हाल बेहाल, एक डॉक्टर के भरोसे चलता है अस्पताल

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन : संभवत किसी अस्पताल में प्ले जोन नहीं ही होता है. लेकिन, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए डे केयर सेंटर में प्ले जोन की व्यवस्था की गई है. यहां बच्चों के लिए एक बड़ा सा कमरा खेलने-कूदने के लिए बनाया गया है. बच्चे इलाज के साथ-साथ अब यहां मनोरंजन भी कर सकेंगे.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल

अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी : बच्चों के लिए खिलौने में झूला, घोड़ा गाड़ी, कुर्सी, समेत विभिन्न तरह के खिलौने रखे गए हैं. वहीं, दीवारों पर बच्चों को आकर्षित करने वाली पेंटिंग लगाई गई है, जो कि विभिन्न जानवरों की है, जिससे बच्चों का विशेष लगाव होता है. इसके अलावा अन्य तरह की मनोरंजक पेंटिंग भी यहां बनाई गई है. थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए बनाए गए प्ले जोन में लगाई गई वॉल पेंटिंग हर किसी को आकर्षित करती है.

थैलासीमिया पीड़ित बच्चों को मिलता है आसानी से ब्लड : इस संबंध में मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि थैलासीमिया से ग्रसित सभी को यहां आसानी से ब्लड मिलता है. इसके अलावा यहां जो बच्चे इलाज के लिए आते हैं, उनके लिए प्ले जोन भी बनाया गया है. अब मगध प्रमंडल के सभी जिलों गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, नवादा के थैलासीमिया से ग्रसित मरीज यहां बेहतर उपचार करवा सकेंगे. घरेलू माहौल और मनोरंजन के वातावरण में यहां इलाज किए जाने की शुरुआत की गई है.

MMCH में डे केयर सेंटर की सुविधा
MMCH में डे केयर सेंटर की सुविधा

अगर खून में RBC की संख्या कम हो जाए, तो.. : मेडिकल अधीक्षक प्रकाश सिंह ने बताया कि थैलासीमिया और हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारियां है, जो मां बाप से बच्चों में आती है. थैलासीमिया ब्लड के प्लॉटिंग डिसऑर्डर को कहते हैं. इसमें रक्त के बाहर निकलने से थक्का होने में दिक्कत होती है, जिससे रक्त ज्यादा देर तक बाहर गिरता जाता है. ऐसे में जब शरीद में RBC यानी रेड ब्लड सेल्स का काउंट कम हो जाता है, तो कुछ लक्षण दिखने लगते हैं. जैसे बच्चों में थकान, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन, कमजोरी आना, तेज धड़कन, नजर कमजोर होना, आदि.

खून को गंदा पानी बनाकर छोड़ती है RBC की कमी: मेडिकल अधीक्षक ने बताया कि RBC खून का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसकी कमी से खून एक गंदा पानी बन जाता है और पोषण ले जाने का काम बाधित हो जाता है. थैलासीमिया में ब्लड चढ़ाने की प्रक्रिया है. पहले यह मुश्किल हुआ करता था. मरीजों को 3 हफ्ते पर ब्लड चढाने की जरूरत होती है, लेकिन अब मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलासीमिया से पीड़ित बच्चों का बेहद ही सकारात्मक तरीके से इलाज किया जा रहा है.

अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी
अस्पताल में इलाज के साथ-साथ खेलकूद भी

मगध प्रमंडल के सभी जिलों से बच्चे आते हैं : प्रकाश सिंह ने बताया कि केयर फाउंडेशन के तत्वावधान में एक केंद्र खोला गया है, जिसमें मगध प्रमंडल के सभी जिलों से बच्चे आते हैं. 3 हफ्ते पर ब्लड ट्रांसप्लांट किया जाता है. इन बच्चों को रक्त देते हैं और शाम में छुट्टी कर देते हैं. बच्चे एक घर के माहौल में इलाज कराते हैं. यहां बच्चों के लिए खेलकूद की भी व्यवस्था है और इसके लिए प्ले जोन बनाया गया है.

यहां आसानी से ब्लड मिलता : मेडिकल अधीक्षक ने बताया कि शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों और कर्मी की मदद से थैलासीमिया से ग्रसित मरीजों के लिए दिन भर के लिए सारी चीजों का इंतजाम करते हैं. बताया कि सुदूर जगहों से माताएं आती है और यहां एक बेहद अच्छे वातावरण में उनके थैलासीमिया से ग्रसित बच्चे का इलाज किया जाता है. यहां आसानी से ब्लड मिलता है.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन

''यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऐसा हो रहा है. खून चढ़ाने से बच्चा नार्मल लाइफ में जिंदगी जी रहा. वहीं बच्चे प्ले जोन में खेलते कूदते हैं. यह बहुत अच्छी बात है.'' - प्रकाश सिंह, अधीक्षक मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया

अच्छे माहौल में थैलासीमिया पीड़ित बच्चों का इलाज: वहीं, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के थैलासीमिया विभाग में खुले डे केयर सेंटर में लैब टेक्नीशियन रंजय कुमार बताते हैं कि हमारी व्यवस्था काफी अच्छी है. केयर इंडिया संस्था फंडिंग करती है. यहां थैलासीमिया से ग्रसित बच्चों के लिए हर प्रकार के साधन उपलब्ध कराए गए हैं.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्ले जोन

''उनके रहने, बैठने, सोने , इलाज का इंतजाम एकदम से आसान बनाया गया है. वहीं प्ले जोन की भी व्यवस्था ग्रसित बच्चों के लिए की गई है, ताकि वे खुशनुमा माहौल में खुद को महसूस कर सकें और हंसते खेलते घर को लौटें.'' - रंजय कुमार, लैब टेक्नीशियन डे केयर सेंटर थैलासीमिया विभाग

पहले दिक्कत होती थी, अब यहां सब कुछ मिलता है : वहीं, गया जिले के सुदूरवर्ती इलाके से थैलेसीमिया से ग्रसित अपने बेटे को लेकर आए संजय कुमार बताते हैं कि पहले ब्लड के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था, लेकिन अब यहां डे केयर सेंटर में ब्लड आसानी से मिल जाता है और यहां दिनभर डॉक्टर नर्स काम करते हैं. सही तरीके से ब्लड चढ़ता है.

''इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए हर तरह की सुविधा यहां मुहैया कराई गई है. यहां कोई दिक्कत नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों के लिए एक प्ले जोन बनाया गया है, जिसमें बच्चे खेलते कूदते भी हैं. इस तरह से अब हम जब बच्चों को लेकर अस्पताल आते हैं तो घर जैसा माहौल महसूस होता है, कोई परेशानी नहीं होती है.'' - संजय कुमार, थैलासीमिया से ग्रसित बच्चे के पिता.

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