गया: दिसंबर का महीना शुरू होते के साथ ही ठंड बढ़ गई है. शीतलहरी भी चलने लगी है. ठंड से बचने के लिए लोग गर्म कपड़े पहन रहे हैं. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि भगवान को भी ठंडी लगती है ? नहीं न, लेकिन भक्तों की अटूट आस्था और प्रेम के आगे भगवान की भी कहां चलती है. ऐसे तो भगवान शाश्वत (सदा रहने वाले) हैं. भगवान सर्दी, गर्मी, धूप, बरसात से काफी ऊपर हैं. मगर गया में भक्तों ने अपने भगवान को ठंडी से बचाने के लिए उन्हें रंग-बिरंगे स्वेटर पहनाए हैं.
गया इस्कॉन मंदिर में भगवान को पहनाया स्वेटर: गया में भगवान के प्रति अटूट आस्था का उदाहरण देखने को मिला है. यहां भगवान को सर्दी से बचाने के लिए उन्हें उनी वस्त्र पहनाए गए हैं. वहीं उनके स्नान और भोग के लिए गर्म पानी का ही उपयोग किया जा रहा है. इतना ही नहीं जब ठंढ और बढ़ेगी तो भगवान के लिए हीटर भी लगाए जाएंगे. बता दें कि गया का इस्कॉन मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. ठंड बढ़ते ही भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए जाने से इसकी खूब चर्चा हो रही है.
स्वेटर में आकर्षक लग रहे भगवान: इस मंदिर में राधे कृष्ण, बलराम, माता सुभद्रा, सुदर्शन जी, चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा है. ठंड के दिनों में भगवान की प्रतिमाओं को ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं. बड़ी बात यह है कि यहां माता तुलसी भी विराजमान हैं, माता तुलसी को भी ठंढ से बचाने के लिए शाॅल ओढ़ाया गया है. मंदिर में भगवान की जितनी भी प्रतिमाएं हैं, सभी को ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं. भगवान रंग-बिरंगे स्वेटर में काफी आकर्षक भी लग रहे हैं.
परिवार की तरह भगवान का ख्याल: यहां मौजूद भक्तों का कहना है कि भगवान जी एक व्यक्ति की तरह हैं. वे कहते हैं कि जिस तरह एक व्यक्ति अपने परिवार वालों का ख्याल रखता है, ठीक उसी तरह से एक भक्त अपने भगवान जी का ख्याल रखता है. भगवान तो प्रेम स्वीकार करते हैं. भगवान कृष्ण, भगवान राम भी एक व्यक्ति के रूप में आए थे.
गर्मी में भगवान के लिए लगता है एसी-कूलर: जानकारी हो, कि गर्मी के दिनों में भगवान के लिए पंखे और एसी की व्यवस्था की जाती है, जबकि ठंड के दिनों में ऊनी वस्त्र पहनाए और हीटर लगाए जाते हैं. इस तरह भगवान जी का इस्कॉन मंदिर में सालों भर ख्याल रखा जाता है. यहां भगवान को स्वेटर में देखने के लिए भक्तों की भीड़ भी लग रही है.
क्या कहते हैं मंदिर के अध्यक्ष?: इस संबंध में इस्कॉन मंदिर गया के अध्यक्ष जगदीश श्याम दास बताते हैं कि भगवान भावग्राही हैं. वह प्रेम के भूखे हैं. भगवान जी तो सर्दी-गर्मी से ऊपर हैं, क्योंकि भगवान जी का शरीर सच्चिदानंद है. लेकिन भक्त भोग लगाते हैं तो भगवान उसे प्रेम से स्वीकार करते हैं. भागवत गीता में भी लिखा है कि भगवान भक्तों द्वारा दिए गए अन्न-जल आदि को ग्रहण करते हैं.
"अभी सर्दी का समय है, तो भक्तों का भाव है कि उन्हें सर्दी लगेगी. ऐसे में मंदिर में भगवान जी को गर्म कपड़े पहनाए गए हैं. आने वाले दिन में हीटर भी लगाए जाएंगे. भगवान कृष्ण, भगवान राम भी एक व्यक्ति के रूप में आए थे. इस नजरिए से भगवान एक व्यक्ति हैं. जिस तरह से परिवार का मुखिया होता है, उस तरह से हमारे इस मंदिर के मालिक भगवान जी हैं."- जगदीश श्याम दास, अध्यक्ष, इस्कॉन मंदिर गया
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