गया: बिहार सनातन धर्मावलंबियों के लिए विख्यात गयाजी में इन दोनों पितृपक्ष मेला चल रहा है. देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से आए तीर्थयात्री अपने पितरों की आत्मा की मोक्ष की कामना को लेकर पहुंच रहे हैं. पितृपक्ष मेला के दूसरे दिन मोक्षदानी फल्गु नदी व देवघाट पर पिंडदान किया. तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. तीर्थयात्रियों को कहीं कोई समस्या ना हो, इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा जगह-जगह शिविर लगाए गए हैं. पुलिस बल की तैनाती की गई है.
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फल्गु नदी और देवघाट पर पिंडदानः पंडा पुरुषोत्तम कुमार मिश्रा बताते हैं कि पितृपक्ष मेला के दूसरे दिन फल्गु नदी और देवघाट पर पिंडदान करने का प्रावधान है. यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जिस तरह से गंगा नदी पवित्र मानी जाती है. इस तरह से फल्गु नदी भी पवित्र मानी जाती है. फल्गु नदी को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. पितृपक्ष में फल्गु नदी के जल से तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पूरे देश दुनिया से आए तीर्थ यात्री गया जी पहुंच रहे हैं और पितरों की आत्मा की शांति को लेकर पिंडदान कर रहे हैं.
"पितृपक्ष मेला के दूसरे दिन फल्गु नदी और देवघाट पर पिंडदान करने का प्रावधान है. इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है. फल्गु नदी को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है. पूरे देश दुनिया से आए तीर्थ यात्री गया जी पहुंच रहे हैं." -पुरुषोत्तम कुमार मिश्रा, पंडा
कोलकाता से पहुंचे पिंडदानीः तीर्थ यात्री शुभाशीष घोषाल कोलकाता से अपने माता-पिता का पिंडदान करने के लिए गयाजी पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि गयाजी में पिंडदान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है. घोषाल ने बताया कि गयाजी के बारे में हमने काफी सुना था, जिसके बाद आज यहां पहुंचे हैं. अपने माता-पिता की आत्मा की शांति को लेकर पिंडदान कर्मकांड रहे हैं. यहां प्रशासन ने भी काफी अच्छी व्यवस्था की है.
"अपने माता पिता का पिंडदान करने के लिए कोलकाता से आए हैं. यहां पिंडदान का काफी महत्व है. इसके बारे में काफी सुना था. यहां व्यवस्था भी काफी अच्छी है." -शुभाशीष घोषाल, कोलकाता से आए पिंडदानी