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गया में रुठे इंद्रदेव: सुखाड़ से परेशान किसान देख रहे आसमान

बिहार में किसानों को बाढ़ और सुखाड़ की मार इस साल भी झेलनी पड़ रही है. राज्य के कई जिलों में काफी कम बारिश रिकार्ड की गयी है. इन जिलों में बारिश 20 प्रतिशत से भी कम हुई. ऐसे में धान की रोपाई नहीं हो पाई है. गया में भी सुखाड़ ( Drought In Gaya) के चलते अब तक 0.57 प्रतिशत धान की ही रोपनी हो सकी है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Drought In Gaya
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Published : Jul 12, 2022, 6:04 PM IST

गया: बिहार के कई जिले बाढ़ का दंश ( Floods In Bihar ) झेल रहे हैं तो वहीं बारिश की कमी से भी कई इलाके के किसान परेशान हैं. भीषण सुखाड़ ( Drought In Bihar) से गया (Paddy Cultivation Affected In Gaya) में अन्नदाताओं के माथे पर शिकन आ गई है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक 50 से 60% बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन जिले में बारिश नहीं के बराबर हो रही है.

पढ़ें- बिहार में एक साथ बाढ़ और सुखाड़ की मार, बक्सर में सूखे के कारण धान रोपनी में देरी

गया में सुखाड़ से किसान परेशान: कम बारिश के कारण बिचड़े को बचाने के लिए ही किसान संघर्ष कर रहे हैं. गया जिले में अब 0.57 प्रतिशत धान ही किसान रोप पाए हैं. गया जिले में 181832 हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य था. किंतु अब तक सिर्फ 1030 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है. यह भी वह क्षेत्र है, जो ट्यूबवेल की सुविधाएं पर आधारित है. धान के बिचड़े 18184 हेक्टेयर में लगने थे, लेकिन पानी के अभाव में बिचड़े आधे से भी कम लगे है. जो बिचड़े लगे हैं, वह भी मर रहे हैं और लाल होकर सूखते जा रहे हैं.

बारिश नहीं होने से मुश्किल: बारिश नहीं होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. उनके चेहरे पर शिकन आ चुकी है. सुखाड़ की स्थिति में उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो जा रही है. निराश किसान कहते हैं कि भगवान ही नाराज है तो कैसे बारिश होगी. आसमान में उमड़ते घुमड़ते बादलों के बावजूद बारिश नहीं होने की बात किसान बताते हैं. अब कृषि पदाधिकारी का भी मानना है कि गया जिला सुखाड़ के मोड़ पर पहुंच गया है.

"बारिश नहीं होने कारण बिचड़े सूख रहे हैं. खरीफ फसल में धान मक्का मडूवा आदि का उत्पादन किया जाता है, लेकिन बारिश के कारण यह फसल प्रभावित हो रहे हैं. गया जिला सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है."- सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी

सुखाड़ को लेकर बैठक: जिला पदाधिकारी गया डॉक्टर त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में गया जिले में वर्षा के अभाव में संभावित सुखाड़ के स्थिति को देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए वर्तमान स्थिति से अवगत हुए. जिला सांख्यिकी पदाधिकारी गया ने बताया कि 1 जून 2022 से 11 जुलाई 2022 तक सामान्य वर्षापात 240.59 मिलीमीटर होना था, परंतु 72.72 वास्तविक वर्षापात मापा गया है.

0.57% भूमि पर भी नहीं हो पायी धान की रोपनी: 1 जुलाई 2022 से 11 जुलाई 2022 तक कुल 25.02 मिली मीटर वास्तविक वर्षापात हुई है. बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि वर्षा नहीं होने के कारण किसान धान की खेती लगभग 0.57% ही किसान धान बोए हैं. बताया कि गया जिले में धान की खेती हेतु 181832 हेक्टेयर में से 1030 हेक्टेयर ही मात्र आच्छादित हुए हैं. उसी प्रकार मक्का की खेती हेतु 7059 हेक्टेयर के विरुद्ध 1877 हेक्टेयर मात्र अच्छादित हुए हैं, जो 26.60% है. उसी प्रकार दलहन की खेती हेतु अरहर दाल के लिए 4379 हेक्टेयर के विरुद्ध मात्र 1004 हैक्टेयर ही अच्छा गीत किया गया है, जो 22.92% है. इसके साथ ही उरद 280 हेक्टेयर, कुल्थी 416 हेक्टेयर, मूंग दाल 61 हेक्टेयर तथा अन्य दलहन 63 हेक्टेयर हेतु लक्ष्य प्राप्त है परंतु आच्छादन शून्य है.

"पूरे जिले में यही हाल है. पानी के आसार नहीं है. मौसम पर ही धान की खेती करते हैं. इस बार धान की खेती खत्म हो गयी. रोहणी में धान की बुआई होती है लेकिन रोपन नहीं हो पाया."- पवन कुमार, किसान

"बारिश नहीं होने के कारण रोपनी नहीं हो पा रही है. सुखाड़ की स्थिति बनी हुई है. गर्मी के कारण बिचड़े खराब हो रहे हैं. सरकार से हमारी मांग है कि सही से बिजली की व्यवस्था की जाए." - लोकेश कुमार, किसान

"सुखाड़ है, भगवान नाराज हैं, क्या करें? हमलोग रोपनी नहीं कर रहे हैं. वर्षा का अभाव है, स्थिति दयनीय है."- अशोक कुमार, किसान

गया: बिहार के कई जिले बाढ़ का दंश ( Floods In Bihar ) झेल रहे हैं तो वहीं बारिश की कमी से भी कई इलाके के किसान परेशान हैं. भीषण सुखाड़ ( Drought In Bihar) से गया (Paddy Cultivation Affected In Gaya) में अन्नदाताओं के माथे पर शिकन आ गई है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक 50 से 60% बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन जिले में बारिश नहीं के बराबर हो रही है.

पढ़ें- बिहार में एक साथ बाढ़ और सुखाड़ की मार, बक्सर में सूखे के कारण धान रोपनी में देरी

गया में सुखाड़ से किसान परेशान: कम बारिश के कारण बिचड़े को बचाने के लिए ही किसान संघर्ष कर रहे हैं. गया जिले में अब 0.57 प्रतिशत धान ही किसान रोप पाए हैं. गया जिले में 181832 हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य था. किंतु अब तक सिर्फ 1030 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है. यह भी वह क्षेत्र है, जो ट्यूबवेल की सुविधाएं पर आधारित है. धान के बिचड़े 18184 हेक्टेयर में लगने थे, लेकिन पानी के अभाव में बिचड़े आधे से भी कम लगे है. जो बिचड़े लगे हैं, वह भी मर रहे हैं और लाल होकर सूखते जा रहे हैं.

बारिश नहीं होने से मुश्किल: बारिश नहीं होने से किसानों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. उनके चेहरे पर शिकन आ चुकी है. सुखाड़ की स्थिति में उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो जा रही है. निराश किसान कहते हैं कि भगवान ही नाराज है तो कैसे बारिश होगी. आसमान में उमड़ते घुमड़ते बादलों के बावजूद बारिश नहीं होने की बात किसान बताते हैं. अब कृषि पदाधिकारी का भी मानना है कि गया जिला सुखाड़ के मोड़ पर पहुंच गया है.

"बारिश नहीं होने कारण बिचड़े सूख रहे हैं. खरीफ फसल में धान मक्का मडूवा आदि का उत्पादन किया जाता है, लेकिन बारिश के कारण यह फसल प्रभावित हो रहे हैं. गया जिला सुखाड़ की ओर बढ़ रहा है."- सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी

सुखाड़ को लेकर बैठक: जिला पदाधिकारी गया डॉक्टर त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में गया जिले में वर्षा के अभाव में संभावित सुखाड़ के स्थिति को देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए वर्तमान स्थिति से अवगत हुए. जिला सांख्यिकी पदाधिकारी गया ने बताया कि 1 जून 2022 से 11 जुलाई 2022 तक सामान्य वर्षापात 240.59 मिलीमीटर होना था, परंतु 72.72 वास्तविक वर्षापात मापा गया है.

0.57% भूमि पर भी नहीं हो पायी धान की रोपनी: 1 जुलाई 2022 से 11 जुलाई 2022 तक कुल 25.02 मिली मीटर वास्तविक वर्षापात हुई है. बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि वर्षा नहीं होने के कारण किसान धान की खेती लगभग 0.57% ही किसान धान बोए हैं. बताया कि गया जिले में धान की खेती हेतु 181832 हेक्टेयर में से 1030 हेक्टेयर ही मात्र आच्छादित हुए हैं. उसी प्रकार मक्का की खेती हेतु 7059 हेक्टेयर के विरुद्ध 1877 हेक्टेयर मात्र अच्छादित हुए हैं, जो 26.60% है. उसी प्रकार दलहन की खेती हेतु अरहर दाल के लिए 4379 हेक्टेयर के विरुद्ध मात्र 1004 हैक्टेयर ही अच्छा गीत किया गया है, जो 22.92% है. इसके साथ ही उरद 280 हेक्टेयर, कुल्थी 416 हेक्टेयर, मूंग दाल 61 हेक्टेयर तथा अन्य दलहन 63 हेक्टेयर हेतु लक्ष्य प्राप्त है परंतु आच्छादन शून्य है.

"पूरे जिले में यही हाल है. पानी के आसार नहीं है. मौसम पर ही धान की खेती करते हैं. इस बार धान की खेती खत्म हो गयी. रोहणी में धान की बुआई होती है लेकिन रोपन नहीं हो पाया."- पवन कुमार, किसान

"बारिश नहीं होने के कारण रोपनी नहीं हो पा रही है. सुखाड़ की स्थिति बनी हुई है. गर्मी के कारण बिचड़े खराब हो रहे हैं. सरकार से हमारी मांग है कि सही से बिजली की व्यवस्था की जाए." - लोकेश कुमार, किसान

"सुखाड़ है, भगवान नाराज हैं, क्या करें? हमलोग रोपनी नहीं कर रहे हैं. वर्षा का अभाव है, स्थिति दयनीय है."- अशोक कुमार, किसान

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