गया: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) मंगलवार को बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple In Gaya) पहुंचे. जहां उन्होंने भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की. इसके बाद बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया. सैकड़ों बौद्ध भिक्षुओं के बीच चीवरदान किया गया. राज्यपाल ने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया. इस दौरान बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे.
कई कार्यक्रमों में हुए शामिल : राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर पूजा-अर्चना के बाद चीवरदान कार्यक्रम में शामिल हुए. जहां उन्होंने सैकड़ों बौद्ध भिक्षुओं के बीच चीवरदान किया. चीवरदान कार्यक्रम मंत्रोच्चार के बीच पूरा हुआ. इसके बाद राज्यपाल कई कार्यक्रमों में शामिल हुए. इस क्रम में वे शंकराचार्य मठ भी गए. वहां उन्होंने प्राचीन मूर्तियों और पौराणिक लाइब्रेरी का अवलोकन किया.
"एकता का प्रतीक करने का आज का दिन है. वर्तमान में कुछ असामाजिक तत्व भिन्नता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत सभी मतों के बावजूद एक है. एक भारत श्रेष्ठ भारत है. भारत की श्रेष्ठता दुनिया में जानी जाती है. एकता का अनुभव सबको भाता नहीं है, कुछ अलग विचार रखने वाले सोचते हैं, कि भारत के टुकड़े होने चाहिए. भगवान बुद्ध की भी मूर्ति होती है. पूजा होती है, इसी विचार को आगे बढ़ाना है."- राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार
RSS के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश रहे साथ: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश भी साथ साथ रहे. उन्होंने भी महाबोधि मंदिर में पूजा अर्चना की और बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया. इसके बाद धर्म संस्कृति संगम चीवरदान संघदान कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल के साथ शामिल हुए. चीवरदान कार्यक्रम के बाद राज्यपाल और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक दोनों शंकराचार्य मठ गए. राज्यपाल ने वहां प्राचीन मूर्तियों और पौराणिक लाइब्रेरी का अवलोकन किया. वही शंकराचार्य मठ में राज्यपाल ने पूजा अर्चना की.
"2600 साल पहले तथागत बुद्ध ने उपदेश दिया. अप्पो दीपो भव: यानि स्वयं से ज्योतिर्मय होईए. 1500 से 2000 वर्षों में भारत में अपने-अपने पूजा पद्धति के रास्ते से चले. दूसरों की पूजा पद्धति का आदर करना चाहिए. तिरंगा एक ऐसा चीज है, जो सबको जोड़ता है. मजहब में कटुता ने फैले यह हमारा प्रयास है."- इंद्रेश, वरिष्ठ प्रचारक, आरएसएस