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पितृ अमावस्या पर गुलजार हुआ गयाधाम, गया वासियों ने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए किया तर्पण

पितृ अमावस्या के मौके पर पूरा गया धाम आज गुलजार हो गया. बता दें कि कोरोना वायरस के वजह से इस वर्ष पितृपक्ष मेला स्थगित कर दिया गया था. पूरे पितृपक्ष अवधि में गया धाम के विभिन्न पिंडवेदी पर सन्नाटा पसरा रहा.

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Published : Sep 17, 2020, 5:33 PM IST

गयाः बिहार का गया धर्म नगरी है. पितृपक्ष में गया में देश-विदेश से श्रदालु आकर पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करते है. इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है. आज पितृ अमावस्या है. आज के दिन पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षदायिनी फल्गु नदी के जल से तर्पण किया जाता है. पितृ अमावस्या के मौके पर पूरा गया धाम गुलजार हो गया.

इस वर्ष पितृपक्ष मेला था स्थगित
दरअसल कोरोना वायरस के वजह से इस वर्ष पितृपक्ष मेला स्थगित कर दिया गया था. पूरे पितृपक्ष अवधि में गया धाम के विभिन्न पिंडवेदी पर सन्नाटा पसरा रहा. लेकिन आज पितृ अमावस्या के दिन देव घाट, फल्गु नदी और विष्णुपद परिसर पिंडदान करनेवाले और तर्पण करनेवाले लोगों से गुलजार रहा.

gaya_
पानी में खड़े लोग

गया में पितरों का किया जाता है श्राद्ध कर्म
आज श्राद्ध का अंतिम दिन होता है. इसलिए यह पितरों की विदाई का दिन माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती. इसके अलावा यदि किसी का श्राद्ध भूल गए हैं तो इस दिन श्राद्ध किया जाता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सभी नदियों फल्गु नदी सबसे ज्यादा पवित्र
गया धाम पंडा दामोदर गोस्वामी ने बताया कि फल्गु सभी नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र है. फल्गु के बूंद-बूंद में भगवान विष्णु विराजमान है. पितृपक्ष के पहला दिन का पिंडदान फल्गु नदी में किया जाता है. अंतिम दिन पिंडदान फल्गु नदी के तट पर करने का बड़ा महत्व होता है. इस दिन मोक्ष के सभी द्वार खुल रहते है और इस दिन मोक्षदायिनी फल्गु के एक बूंद से भी तर्पण कर दिया जाए, तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

गयाः बिहार का गया धर्म नगरी है. पितृपक्ष में गया में देश-विदेश से श्रदालु आकर पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करते है. इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है. आज पितृ अमावस्या है. आज के दिन पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षदायिनी फल्गु नदी के जल से तर्पण किया जाता है. पितृ अमावस्या के मौके पर पूरा गया धाम गुलजार हो गया.

इस वर्ष पितृपक्ष मेला था स्थगित
दरअसल कोरोना वायरस के वजह से इस वर्ष पितृपक्ष मेला स्थगित कर दिया गया था. पूरे पितृपक्ष अवधि में गया धाम के विभिन्न पिंडवेदी पर सन्नाटा पसरा रहा. लेकिन आज पितृ अमावस्या के दिन देव घाट, फल्गु नदी और विष्णुपद परिसर पिंडदान करनेवाले और तर्पण करनेवाले लोगों से गुलजार रहा.

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पानी में खड़े लोग

गया में पितरों का किया जाता है श्राद्ध कर्म
आज श्राद्ध का अंतिम दिन होता है. इसलिए यह पितरों की विदाई का दिन माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती. इसके अलावा यदि किसी का श्राद्ध भूल गए हैं तो इस दिन श्राद्ध किया जाता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सभी नदियों फल्गु नदी सबसे ज्यादा पवित्र
गया धाम पंडा दामोदर गोस्वामी ने बताया कि फल्गु सभी नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र है. फल्गु के बूंद-बूंद में भगवान विष्णु विराजमान है. पितृपक्ष के पहला दिन का पिंडदान फल्गु नदी में किया जाता है. अंतिम दिन पिंडदान फल्गु नदी के तट पर करने का बड़ा महत्व होता है. इस दिन मोक्ष के सभी द्वार खुल रहते है और इस दिन मोक्षदायिनी फल्गु के एक बूंद से भी तर्पण कर दिया जाए, तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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