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6 साल पहले पर्यटक बनकर आया था बोधगया, लॉकडाउन में गरीबों के लिए बन गए मसीहा

पिछले दो महीने से हर दिन अरुण तीन हजार लोगों को तीन वक्त का भोजन करवा रहे हैं. बोधगया के भिखारी और सड़क किनारे गुजर बसर करने वाले लोगों के लिए अरुण मसीहा बन गए हैं.

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Published : May 26, 2020, 1:33 PM IST

गयाः ज्ञान की धरती बोधगया में 6 साल पहले दिल्ली का रहने वाला एक युवक पर्यटक बनकर घूमने आया था. लेकिन बोधगया के रमणीय छांव ने उसे यहीं का बना दिया. अरुण लॉकडाउन के दौरान बुद्ध की राहों पर चलकर हर दिन तीन हजार लोगों को भोजन करवा रहे हैं.

भगवान बुद्ध पर आस्था
दिल्ली से 6 साल पहले अरुण घुमने के लिए बोधगया आए थे, जो यहीं रहकर टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी में काम करने लगे. भगवान बुद्ध के प्रति आस्था को लेकर वो बोधगया छोड़कर जाना नहीं चाहते हैं. अरुण सिर्फ भगवान बुद्ध पर आस्था ही नहीं रखते, बल्कि उनके उपदेशों का पालन भी करते हैं.

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जरूरतमंदों को भोजन देते अरुण

मसीहा बन गए अरुण
पिछले दो महीने से हर दिन अरुण तीन हजार लोगों को तीन वक्त का भोजन करवा रहे हैं. बोधगया के भिखारी और सड़क किनारे गुजर बसर करने वाले लोगों के लिए अरुण मसीहा बन गए हैं. उतर प्रदेश के चित्रकूट की रहने वाली घुमक्कड़ जाति की महिला सुमंती ने बताया कि अरुण भईया हम लोगों को सारा सामान देते हैं. हमारे वही एक सिर्फ सहारा हैं. उन्होंने बताया कि अरुण खाना के साथ अन्य चीजों के लिए पैसे भी देते हैं.

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भोजन कराने में जुटे लोग

40 हजार का खर्च
वहीं, लोगों की मदद कर रहे अरुण ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के दो दिन बाद से ही गरीबों को खाने के लाले पड़ गए थे. उन्होंने बताया कि मेरे पास जितनी जमापूंजी है, उसी से हर दिन तीन हजार लोगों को भोजन करवा रहे हैं. जिसमें हर दिन 40 हजार का खर्च होता है.

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भोजन का वितरण

सेवा भाव से लोग करते हैं काम
अरुण की इस सेवा के कारण सैकड़ों परिवार का पेट पल रहा है. बाहर के फंसे लोगों को अरुण ने खाना बनाने का काम भी दिया है. जिसके बदले वे पैसे देते हैं. वहीं, कई लोग बस सेवा भाव से काम करते हैं.

देखें रिपोर्ट

बौद्ध भंते
बता दें कि विदेशी मूल के हजारों नागरिक बुद्ध की नगरी में रहते हैं. यहां तक कि हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेरे के सबसे खास दोस्त भी यहां आकर यहीं के होकर रह गए. अब वो बौद्ध भंते हो गए हैं.

गयाः ज्ञान की धरती बोधगया में 6 साल पहले दिल्ली का रहने वाला एक युवक पर्यटक बनकर घूमने आया था. लेकिन बोधगया के रमणीय छांव ने उसे यहीं का बना दिया. अरुण लॉकडाउन के दौरान बुद्ध की राहों पर चलकर हर दिन तीन हजार लोगों को भोजन करवा रहे हैं.

भगवान बुद्ध पर आस्था
दिल्ली से 6 साल पहले अरुण घुमने के लिए बोधगया आए थे, जो यहीं रहकर टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी में काम करने लगे. भगवान बुद्ध के प्रति आस्था को लेकर वो बोधगया छोड़कर जाना नहीं चाहते हैं. अरुण सिर्फ भगवान बुद्ध पर आस्था ही नहीं रखते, बल्कि उनके उपदेशों का पालन भी करते हैं.

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जरूरतमंदों को भोजन देते अरुण

मसीहा बन गए अरुण
पिछले दो महीने से हर दिन अरुण तीन हजार लोगों को तीन वक्त का भोजन करवा रहे हैं. बोधगया के भिखारी और सड़क किनारे गुजर बसर करने वाले लोगों के लिए अरुण मसीहा बन गए हैं. उतर प्रदेश के चित्रकूट की रहने वाली घुमक्कड़ जाति की महिला सुमंती ने बताया कि अरुण भईया हम लोगों को सारा सामान देते हैं. हमारे वही एक सिर्फ सहारा हैं. उन्होंने बताया कि अरुण खाना के साथ अन्य चीजों के लिए पैसे भी देते हैं.

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भोजन कराने में जुटे लोग

40 हजार का खर्च
वहीं, लोगों की मदद कर रहे अरुण ने बताया कि लॉकडाउन लागू होने के दो दिन बाद से ही गरीबों को खाने के लाले पड़ गए थे. उन्होंने बताया कि मेरे पास जितनी जमापूंजी है, उसी से हर दिन तीन हजार लोगों को भोजन करवा रहे हैं. जिसमें हर दिन 40 हजार का खर्च होता है.

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भोजन का वितरण

सेवा भाव से लोग करते हैं काम
अरुण की इस सेवा के कारण सैकड़ों परिवार का पेट पल रहा है. बाहर के फंसे लोगों को अरुण ने खाना बनाने का काम भी दिया है. जिसके बदले वे पैसे देते हैं. वहीं, कई लोग बस सेवा भाव से काम करते हैं.

देखें रिपोर्ट

बौद्ध भंते
बता दें कि विदेशी मूल के हजारों नागरिक बुद्ध की नगरी में रहते हैं. यहां तक कि हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेरे के सबसे खास दोस्त भी यहां आकर यहीं के होकर रह गए. अब वो बौद्ध भंते हो गए हैं.

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