गया: गांधी मैदान में दशहरा के मौके पर रावणवध समारोह का परंपरा रही है. यहां दशहरा के मौके पर होने वाले रावणवध की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां बनने वाले रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला मुस्लिम समुदाय के लोग तैयार करते हैं.
समारोह के लिए एक माह पहले से रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद का पुतला बनाने का काम शुरू हो जाता है. दशहरा के काम में मुस्लिम कारीगर नमाज अदा कर पुतला बनाने के काम में जुट जाते हैं. दशहरा के पावन बेला पर मुस्लिम कारीगरों की कारिगरी गया के मिजाज सर्व धर्म स्वभाव को दर्शाता है.
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'उमड़ती है लाखों लोगों की भीड़'
इस साल आठ अक्टूबर को विजय दशमी का आयोजन किया जाएगा. इसके लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. गया गांधी मैदान में नवरात्रि के अंतिम दिन रावण वध समारोह में रावण दहन देखने लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है. जहां बड़ों के लिए दशहरा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक होता है. वहीं, बच्चों में दशहरा हमेशा से मनोरंजन का केंद्र रहा है. आमजन की भावना से जुड़े रावण वध समारोह की सफलता के लिए हर रोज घण्टों मेहनत कर मुस्लिम कारीगर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला बनाते हैं.
'60 फीट का है रावण'
दशहरा उत्सव के लिए रावण बना रहे कारगीर इम्तियाज आलम ने बताया कि बताया कि पुतले बनाने में न तो उनका धर्म और न ही उनका समुदाय आड़े आता है. वह पूरी तन्मयता से इन पुतलों को बनाते हैं. इम्तियाज का कहना है सभी धर्मों का अपना पर्व होता है और सभी धर्मों के पर्वों का अपना एक संदेश होता है. हम पांच लोग मिलकर दशहरा का काम 2 सितंबर से शुरू किए हैं. इसके मुख्य कारगीर कल्लू मियां हैं. हर रोज हमलोग आठ से दस घण्टा काम करते हैं. साथ ही काम के बारे में इम्तियाज ने बताया कि बताया कि लगभग 75 फीसदी काम हो गया है. इस वर्ष 60 फीट का रावण, 50-50 फीट का कुंभकरण और मेघनाद का पुतला बनाया गया है.
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